Oral Hygiene: किसी भी उम्र में नजरअंदाज न करें बच्चों के ओरल हाइजीन को, इन समस्याओं की बढ़ जाती है आशंका

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Published : Sep 17, 2022, 2:37 PM IST

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Dr Ira Vaishnav Pediatrician Delhi बताती हैं कि बच्चों के दांत निकलने के बाद ही नहीं बल्कि शुरुआत से ही उनके ओरल हाइजीन (Children Oral hygiene) का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है. सिर्फ मां के दूध पर निर्भर रहने वाले छः महीने से छोटे बच्चों की जीभ पर दूध जमने लगता है जिससे उनकी जीभ सफेद हो जाती हैं . How to clean tongue teeth mouth gums . Teeth gums problems in children .

आमतौर पर लोगों को लगता है कि ज्यादा छोटा बच्चा कुछ खाता तो है नहीं इसलिए उसके मुंह की साफ-सफाई (Oral Hygiene) की ज्यादा जरूरत नहीं होती है. इसलिए ज्यादातर मातापिता छोटे बच्चों के मुंह यानी उनकी जीभ व मसूड़ों की नियमित सफाई नहीं करते हैं, जो बिल्कुल गलत बात है. बच्चा चाहे मां के दूध पर निर्भर हो या ऊपरी आहार ले रहा हो, उसके दांत निकले हों या नहीं, उसकी जीभ, दांतों व मसूड़ों को स्वस्थ व रोगमुक्त रखने (Disease free healthy tongue, teeth and gums) के लिए बहुत जरूरी है की उसके ओरल हाइजीन (Children Oral hygiene) का विशेष ध्यान रखा जाए. चिकित्सकों का मानना है कि ऐसा ना करने से वे बच्चों में मुंह के संक्रमण (Mouth infections in children) तथा दांतों व मसूड़ों की (Teeth gums problems in children) समस्या को आमंत्रित करते हैं. चिकित्सकों का कहना है कि छोटे बच्चों में ओरल हाइजीन (Oral hygiene in young children) का ध्यान ना रखने से सिर्फ मुंह संबंधी ही नहीं बल्कि बैक्टीरियल इंफेक्शन (Bacterial infections) या अन्य समस्याओं बढ़ जाती है आशंका. Oral Hygiene in children .

शुरुआत से ही सफाई जरूरी: दिल्ली की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ इरा वैष्णव (Dr Ira Vaishnav Pediatrician Delhi) बताती हैं कि बच्चों के दांत निकलने के बाद ही नहीं बल्कि शुरुआत से ही उनके ओरल हाइजीन (Oral hygiene in children) का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है. कई बार हम देखते हैं कि सिर्फ मां के दूध पर निर्भर रहने वाले छः महीने से छोटे बच्चों की जीभ पर दूध जमने लगता है जिससे उनकी जीभ सफेद हो जाती हैं वही कई बार इसी कारण से उनके मसूड़ों पर भी सफेद लकीर नजर आने लगती है. ऐसा होना कई बार बच्चों में मुंह से बदबू आने या मुंह संबंधी अन्य (oral problems in children) समस्याओं के होने का कारण बन सकता है.

Dr Ira Vaishnav Pediatrician बताती हैं कि सामान्य तौर पर बच्चों के दांत छः महीने तक निकलने शुरू हो जाते है और इस समय तक बच्चों का ऊपरी आहार लेना भी शुरू हो जाता है. जो मीठा भी हो सकता है और नमकीन भी. बच्चे को भले ही तरल आहार दिया जा रहा हो या हल्का ठोस, उसके कण बच्चों की जीभ या मसूड़ों के किनारों पर चिपक सकते हैं. ऐसे में यदि शुरुआत से ही बच्चे के ओरल हाइजीन का ध्यान ना रखा जाय तो उनके मुंह में बैक्टीरिया के पनपने की आशंका बढ़ जाती है. जो सिर्फ उस समय ही नहीं बल्कि भविष्य में भी बच्चों में ओरल इन्फेक्शन (oral infections in children) और मसूड़ों व दांतों से जुड़ी बीमारियों जैसे सेंसटिविटी, पायरिया या कैविटी के होने के (Sensitivity, pyorrhea or cavity in children) जोखिम को बढ़ा देती हैं.

कैसे करें मुंह की सफाई (How to clean mouth): Dr. Ira Vaishnav बताती हैं कि ज्यादा छोटे बच्चे या ऐसे बच्चे जिनके दांत नहीं निकले हों, उनके मुंह की सफाई के लिए सबसे सुरक्षित और आसान तरीका है, एक मुलायम और साफ कपड़े को हल्के गुनगुने पानी में भिगोकर उससे बच्चे के मसूड़ों और जीभ को नियमित रूप साफ किया जाय. जब दांत निकलने वाले हो तो मसूड़ों की सफाई के दौरन बहुत ही हल्के दबाब के साथ उंगलियों से मसूड़ों की मालिश भी की जा सकती है. ऐसा करने से दांतों के निकलने के दौरान मसूड़ों में होने वाले दर्द, अकड़न या असहजता में आराम मिलता है. लेकिन मालिश करते समय इस बात का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी होता है कि मसूड़ों पर कभी भी ज्यादा रगड़ कर या ज्यादा दबाव बनाते हुए मालिश नहीं करनी चाहिए. दरअसल बच्चों के मसूड़े बहुत नाजुक होते हैं ऐसा करने से उनमें रगड़ लग सकती है, यहाँ तक की दांतों की शेप खराब होने का डर भी हो सकता है. इसके अलावा जब बच्चों के दांत निकलने लगे तो बच्चों के लिए विशेष तौर पर बाजार में मिलने वाले बेहद मुलायम बालों वाले टूथब्रश से भी उनकी सफाई की जा सकती है.

