यमुनानगर में सरकार के दावों की खुली पोल, दामला की गौशाला में गोवंश मरने को मजबूर

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Published : Dec 2, 2022, 2:35 PM IST

Lala Wadhawa Ram Gaushala in Yamunanagar.

यमुनानगर के दामला गांव स्थित गौशाला में गोवंश घास और पानी न मिलने के चलते मरने को मजबूर हैं. जिससे हरियाणा सरकार के गोवंश को लेकर किए गए बड़े-बडे दावे खोखले नजर आ रहे हैं. (Lala Wadhawa Ram Gaushala in Yamunanagar)

यमुनानगर: हरियाणा के यमुनानगर के दामला गांव स्थित गौशाला (Lala Wadhawa Ram Gaushala in Yamunanagar) में गायों की हालत बद से भी बदतर है. ये गौशाला गायों के लिए कब्रगाह बनती जा रही है. यहां गायों के चारे के लिए यदि कोई दान दे देता है तो उन्हें खाने के लिए चारा नसीब हो जाता है, नहीं तो गायों को सूखे भूसे से काम चलाना पड़ता है. यहां भूख-प्यास से गोवंश मरने को मजबूर हैं. घास और पानी न मिलने के चलते गायें काफी कमजोर हो गई हैं और कुपोषण का शिकार होकर दम तोड़ रही हैं. जिससे हरियाणा सरकार के सारे दावे कही न कही सवालों के घेरे में हैं.

दरअसल यमुनानगर जिले के दामला गांव में आने वाली ये गौशाला लाला बधावा राम के नाम से जानी जाती है. लाला बधावा राम के पौत्र के निधन के बाद इसे पंचायत ने अंडरटेक कर लिया, लेकिन गांव के सरपंच की मौत के बाद सरकारी अधिकारी इसकी देखभाल करने लगे, लेकिन देखभाल शब्द यहां बेईमानी होगा. आप तस्वीरों में साफ देख सकते हैं कि कई गौवंश मरने की कगार पर हैं. किसी की आंख को पक्षी नोंच रहे हैं तो किसी से लहू बह रहा है, कोई बेसुध पड़ी है तो किसी की भूख-प्यास में जान जा रही है. (Bad Condition of Gaushala in Yamunanagar)

Lala Wadhawa Ram Gaushala in Yamunanagar
दामला की गौशाला में गोवंश मरने को मजबूर.

वहीं, अगर जिक्र गौशाला की साफ-सफाई और रखरखाव का किया जाए हैं तो तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि यहां कई दिनों से सफई नहीं हुई है. कई दिनों का गंदा पानी गायों के पास जमा है. गोबर के ढेर ये बताने के लिए काफी है कि यहां कितने दिन से सफाई नहीं हुई, लेकिन पूर्व कार्यवाहक सरपंच तो कुछ और ही कहते हैं. दरअसल ये जमीन लाला बधावा राम की थी जो उन्होंने गौचरण के लिए सरकार को दी थी, हांलाकि इस जमीन पर केस भी चला आखिर में इस जमीन को पंचायत को दे दिया गया.

बता दें कि गौशाला में करीब 300 गायें हैं लेकिन अधिकारियों की अनदेखी से गायें तड़प-तपड़ के मरने को मजबूर हैं. सवाल ये है कि सरकार के दावों को जब अधिकारी ही पलीता लगाएंगे तो इस गौशाला और उनमें रखी गई गायों का रखरखाव कौन करेगा. इसी तरह गोवंश को मरने के लिए छोड़ दिया जाएगा या फिर कोई इस तरफ ध्यान भी देगा.

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