himachal budget session 2023: हिमाचल में 17,120 जगहों पर भूस्खलन का खतरा, प्रदेश 25 खतरों की श्रेणी में शामिल

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Published : Mar 15, 2023, 8:30 AM IST

himachal budget session 2023

हिमाचल में 17 हजार 120 जगहों पर भूस्खलन का खतरा रहता है. वहीं, एक हाई पावर कमेटी की तरफ से पहचाने गए कुल 33 खतरों में से प्रदेश 25 खतरों की श्रेणी में शामिल है. यह बात विधानसभा बजट सत्र के पहले दिन यानी 14 मार्च मंगलवार को सीएम सुखविंदर सिंह ने कही. (himachal budget session 2023 )

शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य के जंगलों में आग की एक बड़ी वजह चीड़ की पत्तियां हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने इन पत्तियों को वन एरिया से हटाने के लिए एक नीति बनाई है. इसके तहत राज्य में पाइन नीडल आधारित उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इन उद्योगों में पूंजी निवेश पर सरकार ने 50 फीसदी सब्सिडी देने का प्रावधान किया है. उन्होंने कहा कि इसके तहत अब तक ईंधन के ब्रिकेट्स बनाने की अब तक 5 इकाइयां हिमाचल में लगाई जा चुकी हैं.

हिमाचल में 25 खतरों की श्रेणी में शामिल: मुख्यमंत्री ने सदन में विधायक इंद्र दत्त लखनपाल की ओर से नियम-130 के तहत उठाए गए मसले पर हुई चर्चा के जवाब में यह जानकारी दी. मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल आपदा की दृष्टि से संवेदनशील है. एक हाई पावर कमेटी द्वारा पहचाने गए कुल 33 खतरों में से प्रदेश 25 खतरों की श्रेणी में आता है. राज्य में हर साल प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता है. उन्होंने कहा कि सरकार प्राकृतिक आपदाओं के प्रभावी प्रबंधन को लेकर कई कदम उठा रही है. राज्य में लोगों को भी विभिन्न माध्यमों से जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार वन संपदा को आग, बाढ़ व भूस्खलन से बचाव के लिए नई ठोस नीति लाई जाएगी. वनों को बाढ़ एवं भूस्खलन से क्षति को रोकने के लिए वन विभाग द्वारा सीएटी प्लान, कैंप एवं विभिन्न बाहरी सहायता परियोजनों के माध्यम से वनों का सरंक्षण सुनिश्चित किया जा रहा है.

हिमाचल में 17,120 भूस्खलन स्थलों की हुई पहचान: मुख्यमंत्री ने कहा है कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने हिमाचल में हिमाचल में 17,120 भूस्खलन स्थलों की पहचान की है. इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश जलवायु परिवर्तन केंद्र की मदद से पारछू सहित अन्य कमजोर झीलों की निगरानी की जा रही है. इसी तरह ग्लेशियर और ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट की भी नियमित रूप से निगरानी की जा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि किन्नौर जिले को भूस्खलन की रोकथाम की के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चयनित किया गया है. इसके तहत जिला स्तर पर सूक्ष्म स्तर पर मैपिंग की जा रही और भूस्खलन स्थानों की डीपीआर तैयार कर दी गई है.

जलवायु परिवर्तन पर अध्ययन: इसी तरह पर्यावरण प्रौद्योगिकी जलवायु परिवर्तन विभाग की मदद से राज्य के नदी प्रवाह क्षेत्रों यमुना, रावी, सतलुज और ब्यास के लिए जलवायु परिवर्तन अध्ययन किया जा रहा है. इसमें सतलुज व व्यास नदी प्रवाह क्षेत्र का अध्ययन किया जा चुका है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल में आपदाओं को कम करने और लोगों को जागरूक करने के कार्यो के लिए सरकार फ्रेंच डेवलपमेंट एजेंसी से 800 करोड़ की फंडिंग करवा रही है. फॉरेस्ट गार्ड और फायर वाचर रखने की जरूरत है.

आग पर काबू पाने के लिए संसाधनों की कमी: इससे पहले कांग्रेस विधायक इंद्रदत्त लखनपाल ने सदन में नियम-130 के तहत प्रदेश की वन संपदा को आग, बाढ़ व भूस्खलन से बचाव के बारे में प्रस्ताव पेश किया. इंद्रदत्त लखनपाल ने कहा कि राज्य में गर्मी के मौसम में वनों में आग की घटनाएं बड़े स्तर पर होती हैं, इससे हर साल करोड़ों की वन संपदा राख हो रही है. इसके लिए सरकार को ठोस नीति बनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इसके लिए फॉरेस्ट गार्ड के साथ फायर वाचर रखने की जरूरत है. लाहौल स्पीति के विधायक रवि ठाकुर ने कहा कि राज्य में आग को काबू में पाने के लिए संसाधनों की कमी है. उनका कहना था कि वन विभाग के ऑफिस में अफसरों की संख्या बढ़ रही है ,लेकिन फील्ड स्टाफ लगातार कम हो रहा है.

विधायकों ने ये भी कहा: विधायक केवल सिंह का कहना था कि वन विभाग फायर वाचर पहले रखे जाते थे, लेकिन अब इनको नहीं रखा जा रहा. नाहन के विधायक अजय सोलंकी ने आग से वन को बचाने की एक बड़ी चुनौती और भूस्खलन भी एक गंभीर समस्या बताया.कसौली के विधायक विनोद सुल्तानपुरी ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि एनएच भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं. बारिश के समय मलबा सड़कों पर आ जाता है. शिमला शहर के विधायक हरीश जनारथा ने एफसीए और एफआरए कानून को सरल बनाने की जरूरत बताई ,ताकि विकास कार्यों को जल्द पूरा किया जा सके. विधायक नीरज नैय्यर का कहना था कि हिमाचल में कुदरत की देन बहुमूल्य वन संपदा को संरक्षित करना सभी का फर्ज है. विधायक चैतन्य शर्मा का कहना था कि पयार्वरण संरक्षण के लिए सभी विधानसभा क्षेत्रों में कमेटियां बनाई जानी चाहिए.

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