सुजानपुर विधानसभा सीट पर साख की लड़ाई, भाजपा और कांग्रेस में से कौन बचा पाएगा अपनी प्रतिष्ठा ?

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Published : Nov 22, 2022, 4:59 PM IST

सुजानपुर विधानसभा सीट

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों में कई सीटों पर प्रत्याशियों की जीत साख का सवाल बनी हुई है. ऐसी ही एक सीट सुजानपुर विधानसभा सीट है, यहां पर मुकाबला एक ही गुरु के दो सियासी चेलों का है. एक तरफ कांग्रेस के दिग्गज राजेंद्र राणा है तो दूसरी तरफ भाजपा प्रत्याशी (सेवानिवृत्त) कैप्टन रणजीत सिंह मैदान में हैं. पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार घूमल का गढ़ माने जाने वाली सुजानपुर विधानसभा सीट पर साख की लड़ाई है. (Sujanpur Assembly Constituency)

हमीरपुर: सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं का मिजाज मतदान के प्रतिशत से आंकना बेमानी ही होगा. पिछले तीन विधानसभा चुनावों में यहां पर मतदान में 2 से 3% की बढ़ोतरी हुई है लेकिन यहां पर हमेशा नतीजे चौंकाने वाले रहे हैं. इस बार मतदाताओं ने मतदान में स्थिरता दिखाई है, महज आंशिक वृद्धि मतदान के प्रतिशत में हुई है लेकिन इस प्रतिशत के लिहाज से नतीजों को तय करना बेहद मुश्किल है. साल 2017 में प्रदेश में राजनीति की दशा और दिशा बदलने वाली सुजानपुर विधानसभा सीट में मुकाबला एक ही गुरु के दो सियासी चेलों का है. हिमाचल कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेंद्र राणा और भाजपा प्रत्याशी (सेवानिवृत्त) कैप्टन रणजीत सिंह मैदान में है. एक तरफ कांग्रेस के दिग्गज राजेंद्र राणा हैं, तो दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की टीम के प्रत्याशी (सेवानिवृत्त) कैप्टन रणजीत सिंह है.

कौन हैं कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र राणा: राजेंद्र राणा भाजपा की पृष्ठभूमि के नेता हैं, हालांकि यह अलग बात है कि उन्होंने भाजपा से अभी तक एक भी चुनाव नहीं लड़ा है. राजेंद्र राणा पंजाब में सरकारी कर्मचारी के रूप में भी दो साल कार्य कर चुके हैं. भाजपा से बागी होकर 2012 में उन्होंने सुजानपुर से पहली दफा निर्दलीय के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा और भाजपा और कांग्रेस को मात देते हुए यहां पर जीत हासिल की. राजेंद्र राणा भाजपा में रहते पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के काफी करीबी थे. आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतने के बाद वह पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से जुड़ गए और यहीं से फिर कांग्रेस पार्टी में उनका करियर शुरू हुआ. साल 2014 से 2017 तक वीरभद्र सरकार ने राजेंद्र राणा आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रहे और फिर 2017 में विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे.

कौन हैं भाजपा प्रत्याशी कैप्टन रणजीत सिंह: सेना में लंबे समय तक सेवाएं देने वाले सेना मेडल से नवाजे गए रिटार्यड कैप्टन रणजीत सिंह साल 1977 में डोगरा रेजिमेंट में बतौर सिपाही भर्ती हुए. रणजीत सिंह एनडीए खड़कवासला और आईएमए में सेवाएं दे चुके हैं. साल 2000 असम में उग्रवादियों से लोहा लेकर उन्होंने सराहनीय कार्य किया. इस अदम्य साहस के लिए उन्हें सेना मेडल से सरकार ने नवाजा. साल 2007 में सेना से रिटायर होने के बाद वह तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल से प्रभावित होकर भाजपा में शामिल हुए. बतौर कार्यकर्ता पार्टी में शुरुआत करते हुए रणजीत सिंह पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ के मंडल के संयोजक पार्टी ने नियुक्त किए और इसके बाद वे सुजानपुर भाजपा मंडल के अध्यक्ष भी बने. पंचायती राज व्यवस्था का रुख करते हुए, उन्होंने सुजानपुर के बीड़ बगेहड़ा वार्ड से जीत हासिल की. वर्तमान में वह भाजपा के प्रदेश पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ के संयोजक हैं.

