Himachal Tableau: इस बार भी गणतंत्र दिवस पर नहीं दिखेगी हिमाचल की झांकी, यह है वजह

author img

By

Published : Jan 24, 2023, 3:02 PM IST

Updated : Jan 25, 2023, 10:27 PM IST

Himachal Tableau on Republic Day

प्रदेश के लोग लगातार चौथे साल भी गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर होने वाले समारोह में हिमाचल की झांकी नहीं देख (Himachal Tableau on Republic Day) पाएंगे. इस समारोह के लिए हिमाचल ने इस बार कोई भी झांकी नहीं भेजी थी.

शिमला: हिमाचल प्रदेश के लोग लगातार चौथे साल भी गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर होने वाले समारोह में हिमाचल की झांकी नहीं देख पाएंगे. इस समारोह के लिए हिमाचल ने इस बार कोई भी झांकी नहीं भेजी है. दलील दी जा रही है कि हिमाचल को इस संबंध में समय पर सूचना नहीं मिल पाई थी. राज्य के भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग के सचिव राकेश कंवर कहते हैं कि इस बार हिमाचल की झांकी दिल्ली गणतंत्र दिवल के लिए भेजी नहीं जा सकी. इस संबंध में सूचना समय पर नहीं मिल पाई थी.

महात्मा गांधी की हिमाचल यात्रा, अटल टनल का प्रस्ताव भी हो चुका है खारिज: वर्ष 2019 में हिमाचल ने महात्मा गांधी की हिमाचल यात्रा का प्रस्ताव भेजा था. उस समय रक्षा मंत्रालय ने हिमाचल की इस झांकी के मॉडल को भी खारिज कर दिया था. जबकि, वर्ष 2021 में अटल टनल रोहतांग का माडल मंजूर नहीं हो पाया था. भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से गणतंत्र दिवस की परेड के लिए सबसे पहले धामी गोलीकांड की झांकी का प्रस्ताव भेजा गया था. देश की आजादी का महोत्सव विषय पर आधारित इस प्रस्ताव में स्वतंत्रता आंदोलन को लेकर धामी में हुए गोलीकांड की विस्तृत जानकारी दी गई थी.

इस बार भी कर्तव्य पथ पर नहीं दिखेगी हिमाचल की झांकी.
इस बार भी कर्तव्य पथ पर नहीं दिखेगी हिमाचल की झांकी.

कई अन्य राज्यों की ओर से भी स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़ा मॉडल भेजने पर हिमाचल का धामी गोलीकांड पहले चरण में ही बाहर हो गया था. इसके बाद हिमाचल प्रदेश को विकासात्मक योजनाओं को लेकर प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया था. बागवानी, पर्यटन, बिजली परियोजनाओं और धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम के विकास को दर्शाता प्रस्ताव भेजा गया था. दूसरे चरण में प्रदेश का यह प्रस्ताव पास हो गया था, लेकिन अंतिम दौर की छंटनी में इसे भी खारिज कर दिया था. केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास राज्यों से मॉडल बनाकर भेजे जाते हैं. इन दौरान प्रतिस्पर्धा में बेहतर मॉडलों की झांकी तैयार करके गणतंत्र दिवस में शामिल किया जाता है.

2012 में कर्तव्य पथ पर किन्नौर की झांकी.
2012 में कर्तव्य पथ पर किन्नौर की झांकी.

पांच बार दिखी हिमाचली संस्कृति की झलक: राजपथ पर वर्ष 2007 में लाहौल-स्पीति, 2012 में किन्नौर, 2017 में चंबा की संस्कृति की झलक देखने को मिली थी. वर्ष 2018 में लाहौल-स्पीति के कीह गोंपा की झांकी दिखाई गई थी. वहीं, वर्ष 2020 में कुल्लू दशहरा की झांकी दिल्ली के कर्तव्य पथ पर देखने को मिली थी.

2017 में कर्तव्य पथ पर चंबा की झांकी.
2017 में कर्तव्य पथ पर चंबा की झांकी.

झांकी चुनने के मापदंड: भारत में गणतंत्र दिवस समारोह 26 जनवरी को नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर मार्च करने वाली भव्य परेड का लगभग पर्याय बन गया है. कर्तव्य पथ पर होने वाली जुलूस देश की सेना और राज्यों से जीवंत झांकी से रेजिमेंट प्रदर्शित करता है. झांकी और परेड की 1950 से एक वार्षिक परंपरा रही है. गणतंत्र दिवस परेड में प्रस्तुत की जाने वाली झांकी की चयन प्रक्रिया विकास और मूल्यांकन के विभिन्न चरणों से होकर गुजरती है.

2018 में कर्तव्य पथ पर लाहौल-स्पीति के कीह गोंपा की झांकी.
2018 में कर्तव्य पथ पर लाहौल-स्पीति के कीह गोंपा की झांकी.

यह स्केच/डिजाइन और प्रदर्शन के विषयों की प्रारंभिक सराहना के साथ शुरू होता है. विशेषज्ञ समिति और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों/विभागों/मंत्रालयों के बीच कई बातचीत के बाद झांकी के त्रि-आयामी मॉडल के साथ इसका समापन होता है. चयन प्रक्रिया लंबी और कठिन है. रक्षा मंत्रालय झांकी के चयन में सहायता के लिए कला, संस्कृति, चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला, नृत्यकला और अन्य जैसे क्षेत्रों से उल्लेखनीय व्यक्तियों के एक विशेषज्ञ समूह को नियुक्त करता है.

2020 में कर्तव्य पथ पर कुल्लू दशहरा की झांकी
2020 में कर्तव्य पथ पर कुल्लू दशहरा की झांकी

विशेषज्ञ समिति द्वारा किया जाता मूल्यांकन: यदि झांकी में एक पारंपरिक नृत्य शामिल है, तो यह एक लोक नृत्य होना चाहिए. जिसमें पारंपरिक और प्रामाणिक कपड़े और वाद्य यंत्र हों. प्रस्ताव में नृत्य की एक वीडियो क्लिप शामिल की जानी चाहिए. जो कई कारकों के आधार पर अंतिम चयन के लिए विशेषज्ञ समिति द्वारा समीक्षा की जाती है. विभिन्न राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय मंत्रालयों और केंद्रीय विभागों से प्राप्त झांकी प्रस्तावों का विशेषज्ञ समिति द्वारा बैठकों की एक श्रृंखला में मूल्यांकन किया जाता है. रक्षा मंत्रालय के अनुसार, विशेषज्ञ समिति अपनी सिफारिशें करने से पहले विषय, अवधारणा, डिजाइन और इसके दृश्य प्रभाव के आधार पर प्रस्तावों की जांच करती है.

ये भी पढ़ें: CM Sukhu Meets PM Modi: पीएम मोदी से सीएम सुक्खू की पहली मुलाकात, प्रधानमंत्री ने दिया हर मदद का आश्वासन

Last Updated :Jan 25, 2023, 10:27 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.