आखिर कौन हैं सरबजीत सिंह बॉबी?, जिनसे मिलने शिमला आएंगे दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल

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Published : Oct 3, 2022, 10:51 PM IST

Updated : Oct 3, 2022, 10:59 PM IST

सरबजीत सिंह उर्फ वेले बॉबी.

दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind kejriwal) ने 2 अक्टूबर को शिमला के रहने वाले सरबजीत सिंह बॉबी (Shimla ka Vella Banda Bobby) से बात की. उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बॉबी द्वारा आईजीएमसी में चलाए जा रहे निशुल्क लंगर की पूरी कहानी जानी. इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने उनके इस नेक कार्य की सराहना की और लंगर में आने की इच्छा भी जताई. उन्होंने कहा कि वे जब भी शिमला आएंगे, तो उनके लंगर में जरूर भोजन करेंगे. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि आखिरकार सरबजीत सिंह बॉबी हैं कौन?

शिमला: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind kejriwal) ने 2 अक्टूबर को शिमला के रहने वाले सरबजीत सिंह बॉबी (Shimla ka Vella Banda Bobby) से बात की. उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बॉबी द्वारा आईजीएमसी में चलाए जा रहे निशुल्क लंगर की पूरी कहानी जानी. इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने उनके इस नेक कार्य की सराहना की और लंगर में आने की इच्छा भी जताई. उन्होंने कहा कि वे जब भी शिमला आएंगे, तो उनके लंगर में जरूर भोजन करेंगे. उन्होंने बाद में ट्विट कर इसकी जानकारी लोगों (Arvind kejriwal tweet on Sarabjeet singh bobby) को दी.

कौन हैं सरबजीत बॉबी: सरबजीत सिंह बॉबी को लोग वेले बॉबी के नाम से भी जानते हैं. वह एक समाजसेवी हैं, जो बीते 8 साल से आईजीएमसी के कैंसर अस्पताल में निशुल्क लंगर सेवा चला रहे हैं. उनकी ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स संस्था आईजीएमसी में इस काम को देखती है. जिसके वे अध्यक्ष भी हैं. पेशे से सरबजीत सिंह बॉबी एक ड्राइवर हैं. सरबजीत सिंह बॉबी बताते हैं कि पहले वे एक ड्राइवर थे और डेड बॉडी वैन चलाते थे. लेकिन उनका पेशा कब समाजसेवा में बदल गया, उन्हें भी पता नहीं चला. उनका कहना है कि वह 25 साल से समाजसेवा के क्षेत्र में हैं और आगे भी ऐसे ही लोगों की सेवा करते रहेंगे.

सरबजीत सिंह उर्फ वेले बॉबी.
सरबजीत सिंह उर्फ वेले बॉबी.

निशुल्क भोजन करवाती है ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स: बॉबी की संस्था ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स शिमला (Almighty Blessings Shimla) के कैंसर अस्पताल में लंगर का संचालन करती है. यहां रोजाना कम से कम तीन हजार लोग चाय-नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का भोजन पाते हैं. यह सेवा बिल्कुल निशुल्क है. इसके अलावा सरबजीत की संस्था कैंसर और अन्य गंभीर रूप से बीमार रोगियों के लिए निशुल्क एंबुलेंस सेवा का संचालन करती है. कोविड संकट में भी उनकी यह सेवा जारी रही. बॉबी की संस्था रोटी बैंक का संचालन भी करती है. सरबजीत के सेवा भाव को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी सराहा है.

रोजाना 3 हजार लोग लंगर में करते हैं भोजन: गरीब और साधन हीन कैंसर मरीजों और उनके परिजनों के लिए चाय-बिस्किट से शुरू हुआ सेवा का यह सफर अब विशाल वटवृक्ष बन गया है. सरबजीत सिंह की संस्था ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स के लंगर में अब रोजाना तीन हजार से अधिक लोग निशुल्क भोजन पाते हैं. दुखों की गठरी उठाए प्रदेश के कोने-कोने से शिमला स्थित रीजनल कैंसर अस्पताल पहुंचे मरीजों और उनके परिजनों से अगर कोई पूछे कि सरबजीत सिंह कौन है तो उन लोगों के हाथ खुद-ब-खुद जुड़ जाते हैं और आंखों से निकले आभार के आंसू सारी कहानी कह देते हैं.