दोनों प्रत्याशियों के पास है इतनी संपत्ति: दोनों ही प्रत्याशियों की संपत्ति की बात करें तो कांग्रेस उम्मीदवार राजेंद्र राणा 18 करोड़ से अधिक की संपत्ति के मालिक हैं. वहीं, भाजपा प्रत्याशी रंजीत सिंह के पास 33 लाख से ज्यादा की चल- अचल संपत्ति है. राजेंद्र राणा के पास बीए की डिग्री है. तो वहीं, कैप्टन रंजीत सिंह 12 वीं पास हैं. सेना में लंबे समय तक सेवाएं देने वाले सेना मेडल से नवाजे गए रि. कैप्टन रणजीत सिंह साल 1977 में डोगरा रेजिमेंट में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे.

सुजानपुर सीट पर मतदान: सुजानपुर के 104 मतदान केंद्रों में इस बार 73.96 प्रतिशत मतदान हुआ. यहां 73,210 मतदाताओं में से 54,148 ने 12 नवंबर को मतदान किया. इनमें 29,901 महिलाएं और 24,247 पुरुष मतदाता शामिल हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में यहां 73.93 प्रतिशत मतदान हुआ था. इस प्रकार सुजानपुर विधानसभा में मतदान की प्रतिशतता में .03 प्रतिशत की वृद्धि हुई. बेशक पिछले तीन विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार मतदान के प्रतिशत में बढ़ोतरी कम हुई है लेकिन यहां पर नतीजों का आकलन करना आसान नहीं है.

कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला: भाजपा ने एक पूर्व सैनिक को यहां पर चुनावी मैदान में उतारा है और कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष राजेंद्र राणा एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं. इन दोनों ही नेताओं को चुनावी राजनीति में आगे लाने का श्रेय पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को जाता है ऐसे में यह कहना भी गलत नहीं होगा कि एक ही गुरु के दो चेले चुनावी मैदान में हैं. यहां पर मतदान प्रतिशत के आधार पर कुछ भी कहना मुमकिन नहीं है. 2017 के चुनावों में यहां पर कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र राणा ने भाजपा के मुख्यमंत्री चेहरे पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को हराकर बड़ा उलटफेर किया था और इस बार भी प्रदेशभर के राजनीतिक जानकारों की निगाहें इस सीट पर टिकी हुई है. बेशक पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल चुनाव नहीं लड़ रहे हैं लेकिन भाजपा के वर्तमान प्रत्याशी कैप्टन रंजीत सिंह राणा उनके नाम पर ही चुनाव लड़ हैं.

अग्निपथ भर्ती योजना और पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा यहां पर अहम: सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र सैनिक बहुल इलाका माना जाता है. यहां पर पूर्व सैनिक और सेवारत सैनिकों के अधिक परिवार हैं. यहां पर 8000 के लगभग पूर्व सैनिक हैं, जबकि सेवारत सैनिकों का आंकड़ा तीन हजार के करीब है. इस विधानसभा क्षेत्र में एक पूर्व सैनिक मैदान में हैं, ऐसे में अग्निपथ भर्ती योजना और पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा भी यहां पर खूब चर्चा में हैं. सरकारी नौकरी में इस क्षेत्र से अधिक कर्मचारी हैं ऐसे में पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा अधिक चर्चा में है. वहीं, सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र में पर्यटन की संभावना जिला के अन्य विधानसभा क्षेत्रों के मुकाबले में कहीं अधिक है. यहां पर पर्यटन विकसित नहीं हो सका है. बसस्टैंड की बात करें तो सुजानपुर में बसस्टैंड भी नहीं बन सका है. मिनी सचिवालय का निर्माण तो यहां पर लगभग पूरा हो गया है लेकिन अभी तक इसका लोकार्पण भी नहीं किया जा सका है. इस क्षेत्र में पेयजल की दिक्कत भी लोगों को गर्मियों में पेश आती है, हालांकि यहां पर बड़ी पेयजल योजनाएं बनाई गई हैं, जिससे कुछ हद लोगों की समस्या का निदान हुआ है.

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