आखिर हिमाचल में बाई-इलेक्शन पर क्यों राजी नहीं सरकार? राजनीतिक समारोह हो रहे तो चुनाव क्यों नहीं

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Published : Sep 25, 2021, 9:42 PM IST

Controversy over by-elections in Himachal Pradesh

हिमाचल प्रदेश में उपचुनाव न करवाने के फैसले से जयराम सरकार कटघरे में है. सवाल उठाए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों की बड़ी संख्या में जनसभाएं हो सकती है और उनमें सैकड़ों की संख्या में भीड़ जुट सकती है तो फिर उपचुनाव क्यों नहीं हो सकते.

शिमला: मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों के तमाम समारोहों के बावजूद प्रदेश में उपचुनाव न करवाने के फैसले से जयराम सरकार कटघरे में है. सवाल उठाए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों की बड़ी संख्या में जनसभाएं हो सकती है और उनमें सैकड़ों की संख्या में भीड़ जुट सकती है तो फिर उपचुनाव क्यों नहीं हो सकते. ऐसे में विपक्ष भी आरोप लगा रहा है कि जयराम सरकार चुनाव के लिए कुछ और समय चाहती है, ताकि प्रदेश में कुछ और घोषणाएं कर सके जिससे माहौल भाजपा के पक्ष में बने. प्रदेश में तीन विधानसभा सीटों फतेहपुर, जुब्बल-कोटखाई और अर्की के अलावा मंडी लोकसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं.

मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों की जनसभाएं लगातार जारी सितंबर महीने में केवल मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की बात करें तो 13 सितंबर को मुख्यमंत्री कांगड़ा जिले के दौरे पर रहे. 18 सितंबर को बल्ह विधानसभा, 20 सितंबर को बड़सर विधानसभा, 22 सितंबर को रोहड़ू विधानसभा और 26 सितंबर को मनाली विधानसभा क्षेत्र, 28 सितंबर को किन्नौर विधानसभा क्षेत्र, 29 सितंबर को बद्दी विधानसभा क्षेत्र का दौरा करने का कार्यक्रम है.

इन सभी दौरों के दौरान उन्होंने जनसभाएं भी संबोधित की. इसके अलावा कैबिनेट मंत्रियों ने भी सितंबर महीने में कई जनसभाएं आयोजित की. प्रदेश सरकार की तरफ से जनमंच कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया. हालांकि जनमंच में सोशल डिस्टेंसिंग का दावा प्रदेश सरकार की तरफ से किया जाता है. इस दौरान हिमाचल में केंद्रीय नेताओं के दौरा भी लगातार हो रहे हैं. जानकारी के अनुसार इसी महीने 2 और केंद्रीय नेताओं का हिमाचल आने का कार्यक्रम बन रहा है. ऐसे में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए चुनाव टालने की राय पर प्रश्नचिन्ह उठना स्वाभाविक है.

प्रदेश में 2 अक्तूबर से स्वर्णिम हिमाचल रथयात्रा शुरू: हिमाचल प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व के स्वर्ण जयंती वर्ष पर हिमाचल प्रदेश सरकार 2 अक्तूबर से स्वर्णिम हिमाचल रथयात्रा शुरू करेगी. दो महीने में यह यात्रा प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र में गुजरेगी. प्रदेश के विभिन्न विभागों के माध्यम से राज्य में 51 कार्यक्रम होंगे. कार्यक्रमों में भी भीड़ जुटना स्वाभाविक ही है इसके अलावा 25 जनवरी, 2022 को एक विशाल कार्यक्रम का आयोजन भी होगा. इसके सफल आयोजन के लिए विधायक डॉ. राजीव बिंदल की अध्यक्षता में एक कार्यकारी समिति बनाई गई है. स्वर्णिम रथ यात्रा लगभग दो महीने के दौरान प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों को कवर करेगी. रथ यात्रा के दौरान प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में लोगों के एकत्र होने का कार्यक्रम भी है.

