Shardiya Navratri 2022: नवरात्रि के पहले दिन शक्तिपीठ मां भद्रकाली मंदिर में लगा भक्तों का तांता

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Published : Sep 26, 2022, 1:15 PM IST

Shaktipeeth Devikup Bhadrakali Temple Kurukshetra

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कुरुक्षेत्र स्थित हरियाणा का एकमात्र शक्तिपीठ मां भद्रकाली मंदिर (Bhadrakali temple kurukshetra) में नवरात्रि के पहले दिन श्रद्धलुओं का तांता लग गया. मां भद्रकाली मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है. (Shardiya Navratri 2022)

कुरुक्षेत्र: आज से शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2022) की शुरुआत हो गई है. नवरात्रि के पहले दिन मंदिरों में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा. नवरात्रि पर्व पर हरियाणा के एकमात्र शक्तिपीठ श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर (Shaktipeeth Devikup Bhadrakali Temple Kurukshetra) में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. श्रद्धालुओं ने पूरे विधि-विधान के साथ मां भद्रकाली की पूजा अर्चना की. मंदिर को विदेशी फूलों और फलों से सजाया गया है जो अद्भुत दिखाई दे रहा है.


पौराणिक कथाओं के अनुसार कुरुक्षेत्र में देव आदि देव भगवान शिव की पत्नी सती के दाये पैर का टखना गिरा था. जिसके बाद कुरुक्षेत्र में श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर (Bhadrakali Temple Kurukshetra) बना. यह देश की 52 शक्ति पीठों में से एक है. कुरुक्षेत्र धर्म भूमि पर यह पौराणिक सावित्री शक्ति पीठ भद्रकाली के नाम से विख्यात है. मान्यता है कि जो भी नवरात्र में सच्चे मन से कोई मनोकामना मां भद्रकाली से मांगता है तो वह जरूर पूरी हो जाती है.

शक्तिपीठ श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर

मान्यता है कि महाभारत के युद्ध से पूर्व पांडवों ने इसी सावित्री शक्ति पीठ में आराधना करके विजय की कामना की थी. महाभारत युद्ध के बाद भगवान श्री कृष्ण ने सबसे सुंदर घोड़ों की जोड़ी इसी मंदिर में चढ़ाई थी. भगवान श्री कृष्ण द्वारा महाभारत युद्ध के बाद से मंदिर में घोड़े चढ़ाने की प्रथा आज भी जारी है. वक्त के साथ भावना तो नहीं बदली, लेकिन अंदाज जरूर बदल गया. अब असली घोड़ों के स्थान पर श्रद्धा अनुसार श्रद्धालु सोने, चांदी, मिट्टी, चीनी मिट्टी के घोड़े मंदिर में चढ़ाते हैं.

प्रचलित कथाओं के अनुसार बाल्य काल में भगवान श्री कृष्ण का मुंडन सस्कार भी इसी सावित्री शक्ति पीठ कुरुक्षेत्र (Savitri Shakti Peeth Kurukshetra) में हुआ था. कहा जाता है कि मंदिर में विराजित देवी कूप में ही मां का टखना गिरा था. इस कूप के पास स्थित वृक्ष पर धागा बांध कर श्रद्धालु मन्नतें मांगते हैं. नवरात्रों में मां के दरबार में विशेष पूजा-अर्चना होती है.

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