पलवल: जोहड़ की खुदाई व सफाई के नाम पर लाखों रुपये का गबन (Johad Scan case) करने के मामले में नौ साल बाद तत्कालीन खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी पूजा शर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. अधिकारी भ्रष्टाचार के अन्य मामलों में निलंबित चल रही हैं. अधिकारी ने सरपंच व कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर गांव कुसलीपुर पंचायत के फंड का दुरुपयोग करते हुए जोहड़ की खुदाई के नाम पर 16,57,450 रुपये का घोटाला किया था. मामले में सरपंच से रुपयों की रिकवरी पहले ही की जा चुकी है. मामला जिला उपायुक्त के निर्देश पर वर्तमान खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी द्वारा दर्ज कराया गया है.
कैंप थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है. अभी तक आरोपी बीडीपीओ (FIR against BDPO in Palwal) की गिरफ्तारी नहीं हुई है. कैंप थाना प्रभारी अनिल कुमार ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि पलवल खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी नरेश कुमार ने पुलिस को दी शिकायत में कहा है कि तत्कालीन खंड विकास एवं पंचायती अधिकारी पूजा शर्मा द्वारा ग्राम पंचायत कुसलीपुर में जोहड़ की खुदाई, पानी निकासी तथा गाद निकासी के कार्य में सरपंच व अन्य कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर सरकारी फंड का दुरुपयोग किया गया. अधिकारी ने सरकार को करीब 16,57,450 रुपये का नुकसान पहुंचाया है. मामले में बीती 26 अगस्त को जिला उपायुक्त की ओर से आरोपी बीडीपीओ के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए गए. मामले की रिपोर्ट तीन दिन के अंदर सरकार को भेजने के भी निर्देश दिए गए हैं.
10 साल पहले हुई थी जोहड़ की खुदाई: वर्तमान में नगर परिषद में शामिल गांव कुसलीपुर नंबर-एक में साल 2012 में जोहड़ खुदाई का कार्य शुरू हुआ. जोहड़ खुदाई के बाद कुछ ग्रामीणों द्वारा गबन के आरोप लगाए गए और मामले की शिकायत अधिकारियों को दी गई. मामले में सरपंच भूदेव शर्मा व मैंबरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. मामले में सरपंच से गबन के रुपयों की रिकवरी कर ली गई. घोटाले में उस दौरान तैनात खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी पूजा शर्मा की भी मिलीभगत सामने आई.
सेवानिवृत IAS अधिकारी को सौंप गई जांच: खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी द्वारा घोटाले की बात सामने आने पर साल 2014 में मामले की जांच अतिरिक्त उपायुक्त व सेवानिवृत आईएएस अधिकारी महेंद्र कुमार को सौंपी गई थी. अधिकारियों द्वारा की गई जांच में बीडीपीओ पूजा शर्मा दोषी पाई गई. उपायुक्त ने अधिकारियों द्वारा की गई नियम-7 के तहत जांच रिपोर्ट लगाकर मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए हैं.
बता दें कि पलवल जिले में ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार का यह कोई नया मामला नहीं है. साल 2020-21 में मनरेगा के तहत हुए कार्यों में करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया था. ज्यादातर घोटाले जोहड़ खुदाई व मिट्टी भरत के नाम पर किए गए. बिना काम कराये ही राशि का भुगतान कर दिया गया. मामले में पांच बार चंडीगढ़ से विजिलेंस टीम जांच के लिए पहुंची और मामले में दोषी पाए गए छह बीडीपीओ, डीडीपीओ, ग्राम सचिव, एसडीओ व जेई सहित करीब 80 कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. परंतु अभी तक किसी अधिकारी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. मामले में कई अधिकारी अदालत से अग्रिम जमानत भी ले चुके हैं.
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