बूढ़ापहाड़ में चार साल बाद नक्सलियों के खिलाफ अभियान शुरू, झारखंड और छत्तीसगढ़ की 40 कंपनियां तैनात

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Published : Aug 18, 2022, 5:20 PM IST

Campaign against Naxalites started in Budhapahar

झारखंड और छत्तीतसगढ़ सीमा पर स्थित बूढ़ापहाड़ इलाके में नक्सलियों के खिलाफ अभियान शुरू किया गया है. इस अभियान को लेकर 40 से अधिक कंपनियों को तैनात किए गया है. अभियान की निगरानी Jharkhand Police Headquarters कर रही है.

पलामूः झारखंड और छत्तीसगढ़ सीमा पर स्थित बूढ़ापहाड़ नक्सलियों का गढ़ है, जहां साल 2018 से नक्सलियों के खिलाफ अभियान (Campaign against Naxalites) बंद कर दिया गया था. लेकिन अब नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ा अभियान शुरू किया गया है. इस अभियान में झारखंड और छत्तीसगढ़ की 40 से अधिक कंपनियां तैनात की गई हैं. इसमें कोबरा, जगुआर, सीआरपीएफ, आईआरबी, जैप और जिला बल के जवानों को तैनात किया गया है.

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नक्सलियों के खिलाफ इस अभियान की मॉनिटरिंग झारखंड पुलिस मुख्यालय (Jharkhand Police Headquarters) कर रही है. झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के टॉप अधिकारी इलाके में कैंप कर रहे हैं. टॉप माओवादी कमांडर मिथिलेश मेहता (Top Maoist Commander Mithilesh Mehta) की गिरफ्तारी और आत्मसमर्पण करने वाले विमल यादव ने सुरक्षाबलों को कई जानकारियां दी हैं. इसके बाद अभियान शुरू किया गया है. मिली जानकारी के अनुसार झारखंड के बहेराटोली और छत्तीसगढ़ के भूताहीनाला से अभियान शुरू किया गया है.

हाल के दिनों में झारखंड और बिहार की सीमा पर मौजूद छकरबंधा के इलाके में सुरक्षाबलों ने माओवादियों को बड़ा नुकसान पहुंचाया. इसके बाद माओवादी बूढ़ापहाड़ की ओर रुख करना चाहते थे. लेकिन बूढ़ापहाड़ के इलाके में भी अभियान शुरू किया गया है. बूढ़ापहाड़ को खाली करवाने को लेकर यह अभियान शुरू किया गया है. साल 2018 में बूढ़ापहाड़ में अभियान के दौरान पुलिस के 6 जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद से इंटर स्टेट बड़ा अभियान बंद कर दिया गया था.


बूढ़ापहाड़ के इलाके में मरकस बाबा के नेतृत्व में माओवादियों का बड़ा दस्ता सक्रिय है. मरकस बिहार के औरंगाबाद जिले का रहने वाला है और झारखंड की सरकार ने उस पर 25 लाख का इनाम घोषित किया हुआ है. मरकस के नेतृत्व में 30 से 35 की संख्या में माओवादी सदस्य सक्रिय हैं. साल 2018 में एक करोड़ के इनामी टॉप माओवादी कमांडर अरविंद की मौत के साथ साथ सुधाकरण और विमल यादव के आत्मसमर्पण के बाद माओवादी कमजोर हो गए है. बता दें कि साल 2013-14 से माओवादियों ने बूढ़ापहाड़ को अपना मुख्यालय बनाया हुआ है.

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