बच्चों को सिखाएं ब्रश करने का (Right way to brush) सही तरीका
डॉ इरा वैष्णव (Delhi Pediatrician Dr Ira Vaishnav) बताती हैं कि तीन-चार साल तक के बच्चे खुद से अच्छे से ब्रश (Brushing technique)) नहीं कर पाते हैं, ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वे अपनी निगरानी में बच्चे को सही तरह से (Brushing properly) ब्रश कराएं. साथ ही उन्हे दांतों-मसूड़ों तथा जीभ की सही तरह से साफ-सफाई ना करने से होने वाले नुकसान तथा ब्रश करने के फायदों (Benefits of brushing) के बारे में बताएं.

यहीं नहीं जब बच्चे स्वयं से ब्रश करना शुरू करते है तो उन्हें ब्रश करने की सही तकनीक सिखाएं (Correct brushing technique) जैसे ब्रश से मसूड़ों व दांतों को हमेशा हल्के हाथ से गोल-गोल घुमाते हुए साफ करना चाहिए. इसके अलावा दांतों को सिर्फ आगे वाली तरफ से ही साफ नहीं करना चाहिए बल्कि दांत के अंदर वाली तरफ यानी वह हिस्सा जो जीभ की तरफ होता है उसे भी अच्छे से साफ करना चाहिए क्योंकि सबसे ज्यादा जर्म्स या प्लाक (Germs or plaque accumulates) उन्हीं हिस्सों में जमता है.

माता-पिता की जिम्मेदारी ज्यादा (Parental responsibility) : डॉक्टर इरा बताती है कि सम्पूर्ण ओरल हाइजीन (Complete oral hygiene) को बनाए रखने के लिए सिर्फ सही तरह से (Brushing properly) तथा दिन में कम से कम दो बार ब्रश (Brushing properly twice a day) करना ही नहीं बल्कि और भी बहुत सी सावधानियों का ध्यान रखना जरूरी होता है. विशेष रूप से 1 से 3 साल के बच्चों के ओरल हाइजीन को बनाए रखने के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना काफी लाभकारी हो सकता है, जैसे...

बोतल से दूध पीने वाले अधिकांश बच्चों को रात को सोते समय बोतल में मीठा दूध पीकर सोने कि आदत पड़ जाती है. ऐसे में ज्यादातर बच्चे मुंह में बोतल लगाए-लगाए सो जाते हैं. और उनके दांतों पर मीठे दूध के कण जमा हो जाते हैं. जिससे कई बार बच्चों के दांतों में कैविटी होने की आशंका बढ़ जाती है. वह बताती हैं कि जब बच्चा 1 साल का हो जाए तो उसे सोने से पहले बोतल से दूध पीने की आदत छुड़ाने का प्रयास करना चाहिए. इसके स्थान पर सोने से पहले ग्लास या कप में दूध पीने तथा दूध पीने के बाद ब्रश या कम से कम कुल्ला करने की आदत डालनी चाहिए. ज्यादा छोटे बच्चे जो अपने आप दांतों की सफाई का ध्यान नहीं रख सकते उनके पेरेंट्स को बच्चे के सोने से पहले उसके दांतों की सफाई का ध्यान रखना चाहिए.

आमतौर पर 6 महीने के बाद जब बच्चा ऊपरी आहार लेना शुरू कर देता है तो कई बार पेरेंट्स उसे चॉकलेट, टॉफी और बिस्किट जैसी चीजें भी खिलाने लगते हैं. यही नहीं कई बार शिशु आहार भी बच्चों के मुंह के कोनों में या दांतों व मसूड़ों के किनारों पर चिपका रह जाता है. इसलिए बच्चा जब भी इस तरह का आहार खाए तो उससे हमेशा खाने का बाद ब्रश या कुल्ला करवाएं. Oral Hygiene in children .

बच्चा अगर पैसिफायर या टीदर का इस्तेमाल कर रहें है तो उनकी साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें. दरअसल कई बार बच्चा खेलते समय इन चीजों को जमीन पर गिरा देता है और फिर उसे उठा कर दोबारा मुंह में रख लेता है . वहीं जब बच्चा ऊपरी आहार लेने लगता है तो कई बार आहार के कण भी इन पर लंबे समय तक रह जाते हैं. जो कई बार मुंह में संक्रमण और यहां तक की कई बार बच्चों में पेट में दर्द या दस्त का कारण भी बन सकते हैं .

Pediatrician Dr Ira Vaishnav Delhi बताती हैं की बच्चों की दांतों व मसूड़ों संबधित परेशानियों को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. इसके अलावा दांत निकलने के शुरुआती दौर में तथा जब तक उसके पूरे दांत ना निकले, नियमित अंतराल पर बाल रोग विशेषज्ञ या ऑर्थोडॉन्टिस्ट (Orthodontist) से उनके दांतों की जांच करवाते रहनी चाहिए. जिससे इस अवस्था में होने वाली परेशानियों को कुछ हद तक कम किया जा सके. इसके अलावा बच्चे के लिए कम मात्रा वाले फ्लोराइड टूथपेस्ट (Best Toothpaste fluoride toothpaste) का ही इस्तेमाल करना चाहिए.

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