कसुम्पटी विधानसभा सीट: इस बार 68.24 फीसदी हुआ मतदान, कांग्रेस और BJP आमने सामने

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Published : Nov 16, 2022, 7:41 PM IST

Updated : Nov 16, 2022, 8:42 PM IST

Polling in Kasumpti

कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र में अबकी बार भी राज्य के औसत से कम मतदान हुआ है. हालांकि, इस बार कसुम्पटी में मतदान प्रतिशत में 1.43 फीसदी की बढ़ौतरी इस बार हुई है. कसुम्पटी में मतदान प्रतशित 66.86 फीसदी से बढ़कर 68.24 फीसदी मतदान हुआ है. (Kasumpti assembly seat)

शिमला: राजधानी शिमला के साथ लगती कसुम्पटी विधानसभा में अबकी बार दिलचस्प मुकबाला देखने को मिल रहा है. कसुम्पटी में अबकी बार कांग्रेस के दो बार विधायक रहे अनिरुद्ध से सामने जयराम सरकार के दमदार मंत्री सुरेश भारद्वाज है. सुरेश भारद्वाज शिमला शहरी सीट से लड़ते आए हैं लेकिन अबकी बार उनको कसुम्पटी से लड़ाया गया. कसुंपटी से 1998 के बाद से भाजपा का कोई भी उम्मीदवार नहीं जीत पाया है. ऐसे में यह सवाल है कि अबकी बार क्या भारद्वाज भाजपा को यह सीट दिला पाएंगे? (Kasumpti assembly seat) (himachal assembly elections 2022)

औसत से कम हुआ मतदान: शिमला की कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र में अबकी बार भी राज्य के औसत से कम मतदान हुआ है. हालांकि, इस बार कसुंपटी में मतदान प्रतिशत में 1.43 फीसदी की बढ़ोतरी इस बार हुई है. कसुम्पटी में मतदान प्रतशित 66.86 फीसदी से बढ़कर 68.24 फीसदी मतदान हुआ है. लेकिन राज्य की औसत से यह कम है. एक ओर जहां पूरे प्रदेश में औसतन 75.6 फीसदी मतदान अबकी बार हुआ, वहीं यहां पर मतदान की प्रतिशतता 68.24 रही. इस क्षेत्र के कुल 66, 824 मतदाताओं में से 45, 634 मतदाताओं ने मतदान किया, जिनमें 23,708 पुरुष और 21,926 महिला मतदाता शामिल है.

कसुम्पटी विधानसभा में कांग्रेस का रहा है दबदबा: कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र में हमेशा कांग्रेस का ही दबदबा रहा है. इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 1998 से अब तक के पांच चुनावों में यहां पर चार बार कांग्रेस जीती है, केवल एक बार 1998 में भाजपा जीत पाई. 2017 के चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र में कुल 61183 मतदाताओं ने मतदान किया. इसमें कांग्रेस ने 53.52 फीसदी मत हासिल किए थे, जबकि भाजपा को 30.72 फीसदी मत मिले. यहां पर सीपीएम भी सक्रिय है.

सीपीएम पिछले विधानसभा चुनावों में तीसरे स्थान पर रही थी. सीपीएम को तब 11.40 फीसदी मत मिले जबकि एक निर्दलीय भी 2.51 फीसदी मत ले पाए थे. बाकी दो निर्दलीयों में प्रत्येक को एक फीसदी से भी कम मत पड़े. मौजूदा कांग्रेस के विधायक अनिरूद्ध सिंह दो बार लगातर चुनाव से जीत चुके हैं और इस बार तीसरी बार वह चुनावी दंगल में हैं. भाजपा के पास अबकी बार सुरेश भारद्वाज सशक्त उम्मीदवार है.

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अबकी बार कांग्रेस को मिल रहा है कड़ा मुकाबला: शिमला शहर के साथ के कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र में अबकी बार कांग्रेस को भाजपा से कड़ा मुकाबला मिल रहा है. कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र में अबकी बार छह उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. इनमें कांग्रेस के अनिरूद्ध सिंह, भाजपा के सुरेश भारद्वाज, माकपा के डॉ कुलदीप सिंह तंवर, बीएसपी के कामेश्वर, आप के राजेश चानना और आरडीपी के राम प्रकाश है. हालांकि यहां पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में ही देखने को मिल रहा है, लेकिन सीपीएम को भी यहां कम नहीं आंका जा सकता. सीपीएम और इनका संगठन किसान सभा यहां लगातार सक्रिय रही है. ऐसे में वह यहां पर जीत और हार को तय करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.

