शारदीय नवरात्रि 2022: जानिए मां को क्यों चढ़ाई जाती है केवल लाल रंग की चुनरी, इस नवरात्रि ऐसे करें माता को प्रसन्न

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Published : Sep 20, 2022, 8:23 AM IST

शारदीय नवरात्रि 2022

हिंदू धर्म में नवरात्रि शारदीय नवरात्रि का बहुत महत्व है. नवरात्रि मां शक्ति के 9 स्वरूपों की पूजा का मौका होता है. इसलिए नवरात्रि में पूजा अनुष्ठान के तरीके की जानकारी होना बेहद जरूरी है. इस साल नवरात्रि 2022 की शुरुआत 26 सितंबर से हो रही (Shardiya Navratri 2022) है, जो 5 अक्टूबर तक चलेगी. नवरात्रि में लाल रंग का महत्व होता है. आइये आपको बताते हैं कि आखिर मां को लाल रंग क्यों पसंद है. उन्हें नवरात्रि में लाल रंग की चुनरी ही क्यों चढ़ाई जाती है.

शिमला/ चंडीगढ़: नवरात्रि के महत्व और पूजा अनुष्ठान की संपूर्ण जानकारी के लिए हमने बात की करनाल के पंडित विश्वनाथ जी से. पंडित विश्वनाथ ने जानकारी दी कि नवरात्रि देवी का स्वरूप और अपनी शक्ति को उजागर करने की 9 सिद्धि हैं. लाल रंग (importance of red color in shardiya navratri) शक्ति, उत्साह और बल का प्रतीक माना जाता है. इसीलिए माता को लाल रंग खास पसंद है. जैसे लाल सिंदूर, लाल चुनरी और श्रंगार का सामान. उत्साह स्वरूप माता इन चीजों से प्रसन्न होती हैं.

नवरात्र (Shardiya Navratri 2022) के उपवास के बाद लाल गुड़ खाना इसीलिए शुभ माना जाता है. उसी तरह से पूजा में पुष्प का अपना महत्व है. पुष्प सुंदरता का प्रतीक है. इसीलिए नवरात्रि की पूजा में शक्ति स्वरूप मां को लाल फूल, खासकर गुड़हल का फूल बेहद पसंद है. माता पार्वती का श्रंगार रूप लाल है. इसीलिए उन्हें लाल चीजें पसंद हैं. माता की मूर्ति का लाल रंग से श्रंगार किया जाता है और उन्हें लाल चुनरी पहनाई जाती है. मां की मूत्रि पर लाल श्रंगार के सामान रखने, कीर्तन और जागरण करने से वो प्रसन्न होती हैं.

शारदीय नवरात्रि 2022

माता को प्रिय लाल रंग: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि लाल रंग को माता दुर्गा का सबसे प्रिय रंग माना जाता है. माता को चढ़ने वाली चुनरी भी लाल रंग की होती है. माता लाल रंग के वस्त्रों को धारण करती है. माता को पूजा के दौरान पुष्प अर्पित करने चाहिए. क्योंकि फूलों में कोमलता और सरसता दोनों के गुण विद्यमान है.

नवरात्रि में पूजा में लगने वाली सामग्री: मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो, सिंदूर, केसर, कपूर, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, चौकी, चौकी के लिए लाल कपड़ा, पानी वाला जटायुक्त नारियल, दुर्गासप्‍तशती किताब, बंदनवार आम के पत्तों का, पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, पांच मेवा, घी, लोबान,गुग्गुल, लौंग, कमल गट्टा,सुपारी, कपूर. और हवन कुंड, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य.

शहद, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, लाल रंग की गोटेदार चुनरीलाल रेशमी चूड़ियां, सिंदूर, आम के पत्‍ते, लाल वस्त्र, लंबी बत्ती के लिए रुई या बत्ती, धूप, अगरबत्ती, माचिस, कलश, साफ चावल, कुमकुम, मौली, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल ,फूल, फूलों का हार, पान, सुपारी, लाल झंडा, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, असली कपूर, उपले, फल व मिठाई, दुर्गा चालीसा व आरती की किताब, कलावा, मेवे, हवन के लिए आम की लकड़ी, जौ आदि.

नवरात्रि में किन बातों का रखें ध्यान- 9 दिनों में सात्विक भोजन ही करें और शराब, मांस-मछली का सेवन ना करें. साथ ही प्याज, लहसुन और अन्य तामसिक चीजें भी न खाएं. किसी का अपमान ना करें. नवरात्रि में दिन के समय सोना नहीं चाहिए, क्योंकि इस दौरान माता धरती पर भ्रमण करती हैं. 9 दिनों तक व्रत रखने वाले भक्तों को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.

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