Virbhadra Singh Birthday: पार्टी लाइन से हटकर मजबूती से अपनी बात कहते थे वीरभद्र, सर्जिकल स्ट्राइक और नोटबंदी का किया था स्वागत

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Published : Jun 23, 2022, 10:42 AM IST

Updated : Jun 23, 2022, 2:42 PM IST

वीरभद्र सिंह

हिमाचल की राजनीति में अब वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) देह रूप से मौजूद नहीं हैं, लेकिन उनका विजन और विचारों के प्रति दृढ़ता सदा नई सियासी पीढ़ी को प्रेरणा देती रहेगी. 5 दशक से भी अधिक लंबे राजनीतिक जीवन से उपजे अनुभव और जनता का नेता होने के कारण वीरभद्र सिंह का पूरे हिमाचल में व्यापक जनाधार था. उन्होंने नोटबंदी का भी स्वागत किया और राम मंदिर निर्माण के भी समर्थक रहे.

शिमला: हिमाचल की राजनीति में अब वीरभद्र सिंह (Virbhadra Singh) देह रूप से मौजूद नहीं हैं, लेकिन उनका विजन और विचारों के प्रति दृढ़ता सदा नई सियासी पीढ़ी को प्रेरणा देती रहेगी. 5 दशक से भी अधिक लंबे राजनीतिक जीवन से उपजे अनुभव और जनता का नेता होने के कारण वीरभद्र सिंह का पूरे हिमाचल में व्यापक जनाधार था. यही कारण है कि वे अपने निजी विचारों को बहुत ही मजबूती से साझा करते थे.

नोटबंदी का स्वागत किया: ये वीरभद्र सिंह ही थे, जिन्होंने न केवल नोटबंदी का स्वागत किया था, बल्कि सर्जिकल स्ट्राइक के लिए सेना की पीठ भी थपथपाई थी. जब वीरभद्र सिंह हिमाचल के सीएम थे तो 30 सितंबर 2016 को शिमला में मुख्यमंत्री के सरकारी आवास ओक ओवर में एक आयोजन में उन्होंने भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक का स्वागत किया था. शिमला में ओक ओवर में उस समय दुनिया के 30 देशों के प्रतिनिधि एक शांति मार्च के आयोजन के सिलसिले में आए थे.

सर्जिकल स्ट्राइक को सही कदम बताया था: उस शांति मार्च को रवाना करने के बाद मीडिया से चर्चा में वीरभद्र सिंह ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक का स्वागत किया था. तब उन्होंने कहा था कि कोई भी देश अपने यहां विदेशी धरती पर प्रशिक्षण ले रहे आतंकवादियों की तरफ से किए गए हमलों और बेकसूर लोगों की हत्याओं को सहन नहीं कर सकता. उन्होंने कहा था कि भारतीय सेना की तरफ से आतंकवादियों पर सर्जिकल स्ट्राइक सही समय पर उठाया गया सही कदम है.मंडी में एक आयोजन में 9 नवंबर 2016 को मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा था कि ये साहसिक कदम है.

नोटों को विमुद्रीकरण का स्वागत: मंडी में मीडिया से बातचीत में तब वीरभद्र सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी के 500 व 1000 रुपए के नोटों को विमुद्रीकरण के फैसले का स्वागत किया था. उन्होंने इसे साहसिक कदम भी बताया था. यही नहीं, जिस समय नोटबंदी हुई, वीरभद्र सिंह ने जनजातीय इलाकों में करंसी नोटों की कमी को दूर करने के लिए सरकारी हेलीकॉप्टर से 29 करोड़ रुपए की रकम भिजवाई थी. शिमला से हेलीकॉप्टर के जरिए किन्नौर के पूह व लाहौल -स्पीति के काजा में 100-100 रुपए के नोट पहुंचाए गए थे.

राम मंदिर का भी समर्थन: गौरतलब है कि नोटबंदी व सर्जिकल स्ट्राइक पर कांग्रेस नेतृत्व की राय अलग थी. इसी तरह वीरभद्र सिंह ने राम मंदिर निर्माण का भी भरपूर समर्थन किया था. इसके अलावा धर्मांतरण के खिलाफ कानून लाने वाले वे देश के पहले मुख्यमंत्री थे. वर्ष 2006 में जब धर्मांतरण को लेकर देश भर में कोई खास हलचल नहीं थी, वीरभद्र सिंह की दूरदृष्टि ने इस खतरे को भांप लिया था. वीरभद्र सिंह देश में राम मंदिर निर्माण के भी प्रबल पक्षधर थे और उन्होंने अनेक दफा मुगलों को आक्रांता कहा था.

जेब से बिल अदा किया: वीरभद्र सिंह इतिहास के छात्र रहे थे और उन्हें अध्ययन का शौक था. वीरभद्र सिंह अध्ययन प्रेमी थे. एक बार गेयटी थियेटर में बुक फेयर में उन्होंने किताबें खरीदी और अपनी जेब से बिल अदा किया था. वरिष्ठ मीडियाकर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि वीरभद्र सिंह की स्वतंत्र निजी सोच थी. वे अपने विचारों को लेकर मजबूती से अपना पक्ष रखते थे. इसके लिए वे किसी की परवाह नहीं करते थे. वीरभद्र सिंह ने देश में राजनीति का वो युग देखा है, जब आजादी के बाद से कांग्रेस की विचारधारा का व्यापक प्रभाव था. वीरभद्र सिंह बेशक सारी उम्र कांग्रेस में रहे, लेकिन अपने निजी विचार प्रकट करने में हमेशा दृढ़ता दिखाते थे. वीरभद्र सिंह के साथ मजबूती से खड़े रहने वाले कांग्रेस नेता हरीश जनारथा का कहना है कि सियासत में उनके जैसी हस्ती बिरले ही पैदा होती है. हरीश जनारथा का कहना है कि वीरभद्र सिंह का नाम सदा के लिए हिमाचल की जनता के दिल में रहेगा.


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Last Updated :Jun 23, 2022, 2:42 PM IST
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