प्रदेश सरकार ने लिया है छात्रों के लिए स्कूल खोलने का फैसला: प्रदेश सरकार ने 27 सितंबर से छात्रों के लिए खोलने का फैसला भी ले लिया है. हालांकि एक सप्ताह तक स्थिति की समीक्षा की जाएगी. फिलहाल सप्ताह के शुरुआती तीन दिन 12 वीं और 10वीं की कक्षाएं लगेगी और अगले तीन दिन 11वीं और 9वीं के छात्र स्कूल आएंगे. अगर स्थिति सामान्य रहती है तो इसके बाद 9वीं से छोटी कक्षाओं को खोलने पर भी फैसला होने की उम्मीद है.

प्रदेश में पहली सितंबर से छात्रों के लिए कॉलेज भी खोल दिए गए हैं. हालांकि इस दौरान एसओपी का पालन करना अनिवार्य किया गया है. प्रदेश में कोचिंग संस्थान और अन्य गतिविधियां भी सुचारू रूप से चल रही हैं. प्रदेश में जिम और स्पोर्ट सेंटर तक खोलने की अनुमति सरकार ने जारी कर दी है.

कहीं जल्द विधानसभा चुनाव करवाने की तैयारी में तो नहीं भाजपा: उप चुनाव छः माह के भीतर होने अनिवार्य है यदि स्थान खाली होने के समय आम चुनाव के लिये कुल समय ही एक वर्ष से कम बचा हो तो ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग केन्द्र सरकार से चर्चा कर के ऐसे चुनावों को छः माह से अधिक समय के लिये टाल सकता है. लेकिन वर्तमान में लोकसभा के किसी भी रिक्त स्थान के लिये उपचुनाव टालना असंभव है.

यही स्थिति उन राज्यों की है जिनमें 2022 के दिसम्बर में आम चुनाव होने है. इसलिये जब ऐसे राज्यों में उपचुनाव टाले गए हैं तो स्वभाविक है कि इन राज्यों के आम चुनाव 2022 के शुरू में ही उतर प्रदेश और पंजाब के साथ ही फरवरी-मार्च में ही करवाकर संवैधानिक संकट से बचा जा सकता है. अन्यथा इन राज्यों के उपचुनाव अभी अक्तूबर में ही हो जाने चाहिये थे जो नही हुए. इसलिए हिमाचल और गुजरात में समय पूर्व ही आम चुनाव करवाए जा सकते हैं. चार अक्तूबर को चुनाव आयोग फिर से बैठक करने जा रहा है. इस बैठक में उपचुनावों पर फिर से फैसला लिए जाने की चर्चा है.

माना जा रहा है कि दिल्ली दरबार ने प्रदेश सरकार के उपचुनाव टालने के फैसले पर खासी नाराजगी जाहिर की है. अब यदि उपचुनाव करवाने का फैसला लिया जाता है तो प्रशासन को कहना पड़ेगा कि उसका पिछला फैसला सही नहीं था. यह कहना पड़ेगा कि कोरोना की स्थिति में सुधार हुआ है, जबकि मंडी में ही इसका आंकड़ा बढ़ गया है. अध्यापक और बच्चे बड़ी संख्या में संक्रमित पाए गए हैं. ऐसे में यह उपचुनाव गले की फांस बन गए हैं.

विपक्ष का आरोप हार के डर से उपचुनाव नहीं करवा रही सरकार: प्रदेश में उपचुनाव नहीं होने पर विपक्ष भी उग्र हो गया है. विपक्ष जनसभाओं में खुलेआम यह आरोप लगा रहा है कि प्रदेश सरकार ने जानबूझकर चुनाव टालने की सलाह दी है. कुल्लू जिले में आयोजित कांग्रेस की रैली में विपक्ष के नेताओं ने एक स्वर में जयराम सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार को उपचुनावों में हार साफ दिखाई दे रही है.

इसलिए चुनाव आयोग के समक्ष अनेक प्रकार की दलीलें पेश कर उपचुनावों को टाला जा रहा है. विपक्ष के नेताओं का कहना है कि तीन विधानसभा सीटें जिन पर उपचुनाव होने वाले हैं वहां तो भाजपा की हार सुनिश्चित है और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अपने गृह जिला मंडी की लोकसभा सीट भी नहीं बचा पाएंगे.

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