अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव: पर्यटकों को लुभा रही स्टोन डस्ट पेंटिंग, जानें क्या है खास
Updated on: Nov 26, 2022, 1:34 PM IST

अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव: पर्यटकों को लुभा रही स्टोन डस्ट पेंटिंग, जानें क्या है खास
Updated on: Nov 26, 2022, 1:34 PM IST
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में इन दिनों अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव (International Gita Jayanti Festival) में हस्तशिल्प मेले में लकड़ी के फ्रेम पर बनी निशा की स्टोन डस्ट पेंटिंग पर्यटकों को खूब लुभा रही है.
कुरुक्षेत्र- धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में इन दिनों अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव (International Gita Jayanti Festival) की धूम देखने को मिल रही है. वहीं हरियाणा सरकार ने पर्यटकों के लिए रोड़वेज में किराए की 50 फीसदी छूट भी दी है. वहीं कुरुक्षेत्र में स्टोन डस्ट पेंटिंग ने लोगों को आकर्षित किया है. वहीं अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव कुरुक्षेत्र मे हस्तशिल्प मेले में लकड़ी के फ्रेम पर बनी निशा की स्टोन डस्ट पेंटिंग (stone dust painting) पर्यटकों को लुभा रही है.
मार्बल की कटिंग के दौरान निकलने वाली धूल को एकत्रित करके बनाई गई यह पेंटिंग कभी खराब नहीं होती. बता दें कि इस पेंटिंग के लिए निशा को साल 2010 में राष्ट्रीय अवार्ड मिल चुका है. उन्होंने साल 2010 में विष्णु भगवान के 10 अवतार वाली स्टोन डस्ट पेंटिंग बनाई थी जिसकी प्रदर्शनी उन्होंने चंडीगढ़ में की थी. उस पेंटिंग को राष्ट्रीय अवार्ड भी मिला था. इस दौरान निशा ने बताया कि पहले निशा और उनके पति सूरज ग्लास पेंटिंग करते थे.
स्टोन डस्ट से बनाई जाती है पेंटिंग: 22 साल पहले उन्होंने स्टोन डस्ट पेंटिंग बनाने की ठानी और इस पेंटिंग में काफी अच्छा नाम भी निशा ने कमाया. हालांकि शुरू में छोटी सी पेंटिंग बनाने में ही उसे महीनों लग गए थे. इसे बनाने के लिए मार्बल की कटिंग में निकलने वाले पाउडर को पहले छाना जाता है. इसके बाद बबूल के गोंद में मिलाकर मेहंदी लगाने वाली कीप में भरकर लकड़ी के फ्रेम पर टेक्स्ट पर लगाकर ड्राइंग की जाती है.
इसके बाद आउटलाइन और फिलिंग का काम किया जाता है. इस प्रकार कई बार फिलिंग करने के बाद फाइनल आउटलाइन लगाई जाती है और आखिरी में इस पर नक्काशी करके फनिशिंग के लिए ऑयल कलर प्रयोग किया जाता है. उन्होंने बताया कि यह पेंटिंग आउटडोर और इंडोर दोनों ही जगह पर रखी जा सकती है. यह कभी भी खराब नहीं होती. अपनी इस विधा के बारे में वह लगातार श्रम बस्ती में महिलाओं को प्रशिक्षण दे रही हैं. उन्हें प्रशिक्षण देकर कौशल विकास के बाद रोजगार के साथ भी जोड़ा जा रहा है.
साइज के हिसाब से रेट होता है तय- उन्होंने बताया कि साइज के हिसाब से इस पेंटिंग की कीमत अलग-अलग होती है. यहां पर 400 रुपये से लेकर पांच लाख तक की पेंटिंग मेले में रखी गई है. अगर कोई ग्राहक और भी बड़े फ्रेम पर पेंटिंग बनवाना चाहता है तो उसी हिसाब से इसकी कीमत बढ़ती जाती है. ये पेंटिंग प्रदर्शनी में आकर्षक का केन्द्र बनी हुई है.
मजबूत होती है ये पेंटिंग फ्रेम- उन्होंने बताया कि उनकी बनाई गई यह स्टोन पेंटिंग बहुत ही मजबूत हैं. ये पानी, धूप और मिट्टी से खराब नहीं होती. पत्थर का पाउडर वर्षों तक ऐसे ही रहता है. इस पर किया गया ऑयल पेंटिंग इसे और अधिक मजबूत और आकर्षक बनाता है. उन्होंने बताया कि शुरू में स्टोन पेंटिंग पर लोगों का विश्वास नहीं था लेकिन अब धीरे-धीरे मार्केट में आने के बाद यह बड़ी-बड़ी कोठियों के ड्राइंग रूम की शोभा बढ़ा रही हैं. साथ ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित भी कर रही है.
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स्टोन डस्ट पेंटिंग बनाने वाली पहली आर्टिस्ट हैं निशा- निशा ने कहा कि वो और उसके पति भारत में सबसे पहले ऐसे आर्टिस्ट है जिन्होंने देश में पहली बार डस्ट स्टोन पेंटिंग बनाई है. जो लोगों को खूब लुभा रही है. हालांकि अंतरराष्ट्रीय गीता मौसम विभाग पहली बार पहुंचे हैं और लोगों का भी काफी रुझान मिल रहा है. उन्होंने कहा कि देश में जितने भी ऐसे कार्यक्रम होते हैं उन सभी में भाग लेने जाते हैं वहां पर अपनी पेंटिंग को बेचते हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग आर्टिस्ट की कला को समझते हैं वो इस पेंटिंग को खरीदते हैं. हालांकि इसका मूल्य दूसरी पेंटिंग से थोड़ा ज्यादा होता है.