आईजीएमसी में ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स की लंगर सेवा.
आईजीएमसी में ऑलमाइटी ब्लैसिंग्स की लंगर सेवा.

निशुल्क एंबुलेंस और फ्युनरल वैन चलाते हैं सरबजीत: सरबजीत सिंह की सेवा का संसार न केवल जीवित लोगों के लिए है बल्कि दुर्भाग्यवश देह छोड़ चुके लोगों की अंतिम सेवा तक फैला है. कैंसर मरीजों के लिए निशुल्क एंबुलेंस चलाते हैं. गंभीर रूप से बीमार कोई मरीज दम तोड़ दे और परिजनों के पास पार्थिव देह को घर ले जाने का कोई साधन न हो तो सरबजीत फ्युनरल वैन के जरिए पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए घर तक पहुंचाते हैं.

2014 में चाय-बिस्कुट से की थी शुरूआत: सरबजीत सिंह यूं तो रक्तदान शिविरों और अन्य माध्यमों से मानवता की सेवा करते ही आ रहे थे, लेकिन विशाल सेवा प्रकल्पों का सफर चार साल पहले शुरू हुआ. अक्टूबर 2014 में उन्होंने कैंसर अस्पताल शिमला में मरीजों को चाय-बिस्कुट सेवा की शुरूआत की. धीरे-धीरे मरीजों को सूप, दलिया देने लगे. लोगों का सहयोग मिला तो चावल, दाल, खिचड़ी का प्रबंध किया. अब तो यह आलम है कि एक दिन में सुबह से लेकर रात तक तीन हजार से अधिक लोग निशुल्क रूप से भरपेट भोजन पाते हैं. जो लोग चावल न लेना चाहें, उनके लिए गर्मा-गर्म रोटियों का भी प्रबंध है. संस्था साल भर में बीस से अधिक रक्तदान शिविर भी लगाती है.

सरबजीत सिंह उर्फ वेले बॉबी.
सरबजीत सिंह उर्फ वेले बॉबी.

रोटी बैंक भी चलाते हैं बॉबी: सरबजीत सिंह एक रोटी बैंक भी चलाते हैं, जिनमें बच्चों को भी जोड़ा गया है. मुफ्त लंगर के लिए बच्चे उन्हें 25 हजार रोटियां देते हैं. रोटियां दूर-दराज के इलाकों से भी उनके पास आती हैं. दरअसल, सरबजीत बॉबी ने मानवता की सेवा के लिए कुछ साल पहले शहर के स्कूली बच्चों के सामने रोटी रोज का मंत्र रखा था. उसका असर यह हुआ कि शिमला के कई स्कूलों के बच्चे सप्ताह में एक से अधिक दिन दो रोटियां एक्सट्रा लाने लगे. यह रोटियां कलेक्ट कर लंगर में दी जाती रहीं. संस्था ने रोटियां गर्म करने के लिए खास मशीन भी खरीदी है. इसके अलावा स्कूली बच्चे घरों से एक मुट्ठी अन्न भी लाते थे. ये सिलसिला लगातार जारी है. कोविड काल में ये बेशक थम गया था, लेकिन लंगर में अन्न और अन्य तरीकों से सहयोग करने वालों की कोई कमी नहीं है.

बीते साल लंगर को लेकर हुआ था विवाद: बीते साल जब सरबजीत सिंह अस्पताल में अपना ईलाज करवा रहे थे, तब लंगर को लेकर एक विवाद भी हुआ था. आइजीएमसी प्रशासन ने उनके लंगर को बंद कराकर (Langar in IGMC Shimla) उनका सामान बाहर फेंक दिया था. इतना ही नहीं उनका बिजली पानी तक का कनेक्शन काट दिया गया था. तब कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह भी उनके समर्थन में उतरे थे और सरकार से लंगर को चलने कि मांग की थी. बॉबी का कहना है कि वर्तमान सरकार के कुछ लोगों को उनकी ये कामयाबी पसंद नहीं आई और एक चक्रव्यूह रचकर ये रैन बसेरा किसी और दे दिया गया. उन्होंने कहा कि गुपचुप तरीके से इसके लिए टेंडर करवाया गया था. वहीं, लंगर लगाने के लिए भी उन्हें बार-बार तंग किया जाता है.

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Last Updated :Oct 3, 2022, 10:59 PM IST
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