कुरुक्षेत्र: श्रीमद्भगवद्गीता की जन्मस्थली ज्योतिसर में लोकसभा के स्पीकर ओम बिड़ला (Om Birla in Kurukshetra) और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भगवान श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप पर लाईट एंड साउंड शो का उद्घाटन किया. इस अद्भुत दृश्य को देखकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला मंत्रमुग्ध हो गए. उन्होंने हरियाणा सरकार के इस कदम की सरहाना की. उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक स्थलों को तीर्थाटन के रूप में विकसित करने की हरियाणा सरकार की यह अच्छी पहल है.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि इसी तरीके से इन स्थलों को बड़े तीर्थाटन स्थलों के रूप में विकसित किया जा सकता है. इस अवसर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि ज्योतिसर तीर्थ पर 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से भगवान श्री कृष्ण के विराट स्वरूप को स्थापित कर दिया गया है. इस स्थल पर थ्री-डी प्रोजेक्शन मैपिंग लाईट शो शुरू की गई है.
24 मिनट के इस शो को दिखाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. इसमें 30 हजार ल्यूमनस के प्रोजेक्टर, लेजर तकनीक, लाईट और अत्याधुनिक साउंड सिस्टम का प्रयोग हुआ है. इनकी मदद से भगवान श्री कृष्ण के विराट स्वरूप के अद्भुत दर्शन होंगे. इसके साथ-साथ फायर सिस्टम का भी प्रयोग किया गया है, जो इस लाईट एंड साउंड शो को और भी विहंगम बना देता है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि जल्द ही आमजन के लिए इस लाईट एंड साउंड शो का समय निर्धारित कर दिया जाएगा.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि ज्योतिसर तीर्थ पर ही 6 संग्रहालय बनाए जाएंगे. इन संग्रहालयों में वर्चुअली महाभारत, श्रीमद्भागवत गीता, कुरुक्षेत्र और 48 कोस से जुड़े प्रसंगों को दिखाया जाएगा. इसके लिए अत्याधुनिक तकनीक जैसे ऑगमेंटेड रियलिटी, होलोग्राफिक इमेज, रोबोटिक और ड्रोन आदि का इस्तेमाल किया जाएगा. इन संग्रहालयों में वर्चुअली अलग-अलग कहानियों को दिखाया जाएगा. यह कहानियां और प्रसंग एक निर्धारित समय के बाद बदले जाएंगे ताकि एक दफा कोई इन्हें देख ले और दोबारा आए तो उसे नए प्रसंग देखने को मिलें.
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आगाज आज से हो चुका है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शनिवार को गीता जयंती महोत्सव में सरस मेले का उद्घाटन (Gita Jayanti Mahotsav Saras Mela Kurukshetra) किया. ब्रह्मसरोवर के मीडिया सेंटर में पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गीता का संदेश हजारों साल बाद आज भी प्रासंगिक है. सरस मेले से हरियाणा की सांस्कृतिक महक व पहचान विदेशों तक पहुंचेगी.