चंडीगढ़: करीब एक दर्जन IAS और IPS अधिकारी न केवल सक्रिय राजनीति में अपनी किस्मत आजमा चुके, बल्कि कई अधिकारी मौजूदा चुनावी रण मेंभी ताल ठोंकने को तैयार बैठे हैं. खास बात ये है कि पूर्व गृह राज्य मंत्री आइडी स्वामी, कृपा राम पूनिया और अभय सिंह यादव के अलावा जितने भी अधिकारी इस मैदान में उतरे यहां उन्हें कोई खास ख्याति नहीं मिल पाई.
केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह के IAS बेटे बृजेंद्र सिंह
जम्मू कश्मीर की राजनीति में IAS अधिकारी शाह फैसल की अचानक हुई एंट्री ने हरियाणा के नए नौकरशाह भी प्रभावित है. केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह के IAS बेटे बृजेंद्र सिंह हरियाणा की राजनीति में कदम रखने को तैयार हैं. करीब 75 साल के बीरेंद्र सिंह अपने बेटे को राजनीतिक विरासत सौंपने के लिए उनकी जगह बनाने का काम कर रहे हैं.
बृजेंद्र सिंह की मां प्रेमलता जींद जिले की उचाना सीट से भाजपा विधायक हैं. एडीजीपी के पद से रिटायर हुए वी कामराज सुरक्षित सिरसा लोकसभा सीट से टिकट के प्रयास में हैं. उनका नाम अंबाला के लिए भी चल रहा है, लेकिन भाजपा उन पर शायद ही दांव खेले। अतीत की बात करें तो हरियाणा में नौकरशाहों की राजनीति में एंट्री का इतिहास पुराना और रोचक है.
आईडी स्वामी
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री रह चुके आईडी स्वामी हरियाणा काडर के IAS रहे हैं. एचसीएस से IAS बने स्वामी कमिश्नर के पद तक पहुंचे थे. आईडी स्वामी के उनके दामाद IPS अधिकारी रणबीर शर्मा लोक स्वराज पार्टी के संस्थापक हैं. उन्होंने कुछ दिनों तक आम आदमी पार्टी की राजनीति भी की. रणबीर शर्मा राज्य के पहले ऐसे नौकरशाह हैं, जो नौकरी छोड़कर राजनीति में कूदे.
कृपा राम पूनिया
1985-85 में रिटायर होकर चुनाव लड़ने वाले कृपा राम पूनिया को देवीलाल ने अपनी सरकार में मंत्री तक बनाया.पूनिया बसपा में भी रहे. 2013-2014 में वीआरएस लेकर चुनाव लडऩे वाले IAS अधिकारी अभय सिंह यादव फिलहाल भाजपा के नांगल चौधरी से विधायक हैं और विधानसभा में जमकर गरजते हैं. रिटायर्ड IAS अधिकारी आरएस चौधरी इनेलो की सक्रिय राजनीति कर रहे हैं और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं. जेल में बंद ओमप्रकाश चौटाला की गैर मौजूदगी में चौधरी पार्टी के थिंक टैंक के तौर पर काम करते आ रहे हैं.
रिटायर्ड IAS युद्धवीर ख्यालिया
रिटायर्ड IAS युद्धवीर ख्यालिया ने हिसार से आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी। रिटायर्ड IAS अधिकारी प्रदीप कासनी पिछले साल ही कांग्रेस में शामिल हुए.उनकी राजनीति में अंतर सिर्फ यह रहा कि हुड्डा सरकार में वह तबादलों से पीड़ित थे, जबकि हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक तंवर ने उन्हें अपनी पार्टी में एंट्री दिला दी.