हिमाचल की सेंट्रल यूनिवर्सिटी का हाल, यहां माइनस अंक वालों को भी मिल जाता है एडमिशन

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Published : Sep 25, 2021, 4:17 PM IST

Those who get minus marks in Central University Kangra are getting admission

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित सेंट्रल यूनिवर्सिटी में माइनस अंक पाने वालों को भी एडमिशन मिल जाता है. यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक का कहना है कि यूनिवर्सिटी का काम प्रवेश परीक्षा को करवाना और अभ्यर्थी की ओर से प्राप्त अंकों को संबंधित डिपार्टमेंट को भेजना होता है. एडमिशन की तमाम प्रक्रियाएं सरकार की ओर से बनाई गई प्रणाली पर ही अधारित रहती हैं.

धर्मशाला: रिजर्व सीटें खाली रहने की वजह से सेंट्रल यूनिवर्सिटी के न्यू मीडिया डिपार्टमेंट में एंट्रेस एग्जाम में माइनस में अंक हासिल करने वाले उम्मीदवार को भी दाखिला मिला गया है.ऐसे में पूरी प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में हैं. मामला हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले स्थित सेंट्रल यूनिवर्सिटी का है.


जानकारी के अनुसार, सीयू में एमए के न्यू मीडिया विभाग में एससी वर्ग की सीटें खाली रह गईं. मजबूरी में प्रबंधन को माइनस 5 अंक हासिल करने वाले छात्र को दाखिला देना पड़ा. प्रवेश परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग होती है. ऐसे में अभ्यर्थी को परीक्षा में माइनस पांच अंक आए. एससी वर्ग की चार सीटें खाली गईं थी और इस पर यूनिवर्सिटी ने इस अभ्यर्थी को प्रवेश दे दिया. प्रबंधन का कहना है कि सीटें खाली न रहें, इसलिए अभ्यर्थी को प्रवेश दिया है. इस वर्ग में सबसे ज्यादा अंक माइनस पांच थे.

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डिपार्टमेंट ऑफ न्यू मीडिया में एडमिशन के लिए जारी की गई सूची में सामान्य वर्ग से सबसे अधिक 21.5 अंक लेने वाले कृतीर्थ को पहला स्थान मिला है. वहीं, शिवांगी को दूसरा और आयुष तीसरे स्थान पर रहे हैं. प्रवेश सूची में सामान्य वर्ग से 20 अभ्यर्थियों को वेटिंग लिस्ट में स्थान दिया गया है. इसमें 6.75 अंक लेने वाला अभ्यर्थी जहां वेटिंग लिस्ट में शीर्ष पर हैं, लेकिन विडंबना यह है कि माइनस एक अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थी को भी सामान्य वर्ग की वेटिंग लिस्ट में अंतिम 20 में स्थान दिया गया है.


डॉ. सुमन शर्मा, परीक्षा नियंत्रक, सीयू ने कहा कि यूनिवर्सिटी का काम प्रवेश परीक्षा को करवाना और अभ्यर्थी की ओर से प्राप्त अंकों को संबंधित डिपार्टमेंट को भेजना होता है. इससे आगे की प्रक्रिया संबंधित विभाग की ओर से अमल में लाई जाती है. उन्होंने कहा कि ये तो तमाम प्रक्रियाएं सरकार की ओर से बनाई गई प्रणाली पर ही अधारित रहती हैं. इसमें यूनिवर्सिटी ने कुछ नया नहीं किया है, न ही ये कोई बड़ा मुद्दा है, जिसे इस कदर सवालों के घेरे में रखा जाये.

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