चौथे दिन किसान आंदोलन में पहुंची 80 साल की बुजुर्ग, बोली- सड्डा हक मिलना चाहिदा

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Published : Sep 10, 2021, 3:53 PM IST

Elderly woman farmers protest Karnal

करनाल लघु सचिवालय के बाहर किसानों को धरना (farmers protest in karnal) चौथे दिन जारी है. इस बीच किसानों के इस धरने से अलग-अलग तस्वीरें सामने आ रही हैं.

करनाल: एसडीएम आयुष सिन्हा (SDM Ayush Sinha) पर कार्रवाई की मांग को लेकर किसानों के धरना (Farmers Protest in Karnal) चौथे दिन भी जारी है. शुक्रवार को 80 साल की बजुर्ग धरने में शामिल होने के लिए पहुंची. जुंडला गांव से बुजुर्ग अपने बच्चों के साथ किसान धरने में शामिल हुई. 80 साल की बुजुर्ग चलने-फिरने में असमर्थ हैं. फिर भी वो व्हीलचेयर के जरिए किसानों के आंदोलन में शामिल हुई.

बुजुर्ग महिला के परिजनों ने बताया कि वो उनसे हर रोज किसान आंदोलन में जाने की जिद्द करती थी. लेकिन दिल्ली सिंघु बॉर्डर बहुत दूर है. स्वास्थ्य कारणों को देखते हुए वो उनको दिल्ली नहीं लेकर गए. अब जब करनाल में ये आंदोलन हो रहा है तो वो बुजुर्ग महिला के कहने पर उन्हें इस आंदोलन में ले आए. जब बुजुर्ग महिला से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने एक ही बात कही कि सड्डा हक मिलना चाहिदा.

चौथे दिन किसान आंदोलन में पहुंची 80 साल की बुजुर्ग, बोली- सड्डा हक मिलना चाहिदा

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परिजनों ने बताया कि करीब 1 साल से उनकी माता चल-फिर नहीं रही हैं. इसलिए वो सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर नहीं जा सकते थे. जब उनकी मां ने ज्यादा ही जिद्द की तो वो उन्हें करनाल में ही लेकर आ गए.

ये पूरा विवाद है क्या: दरअसल बीते दिनों सीएम का एक कार्यक्रम करनाल में था जिसका विरोध किसान कर रहे थे, इसकी सुरक्षा का जिम्मा तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के हाथों में था. उसी वक्त का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें आयुष सिन्हा कहते दिख रहे हैं कि जो भी किसान यहां आने की कोशिश करे उसका सिर फोड़ देना, इसी पर किसान भड़के हुए हैं. और करनाल लघु सचिवालय के बाहर धरना दे रहे हैं, जिसमें राकेश टिकैत भी शामिल हुए थे.

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किसानों की मांगें: इससे पहले 28 अगस्त को हुए लाठीचार्ज के विरोध में किसानों ने तीन मांगें सरकार के सामने रखी थी. पहली मांग ये है कि एसडीएम सहित जिन सरकारी अधिकारियों ने लाठीचार्ज किया था, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो. दूसरी मांग ये है कि जिस किसान की मौत हुई है, उसके परिवार को 25 लाख का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए. तीसरी मांग ये है कि पुलिस की लाठीचार्ज से घायल हुए सभी किसानों को दो-दो लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाए. इन तीनों मांगों को मानने के लिए किसानों ने सरकार को 6 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन सरकार ने इन मांगों को मानने से साफ इनकार कर दिया था.

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