बॉन्ड पॉलिसी मामला : फतेहाबाद में निजी अस्पतालों में बंद रही OPD, इमरजेंसी केस में ही मिली इलाज की सुविधा

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Published : Nov 28, 2022, 8:33 PM IST

OPD closed in private hospitals in Fatehabad treatment facility available only in emergency cases

बॉन्ड पॉलिसी का विरोध कर रहे MBBS छात्रों के समर्थन में फतेहाबाद के निजी अस्पतालों में भी OPD सेवाएं (OPD closed in private hospitals) बंद रही. आईएमए (IMA) फतेहाबाद के प्रतिनिधिमंडल ने छात्रों के परिजनों के साथ मिलकर मुख्यमंत्री के नाम प्रशासन को ज्ञापन सौंपा. जिसमें बॉन्ड पॉलिसी को वापस लेने की मांग की गई.

फतेहाबाद: MBBS छात्रों के समर्थन में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) से जुड़े निजी अस्पतालों में आज OPD सेवाएं बंद रही. जिले के निजी अस्पतालों में सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक OPD सेवाएं बंद रहने से केवल इमरजेंसी मामले में ही इलाज की सुविधा मिल सकी. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन फतेहाबाद के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री के नाम प्रशासन को ज्ञापन सौंपा. इस दौरान MBBS छात्रों के परिजन भी मौजूद रहे. इन्होंने बॉन्ड पॉलिसी को लेकर MBBS छात्रों की मांगों को जायज बताया.

बॉन्ड पॉलिसी का विरोध कर रहे MBBS छात्रों के में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का ओपीडी बंद करने का असर देखने को मिला. जिले के निजी अस्पतालों में भी मरीज परेशान नजर आए. गौरतलब है कि सोमवार को IMA ने निजी अस्पतालों में OPD सेवाएं बंद रखने का फैसला लिया था. हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन भी हड़ताली छात्रों को अपना समर्थन दे चुकी है. बता दें कि MBBS स्टूडेंट्स बॉन्ड पॉलिसी के विरोध में भूख हड़ताल पर बने हुए हैं. सरकार के साथ कई बार की वार्ता होने के बावजूद कोई समाधान नहीं निकला है. IMA के आह्वान पर सोमवार सुबह 8 से रात 8 बजे तक फतेहाबाद जिले के निजी अस्पताल बंद रहे.

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डॉक्टर सतीश बंसल ने बताया कि सरकार MBBS छात्रों पर बॉन्ड पॉलिसी थोप रही है, जोकि गलत है. IMA ने सोमवार को छात्रों के समर्थन में अस्पताल बंद रख बॉन्ड पॉलिसी का विरोध जताया है. उन्होंने कहा कि MBBS की पढ़ाई पूरी करने के बाद हर साल 2 हजार डॉक्टर तैयार हो रहे हैं, क्या सरकार सभी को नौकरी दे सकती है. उन्होंने सरकार से इस निर्णय पर दोबारा विचार करने का आग्रह किया. बॉन्ड पॉलिसी के कारण ही मेरिट के छात्र हरियाणा से बाहर जाकर एमबीबीएस कर रहे हैं. क्योंकि सरकार के द्वारा बॉन्ड पॉलिसी छात्रों पर थोपी जा रही है. उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को इस पॉलिसी में राशि और समय कम करना चाहिए ताकि पॉलिसी पर आपसी समन्वय बन सके.

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