एक रणनीति के तहत भारद्वाज को शिमला से भेजा गया कसुम्पटी : भाजपा ने एक रणनीति के तहत शहरी विकास मंत्री को शिमला से हटाकर कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र भेजा है. यहां पर लगातार चार चुनावों में भाजपा का एक भी उम्मीदवार जीत नहीं पाया. इससे यहां संगठन में भी एक तरह की शिथिलता भी आ गई है. कसुम्पटी में शिमला नगर निगम के पुराने 12 वार्ड शामिल हैं. सुरेश भारद्वाज जयराम सरकार में वह शहरी विकास मंत्री रहे हैं. भारद्वाज के अधीन शहरी विकास विभाग के तहत इन क्षेत्रों में स्मार्ट सिटी के तहत कई काम भी हुए हैं. इसका फायदा भाजपा उठाना चाह रही है.

सुरेश भारद्वाज पार्टी के अध्यक्ष सहित कई अहम पदों पर रह चुके हैं. इसके अलावा वह भाजपा युवा मोर्चा और एबीवीपी में भी काम कर चुके हैं. इस तरह सुरेश भारद्वाज को सरकार और संगठन में काम करने का भी अनुभव हैं. ऐसे में सुरेश भारद्वाज मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं. हालांकि उनका चुनाव क्षेत्र अंतिम समय में बदला गया है, इसके लिए वह पहले तैयार भी नहीं थे. कम समय में इतने बड़े ग्रामीण क्षेत्र को कवर करना और लोगों को आश्वस्त करना एक बड़ी चुनौती उनके लिए रही है.

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राजघराने के अनिरूद्ध सिंह हैट्रिक लगाने का कर रहे हैं प्रयास: कसुम्पटी से अनिरुद्ध सिंह दो बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने जा चुके हैं. ऐसे में इस बार हैट्रिक बनाने की कोशिश में हैं. वह विधायक चुने जाने से पहले शिमला जिला परिषद के चैयरमैन भी रहे हैं. अनिरूद्ध सिंह का एक पक्ष यह है कि वह राजघराने से संबंधित हैं. राजपरिवार होने के नाते कसुम्पटी के कई इलाके में उनके प्रति श्रद्धा भाव भी रहा है. अनिरूद्ध सिंह की लोगों में, खासकर युवाओं में अच्छी खासी पैठ है. अब तक चुनावों में भाजपा का कमजोर प्रत्याशी होने के कारण अनिरुद्ध सिंह को इसका फायदा मिलता रहा है. लेकिन अबकी बार उनके सामने एक मजबूत दावेदार है. ऐसे में उनके सामने अबकी बार परिस्थितियां अलग हैं.

कुलदीप तंवर की इलाके में सक्रियता: सीपीएम ने कसुम्पटी से कुलदीप सिंह तंवर को चुनावी मैदान में उतारा है. वे पिछले चुनावों में भी यहां से लड़ चुके हैं. डॉ तंवर वन विभाग में आईएफएस छोड़कर सामाजिक कार्यों में जुटे हैं. वे किसान सभा के अध्यक्ष रहे हैं. किसान सभा पूरे प्रदेश में किसानों की लड़ाई लड़ती रही है. जंगली जानवरों से खेती को हो रहे नुकसान को लेकर किसानों की लड़ाई लड़ने में इस संगठन की बड़ी भूमिका रही है. कसुम्पटी इलाके में भी किसानों की जानवरों और दूसरी समस्याओं को लेकर यह संगठन काफी समय से सक्रिय रहा है.

कसुम्पटी में नशे की समस्या मुख्य मुद्दा: कसुम्पटी में इस बार के चुनावों में विकास और नशे की समस्या बड़ा मुद्दा रहा है. कसुम्पटी शिमला शहर के साथ का लगता इलाका है. यहां पर सड़कों की हालात, स्वास्थ्य संस्थानों और शिक्षण संस्थानों में स्टाफ की कमी जैसे मुद्दे रहे हैं. बीते पांच सालों में हिमाचल में बीजेपी की जयराम सरकार रही है और यहां से विधायक कांग्रेस के रहे हैं. जाहिर तौर पर विपक्ष के विधायक होने के नाते यहां उतना काम नहीं हो पाया.

कांग्रेस आरोप लगाती रही हैं कि जयराम सरकार ने इस इलाके में कोई काम नहीं किया और जो काम विधायक निधि से करवाने की कोशिश की गई उसमें भी अड़ंगा लगाया. शिमला शहर की तरह इस इलाके में नशा तेजी से बढ़ा है. इस चुनाव में यह भी एक मुद्दा है, जिसको खत्म करने की बात भी चुनाव में कही गई है.

अमित शाह और जेपी नड्डा ने किया प्रचार: कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र में इस बार के चुनाव के लिए भाजपा के दो बड़े दिग्गज नेता प्रचार के लिए आए. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यहां भट्टाकुफर में एक बड़ी जनसभा की. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने न्यू शिमला में एक रोड शो किया था.

Last Updated :Nov 16, 2022, 8:42 PM IST
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