अडानी समूह को 280 करोड़ रुपए लौटाने का मामला, अब 3 मार्च को होगी सुनवाई

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Published : Jan 14, 2023, 8:50 AM IST

Himachal High Court.

Himachal High Court: अडानी समूह की कंपनी अडानी पावर लिमिटेड को ब्याज सहित 280 करोड़ रुपए लौटाने के मामले में अब हिमाचल हाई कोर्ट में 3 मार्च को सुनवाई होगी.

शिमला: अडानी समूह की कंपनी अडानी पावर लिमिटेड को ब्याज सहित 280 करोड़ रुपए लौटाने के मामले में अब हाईकोर्ट में 3 मार्च को सुनवाई होगी. राज्य सरकार ने इस मामले में हाईकोर्ट को बताया है कि 280 करोड़ रुपए की अग्रिम प्रीमियम राशि को 9 फीसदी ब्याज सहित मैसर्स अडानी पावर लिमिटेड को वापिस करने से जुड़े मसले पर कारोबारी समूह से बातचीत कर कोई हल निकालने की कोशिश की जा रही है, ताकि प्रदेश सरकार को कोई आर्थिक नुकसान न हो. (Himachal High Court)

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमजद सईद व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष सरकार और अडानी समूह द्वारा एक दूसरे के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई. सरकार ने अदालत में बताया कि दोनों पक्षों में बातचीत चल रही है. इस पर सुनवाई 3 मार्च तक टाल दी गई है. उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सरकार को जंगी-थोपन-पोवारी जलविद्युत परियोजना के लिए अपफ्रंट मनी के लिए जमा किए गए 280 करोड़ रुपए की राशि वापिस करने के आदेश दिए थे.

सरकार ने इस मामले में अपील करने में देरी कर दी थी. इस पर राज्य सरकार को अपील दायर करने में हुई देरी को माफ करने की अर्जी भी देनी पड़ी थी. सरकार ने फीस वापसी के आदेशों पर रोक लगाने की गुहार भी लगाई थी लेकिन कोर्ट ने एकल पीठ के आदेशों पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 12 अप्रैल 2022 को जारी फैसले में सरकार को आदेश दिए थे कि वह पूर्व में 4 सितंबर, 2015 को कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार दो महीने की अवधि में यह राशि वापस करे.

एकल पीठ ने यह आदेश अडानी पावर लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर पारित किए थे. एकल पीठ ने यह आदेश भी दिए थे कि यदि सरकार 280 करोड़ रुपए की रकम दो माह के भीतर प्रार्थी कंपनी को वापिस करने में विफल रहती है तो उसे 9 फीसदी सालाना ब्याज सहित यह राशि अदा करनी होगी. पिछले साल 12 अप्रैल को पारित इस फैसले को सरकार ने अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी है. कंपनी ने विशेष सचिव (विद्युत) के 7 दिसंबर, 2017 को जारी पत्राचार को हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर चुनौती दी थी.

कोर्ट ने कंपनी की याचिका को स्वीकार किया और 7 दिसंबर 2017 को जारी आदेश को रद्द कर दिया. साथ ही एकल पीठ ने कहा था कि जब कैबिनेट ने 4 सितंबर, 2015 को प्रशासनिक विभाग द्वारा तैयार किए गए विस्तृत कैबिनेट नोट पर ध्यान देने के बाद स्वयं ही यह राशि वापस करने का निर्णय लिया था तो यह समझ में नहीं आता कि अपने ही निर्णय की समीक्षा किस आधार पर की गई. मामले के अनुसार अक्टूबर 2005 में राज्य सरकार ने 980 मेगावाट की दो हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजनाओं जंगी-थोपन-पोवारी पावर के संबंध में निविदा जारी की थी.

इस संदर्भ में मैसर्स ब्रेकल कॉर्पोरेशन को परियोजनाओं के लिए सबसे अधिक बोली लगाने वाला पाया गया. उसके बाद ब्रेकल कंपनी ने अपफ्रंट प्रीमियम के रूप में 280.06 करोड़ रुपये की राशि राज्य सरकार के पास जमा कर दी. हालांकि, बाद में राज्य सरकार ने परियोजनाओं की फिर से बोली लगाने का फैसला किया. इसके बाद ब्रेकल ने राज्य सरकार से पत्राचार के माध्यम से 24 अगस्त, 2013 को अनुरोध किया था कि अडानी पावर लिमिटेड के कंसोर्टियम पार्टनर होने के नाते 280.00 करोड़ रुपये के अग्रिम प्रीमियम को अप टू डेट ब्याज के साथ उसे वापस किया जाए. अब मामले में सुनवाई 3 मार्च को होगी. (Case of returning Rs 280 crore to Adani group) (Adani group Hearing on 3rd March)

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