सुखबीर बादल के लंगर वाले बयान पर चढूनी का पलटवार, बोले- ना मेरे पास उनका नंबर, ना ही बात हुई

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Published : Sep 9, 2021, 8:06 PM IST

Akali Dal President Sukhbir Badal

किसान नेता गुरनाम चढूनी और शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के बीच विवाद नजर आ रहा है. लंगर सेवा को लेकर दोनों नेता आमने-सामने नजर आ रहे हैं.

करनाल: किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी (Gurnam Chaduni Farmers Leader) ने शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल (Akali Dal President Sukhbir Badal) के उस बयान पर निशाना साधा. जिसमें सुखबीर बादल ने कहा था कि मुझे गुरनाम चढूनी का फोन आया है. उन्होंने लंगर की व्यवस्था (Langar In Karnal) करने की बात कही. जिसके बाद लंगर व्यवस्था के लिए सबको कहा गया है. सुखबीर बादल के दिए गए बयान पर गुरनाम सिंह चढूनी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि सुखबीर बादल का बयान बिल्कुल गलत है.

उन्होंने कहा कि गुरुद्वारे वाले सेवा लंगर पहले भी करते रहे हैं और करते रहेंगे. चढूनी ने कहा कि सुखबीर बादल ने क्या गुरुद्वारों का ठेका लिया हुआ है. गुरुद्वारे सेवा कर रहे हैं, लेकिन आज से नहीं बल्कि कई सालों से. उन्होंने कहा कि मैंने सुखबीर बादल से कोई बात नहीं की (Gurnam Chadhuni Sukhbir Badal controversy) और ना ही मेरे पास उसका नंबर है. ना ही मुझे उनका कोई फोन आया. मुझे तो ये लगता है कि शायद वो ऐसे बयान इसलिए दे रहे हैं, क्योंकि पंजाब में उनका विरोध हो रहा है और वो अब किसानों के मसीहा बनकर दिखाना चाहते हैं.

सुखबीर बादल के लंगर वाले बयान पर चढूनी का पलटवार

अब तक किसान और प्रशासन अपने-अपने रुख पर कायम हैं. जिसके चलते बातचीत किसी समझौते तक नहीं पहुंच पाई है. बुधवार को किसानों की 11 सदस्यीय कमेटी प्रशासन से बातचीत करने जिला सचिवालय पहुंची थी. मीटिंग में प्रशासन के आला अधिकारी मौजूद रहे. किसान करनाल एसडीएम (karnal SDM Ayush Sinha) पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, लेकिन तीसरी वार्ता विफल रहने के बाद किसानों ने लघु सचिवालय पर सिंघु और टीकरी बॉर्डर के जैसे आंदोलन करने का एलान कर दिया है.

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बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अधिकारी हमारी एक भी बात मानने को तैयार नहीं है. एसडीएम पर कार्रवाई की पहली मांग ही नहीं मान रहे तो बाकी दो मांगें तो क्या ही मानेंगे. इसलिए अब करनाल में यहीं सचिवालय पर पक्का मोर्चा बनेगा और धरना चलेगा. किसान तब तक बैठे रहेंगे, जब तक सरकार उनकी बात नहीं मानती. यहां भी दिल्ली के बॉर्डर की तरह धरना लगातार चलता रहेगा.

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