वैज्ञानिक डीआर भारद्वाज को मिला ISAF AWARD ,जानें उनकी उपलब्धियां

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Published : Jun 29, 2022, 1:49 PM IST

वैज्ञानिक डीआर भारद्वाज

डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के सिल्वीकल्चर एवं एग्रोफोरेस्ट्री विभाग के प्रधान वैज्ञानिक (वानिकी/कृषि वानिकी) डॉ. डीआर भारद्वाज को वर्ष 2019 के लिए प्रतिष्ठित इंडियन सोसायटी ऑफ एग्रोफोरेस्ट्री (आईएसएएफ) के स्वर्ण पदक से सम्मानित किया (ISAF Gold Medal Awardj)गया है

सोलन: डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के सिल्वीकल्चर एवं एग्रोफोरेस्ट्री विभाग के प्रधान वैज्ञानिक (वानिकी/कृषि वानिकी) डॉ. डीआर भारद्वाज को वर्ष 2019 के लिए प्रतिष्ठित इंडियन सोसायटी ऑफ एग्रोफोरेस्ट्री (आईएसएएफ) के स्वर्ण पदक से सम्मानित किया (ISAF Gold Medal Awardj) गया है. यह पुरस्कार इसी महीने केंद्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान झांसी में आयोजित इंडियन सोसायटी ऑफ एग्रोफोरेस्ट्री सोसायटी की कार्यकारी परिषद की बैठक के दौरान घोषित किया गया था.

27 सालों का अनुभव: डॉ. भारद्वाज को शिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में 27 वर्षों से अधिक का अनुभव है. इस दौरान उन्होंने 37 छात्रों को कृषि वानिकी और वनपालन के क्षेत्र में एक प्रमुख सलाहकार के रूप में मार्गदर्शन किया.उनके पास कई शोध उपलब्धियां हैं ,जिनमें हिमालयी क्षेत्र की कई वृक्ष प्रजातियों के प्रसार और पौधरोपण प्रौद्योगिकी का विकास शामिल है. उन्होंने हिमाचल में महत्वपूर्ण खाद्य बांस प्रजातियों पर सफलतापूर्वक कार्य किया है. कृषक समुदाय के बीच इन प्रजातियों की काफी मांग है.

बांस की प्रजातियों की पहचान की: प्रयोगों के आधार पर, राज्य की विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली बांस की प्रजातियों की भी पहचान, डॉ भारद्वाज द्वारा की गई है. उनके द्वारा राज्य के लिए कई कृषि वानिकी मॉडल भी विकसित किए गए. उत्तर-पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र की वृक्ष प्रजातियों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करने में सक्रिय रूप से शामिल रहे. हिमालयी क्षेत्र के चारे के पेड़ और बांस की प्रजातियों का मूल्यांकन, उनके पोषण मूल्य, चारे और ईंधन की लकड़ी के उत्पादन के लिए किया गया है. नौणी विवि के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल और विश्वविद्यालय के सभी संकाय और छात्रों ने डॉ. भारद्वाज को उनकी उपलब्धि और विश्वविद्यालय और राज्य का नाम रोशन करने के लिए बधाई दी.

1998 में की गई स्थापना: इंडियन सोसायटी ऑफ एग्रोफोरेस्ट्री की स्थापना 1998 में कृषि वानिकी के क्षेत्र में बुनियादी, अनुप्रयुक्त और रणनीतिक अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से की गई थी. सोसायटी का उद्देश्य कृषि वानिकी से संबंधित ज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्रसार करना और कृषि वानिकी के क्षेत्र में रुचि रखने वाले संगठनों के बीच घनिष्ठ सहयोग को प्रोत्साहित करना है.

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