हिमाचल प्रदेशः बारालाचा दर्रे में बर्फबारी जारी, यात्रियों को आवाजाही में हो रही परेशानी

author img

By

Published : May 6, 2021, 2:20 PM IST

बारालाचा दर्रे में बर्फबारी जारी

हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिला स्थित बारालाचा दर्रे में बर्फबारी जारी है. जिसकी वजह से वाहनों की आवाजाही प्रभावित हो रही है. बीते महीने बारालाचा दर्रे में दर्जनों गाड़ियां भी फंस गए थे लेकिन लाहौल-स्पीति प्रशासन द्वारा चलाए गए रेस्क्यू ऑपरेशन में सभी चालकों को सुरक्षित बचा लिया गया था. इसके बाद भी बारालाचा दर्रा अब बीआरओ के लिए परेशानी बना हुआ है. हालांकि, बीआरओ एक महीने में 4 बार इस दर्रे को वाहनों की आवाजाही के लिए बहाल कर चुका है लेकिन बार-बार बिगड़ रहा मौसम वाहनों की आवाजाही के लिए बाधा बन रहा है.

कुल्लू: पर्यटन नगरी मनाली से लेह का रोमांचक सफर करना अभी भी लोगों के लिए मुश्किल भरा है. हिमाचल प्रदेश के लागौल-स्पीति जिला स्थित बारालाचा दर्रे में बर्फबारी जारी है. इस वजह से वाहनों की आवाजाही प्रभावित हो रही है.

बर्फबारी बन रही वाहनों की आवाजाही में परेशानी

बीते महीने बारालाचा दर्रे में दर्जनों वाहन भी फंस गए थे, लेकिन लाहौल-स्पीति प्रशासन के द्वारा चलाए गए रेस्क्यू ऑपरेशन में सभी चालकों को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया था. इसके बाद भी बारालाचा दर्रा अब बीआरओ के लिए परेशानी बना हुआ है. हालांकि, बीआरओ एक महीने में 4 बार इस दर्रे को वाहनों की आवाजाही के लिए बहाल कर चुका है, लेकिन बार-बार बिगड़ रहा मौसम वाहनों की आवाजाही के लिए बाधा बन रहा है.

पिछले कुछ ही दिनों में फंसे एक हजार से अधिक लोगों को बचाने के लिए चलाए गए चार रेस्क्यू ऑपरेशन ने यह साफ कर दिया है कि बारालाचा दर्रा रोहतांग से भी ज्यादा खतरनाक साबित होने वाला है. अटल टनल के निर्माण से दुनिया के खतरनाक दर्रों में शामिल रोहतांग दर्रे से तो छुटकारा मिल गया है लेकिन सीमावर्ती क्षेत्र लेह लद्दाख की राह आसान नहीं हो पाई है. लेह लद्दाख में बैठे देश के प्रहरियों तक आसानी से पहुंचने और सालभर लेह को मनाली से जोड़े रखने के लिए बारालाचा, तांगलांग ला और लाचुंगला में टनल निर्माण करना होगा. रोहतांग दर्रा अटल टनल बनते ही तीन अक्टूबर 2020 के बाद मानों खामोश सा हो गया है लेकिन अब बारालाचा दर्रा सभी की जान जोखिम में डाल रहा है.

बारालाचा दर्रे में बर्फबारी जारी

पढ़ेंः मां के बाद, भारतीय क्रिकेटर वेदा कृष्णमूर्ति ने अपनी बहन को कोविड के चलते खोया

टनल का निर्माण करना है समाधान- बीआरओ कमांडर

इस बार सभी राहगीर भाग्यशाली रहे हैं कि उन्हें लाहौल-स्पीति पुलिस और बीआरओ ने फरिश्ता बनकर बचा रहा है. हालांकि आने वाले समय में बारालाचा दर्रा इस रोहतांग दर्रे से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है. एक महीने के भीतर बीआरओ चार बार बारालाचा दर्रे को बहाल कर चुका है. अब तक 250 लोगों को बचाया गया है. 13,050 फीट ऊंचे रोहतांग के ठीक नीचे लाहौल की ओर 18 किमी की दूरी पर कोकसर गांव हैं जबकि कुल्लू की ओर 15 किमी दूर मढ़ी है.

दूरसंचार सुविधा होने के चलते हर सम्भव मदद मिल जाती थी और विपदा के समय पैदल चलकर भी रेस्क्यू हो जाता था लेकिन परिस्थितियों के हिसाब से बारालाचा दर्रा रोहतांग की तुलना में अधिक जोखिमभरा है. मीलों दूरी तक न कोई बस्ती है, न ही दूरसंचार सुविधा है. दारचा और पटसेउ से लेकर लेह के उपसी तक कोई दूरसंचार व्यवस्था नहीं है. मात्र बीआरओ और पुलिस के सरचू में अस्थायी कैम्प ही राहगीरों का सहारा है. बीआरओ कमांडर कर्नल उमा शंकर ने बताया टनलों का निर्माण ही इन समस्याओं का समाधान है. बीआरओ लगातार दर्रो को बहाल करने में जुटा हुआ है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.