SC सीटों पर बाजी मारने वाला दल बनाता है सरकार, हिमाचल में 25% सीटें एससी के लिए आरक्षित

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Published : Nov 17, 2022, 5:08 PM IST

Updated : Nov 17, 2022, 5:14 PM IST

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हिमाचल में 17 एससी सीटें हैं जो कुल 68 सीटों का 25 फीसदी हैं. आंकड़े बताते हैं कि जिस दल ने एससी सीटों पर बाजी मारी है, हर बार सरकार उसी ने बनाई है. (SC assembly seat plays an important role in HP )

शिमला: हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर 12 नवंबर को मतदान हो चुका है. अब भाजपा-कांग्रेस की नजरें 8 दिसंबर पर है, जब मतगणना होगी. वहीं, इस बार रिवाज बदलेगा या राज यह कहना इस वक्त थोड़ी जल्दबाजी होगी, लेकिन राजनीतिक पार्टियां जहां रोज अपना आंकलन कर अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही हैं. हिमाचल में कुल 68 विधानसभा सीटें हैं और इनमें से फिलहाल 17 सीटें अनुसूचित जाति और 3 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. हिमाचल में पहले 14 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थीं, जो बाद में 16 और फिलहाल 17 हो चुकी हैं. इस बार ये 17 सीटें किस दल के पक्ष में आएंगी. क्योंकि इन एससी सीटों में से जो राजनीतिक दल ज्यादा सीटें जीत लेता है वो सरकार बना लेता है. आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं. (SC seats result in Himachal) (Schedule Caste Seats Result in Himachal) (reserved for Scheduled Castes)

अनुसूचित जाति की सीटें भी बनाती और बिगाड़ती हैं समीकरण- हिमाचल में अनुसूचित जाति की सीटें भी किसी दल को सत्ता तक पहुंचाने में अहम भूमिका अदा करती हैं. कुल विधानसभा सीटों का करीब 25 फीसदी सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. हिमाचल में साल 1985 के बाद से कोई भी दल सरकार रिपीट नहीं कर पाया है. इस दौरान अनुसूचित जाति की सीटों का आंकड़ा जिस दल के पक्ष में झुकता है वो सरकार बनाता है. (SC assembly seat plays an important role) (SC Seats equation in Himachal)

जिसके पक्ष में SC सीटें उसकी बनी सरकार- साल 1985 में कुल 16 में से 14 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी और सिर्फ दो सीटें बीजेपी के खाते में गई थी. जिसके चलते प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी और ये आखिरी बार था जब कोई दल प्रदेश में सरकार रिपीट कर पाया था. 1990 में बीजेपी ने 16 में 13 सीटें बीजेपी ने जीतीं और सरकार बनाई, इस साल दो सीटें कांग्रेस और एक जनता दल के खाते में गई. 1993 में वक्त से पहले चुनाव हुए तो एक बार फिर कांग्रेस ने 16 SC सीटों में से 13 पर जीत हासिल की और कांग्रेस की सरकार बनी, इस बार भाजपा को 2 और आजाद उम्मीदवार को 1 सीट मिली.

साल19851990199319982003200720122017
बीजेपी2132738613
कांग्रेस142137107104
अन्य011(JD)2(HVC)3110
कुल1616161616161717

जब कांग्रेस-बीजेपी की सीटें आई बराबर- 1998 का साल हिमाचल के सियासी इतिहास में बहुत ही दिलचस्प रहा. इस साल जब विधानसभा चुनाव के नतीजे आए तो कांग्रेस और बीजेपी दोनों के खाते में 31-31 सीटें आई थीं. उस वक्त कांग्रेस से अलग होकर पंडित सुखराम ने हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी बनाई थी जिसके 5 विधायक जीते थे. हिमाचल विकास कांग्रेस ने धूमल को समर्थन दिया और बीजेपी की सरकार बनवाई थी. दिलचस्प बात ये है कि उस साल 16 एससी सीटों में से कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने 7-7 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि 2 सीटें हिमाचल विकास कांग्रेस पार्टी ने जीती थीं.

हिमाचल विधानसभा चुनाव 2003 में कांग्रेस को 10 और भाजपा को मात्र 3 सीट पर सफलता मिली. इसके अलावा इस चुनाव में आजाद उम्मीदवारों ने 3 सीटों पर जीत दर्ज की. 2007 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 8 और कांग्रेस ने 7 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि निर्दलीय 1 सीट पर जीत पाया. इन दोनों ही विधानसभा चुनाव में भी ज्यादा एससी सीटें जीतने वाली पार्टी ने सरकार बनाई, 2003 में कांग्रेस और 2007 में बीजेपी की सरकार बनी.

2012 से हिमाचल में अनुसूचित जाति के लिए 17 सीटें आरक्षित- 2012 में जब विधानसभा चुनाव हुआ तो एससी की एक सीट का इजाफा हुआ और एससी सीटों की संख्या बढ़कर 17 हो गई. इस बार भाजपा को 6, कांग्रेस को 10 और निर्दलीय उम्मीदवार को एक सीट मिली. इस बार कांग्रेस की सरकार बनी. वहीं 2017 में 13 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की और सत्ता पर काबिज हुई. कांग्रेस को मात्र 4 सीटों पर संतोष करना पड़ा.

एससी वोटर की कहानी आंकड़ों की जुबानी: सन 1967 से बात की जाए तो उस समय कुल 14 सीटें थी. उस दौरान कांग्रेस को 12 मिली,जबकि 2 आजाद प्रत्याशियों ने जीती. इस समय कांग्रेस सत्ता में पहुंची. सन 1972 में सीटों की संख्या 16 हो गई और कांग्रेस के खाते में 13 सीट गई. यहां फिर आजाद प्रत्याशी 2 सीट जीतने में सफल रहे. वहीं इस बार सीपीआईएम ने खाता खोलकर एक सीट पर कब्जा किया. सत्ता फिर एक बार कांग्रेस को नसीब हुई. इसके अलावा सन 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी तो उसको 16 में से 14 सीटों पर जीत मिली. इस बार कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी को 1-1 सीट पर संतोष करना पड़ा. 1982 में भाजपा के खाते में 8 सीटें गई. वहीं, कांग्रेस को 6 और आजाद प्रत्याशियों को 2 सीट पर जीत हासिल हो पाई.

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Last Updated :Nov 17, 2022, 5:14 PM IST
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