नूंह: मलेरिया का नूंह जिले से पूरी तरह से सफाया हो चुका है. लेकिन डेंगू के डंक का खतरा अभी भी बरकरार है. जिसे लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से तैयार है. मलेरिया की बात करें तो नूंह में मलेरिया के केस पिछले चार - पांच साल में बहुत कम हो गए हैं. चिकित्सकों की मानें तो थोड़ी सी सावधानी और जागरूकता के चलते इन बीमारियों से बचा जा सकता है.
मलेरिया के केस जहां 2015 में 6 हजार 380 थे. वहीं यह घटकर 2019 में सिर्फ 942 और 2020 में 24 हो गए. वहीं 2021 में मलेरिया के 4 केस मिले थे. वहीं 2022 में सिर्फ दो केस थे. इस वर्ष अभी तक नूंह में एक भी मामला मलेरिया का नहीं आया है. चिंता की बात ये है कि नूंह में डेंगू के केस बढ़े हैं. जहां 2021 में 524 मामले सामने आए थे. वहीं पिछले वर्ष डेंगू के 12 केस मिले थे. इस वर्ष अभी तक डेंगू के 5 मामले सामने आ चुके हैं.
पढ़ें : मलेरिया-डेंगू की रोकथाम के लिए पलवल स्वास्थ्य विभाग ने की तैयारियां
डिप्टी सिविल सर्जन डॉक्टर विक्रम ने बताया कि मलेरिया और डेंगू की के मच्छर साफ पानी में पैदा होते हैं. इनके कारण बीमारियां फैलती हैं. इसके बचाव के लिए अधिक दिनों तक घर के आस पास पानी को इकट्ठा नहीं होने दें. जिससे मच्छर पैदा नहीं होंगे तो यह बीमारियां भी नहीं होगी. उन्होंने बताया कि हर रविवार को ड्राई डे मनाएं और छुट्टी के दिन हमारे घर में जितने भी पानी के बर्तन हैं, जिसमें 6 - 7 दिन से पानी जमा हो रहा है, उनको पूरी तरह से खाली कर दें और उन्हें सुखा दें.
उन्होंने कहा कि अगर छत या टायर इत्यादि कहीं पर भी पानी इकट्ठा हो रहा है तो इस मच्छर के लारवा पैदा हो जाते हैं. अगर वाटर बॉडी है तो उसमें गांबुजिया मछली डाल दें ताकि वह लारवा को खा जाए. उन्होंने कहा कि जो पानी काम में नहीं आ रहा है, उसमें टेमीफोर्स नाम की दवाई डाल दें ताकि लारवा खत्म हो सके. डॉक्टर विक्रम ने बताया कि इस मौसम में लोगों को पूरी बाजू के कपड़े पहनने चाहिए ताकि मच्छर नहीं काटे.
इसके अलावा अगर डेंगू की बात करें तो तेज बुखार आना, गर्दन में अकड़न, आंखों के पीछे दर्द होना यह सब डेंगू के लक्षण हैं. ऐसे मरीज किसी भी नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर जांच करा सकते हैं. प्लेटलेट्स की जांच से लेकर पूरा इलाज मुफ्त किया जाता है. उन्होंने कहा कि कितना भी पैसा लगे, मलेरिया या डेंगू का इलाज पूरी तरह से फ्री किया जा रहा है.