राजदरबार से रुष्ट होकर चले गए थे यह देवता! क्रोधित होकर मंडी के राजा ने लगा दी थी पेशी

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Published : Feb 26, 2020, 12:22 PM IST

rishi markanday story in International Shivaratri Festival

अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के दौरान मंडी में कई देवी-देवता इकट्ठे हुए हैं, जिनमें से ऋषि मार्कंडेय भी एक हैं. इनसे संबंधित कई दंत कथाएं प्रचलित हैं.

मंडी: मंडी जनपद के वरिष्ठ देवता ऋषि मार्कंडेय का शिवरात्रि महोत्सव और मंडी रियासत के साथ गहरा नाता है. शिवरात्रि महोत्सव में वरिष्ठता में अग्रणी ऋषि मार्कंडेय के प्रति लोगों की प्रगाढ़ आस्था है. माना जाता है कि देवता के पास सच्ची श्रद्धा से मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है.

देवता के पुजारी का यहां तक कहना है कि देवता कुष्ठरोग तक को ठीक कर देते हैं. रियासतों के दौर में देवता और मंडी के राजा का एक वृतांत आज भी प्रचलित है. कहा जाता है कि एक बार मंडी के राजा ने देवता को राज दरबार बुलाया और खुद ही वह दरबार में पहुंचने से लेट हो गए. इस दौरान सभी देवी-देवता मंडी जनपद के दरबार में पहुंचे थे, लेकिन राजा के समय पर न पहुंचने के चलते ऋषि मार्कंडेय गुस्सा होकर दरबार से चले गए.

देवता के पुजारी बलदेव राज के साथ ईटीवी भारत की टीम ने विशेष बातचीत की. देव पुजारी ने देवता और मंडी रियासत के राजा के वृतांत के बारे में विस्तार से जानकारी दी. पुजारी ने कहा कि राजा के देरी से आने पर जब देवता राजदरबार से बाहर निकले तो राजा वहां पर पहुंच गए. राजा की गाड़ी को आता देखकर देवता के देवरथ ने राजा की गाड़ी का शीशा तोड़ दिया.

इस पर राजा रुष्ट हो गए और उन्होंने अगले दिन राज दरबार में देवता और देवलूओं की पेशी लगा दी. राजा के क्रोध से देवता के देवलू विचलित हो गए. अगले दिन देवलू देवता के साथ राजदरबार में पहुंचे. ऋषि मार्कंडेय के देवव्रत के तेज और उग्र रूप को देखकर राजा को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने देवता का आदर सत्कार किया.

देवता के देवरथ में काले बाल लगे हुए थे. राजा ने उनकी वरिष्ठता को देखकर उन्हें सफेद बाल अर्पित किए. देवता के पुजारी का कहना है कि देवता के मूल स्थान पर एक मोहरा है जो कभी-कभार अपना रंग बदलता है. मोहरा कभी लाल रंग का हो जाता है, तो कभी सफेद रंग का.

वीडियो रिपोर्ट

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में हर देवता की अपनी एक अलग कहानी है और कहीं ना कहीं यह कहानी शिवरात्रि महोत्सव और मंडी रियासत के राजा से जुड़ी हुई है. देव और मानस के अनूठे मिलन के पर्व में आपको श्रद्धा के कई रंग देखने को मिलेंगे. कहीं ऐसी मान्यताएं और परंपराएं हैं, जिन पर विश्वास करना मुश्किल होता है, लेकिन लोगों के प्रगाढ़ आस्था को देखकर ऐसा लगता है कि मानव देवलोक से शिवरात्रि महोत्सव में छोटीकाशी मंडी में उतर आया हो.

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