चंडीगढ़: हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन (Haryana Civil Medical Service Association) ने स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को लेटर लिखा है. इस पत्र में एसोसिएशन ने हरियाणा में डॉक्टरों की भारी कमी का जिक्र किया है. इसके अलावा विभाग में फैले भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उठाया है. एसोसिएशन ने अपने पत्र में कहा है कि प्रदेश में स्पेशलिस्ट डाक्टरों की भारी कमी है.
हरियाणा में डॉक्टरों की कमी- हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन का कहना है कि आईपीएचएस (इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड) नॉर्म्स के मुताबिक प्रदेश में 241 एमडी मेडिसिन डॉक्टर की जरूरत है लेकिन मात्र 50 ही इस क्षेत्र के कार्य कर रहे हैं. जबकि अस्पतालों में 193 गायनोकोलॉजिस्ट की जरूरत है और केवल 95 ही मौजूद हैं. इसके साथ ही 231 एनेस्थीसिया के डॉक्टर होने चाहिए लेकिन मात्र 100 डॉक्टर ही इस पोस्ट पर कार्यरत हैं. प्रदेश में 146 पेडियाट्रिशियन की जरूरत है लेकिन अभी केवल 65 काम पर हैं. वहीं 143 सर्जन की जगह केवल 75 पोस्टेड हैं.
सरकारी नौकरी छोड़ रहे डॉक्टर- डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हरियाणा में लगभग दस हजार डॉक्टरों की जरूरत है. जबकि प्रदेश में मात्र 4000 डॉक्टर इस समय काम कर रहे हैं. कुछ जिलों में एक भी स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं है. एसोसिएशन का कहना है कि बहुत से डॉक्टर काम के बोझ, प्रमोशन ना होने, कम तनख्वाह, दवाइयों की कमी और संस्थानों में सुरक्षा व्यवस्था ना होने की वजह से सरकारी नौकरी छोड़ रहे हैं.
स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार- इसके अलावा एसोसिएशन ने अनिल विज से शिकायत की है कि स्वास्थ्य विभाग के अंदर जमकर भ्रष्टाचार फैला हुआ है. डॉक्टरों को तबादले और और पदोन्नति के लिए रिश्वत देनी पड़ती है. हरियाणा सरकार द्वारा स्थाई डॉक्टरों से लगभग डेढ़ गुना ज्यादा सेलरी एनएचएम ( अनुबंधित ) के माध्यम से भर्ती किए गए डॉक्टर को दी जा रही है. साथ ही पीजी का कोर्स कर रहे डॉक्टरों का इंक्रीमेंट भी रोक दिया गया है. हमारी स्वास्थ्य मंत्री से गुजारिश है कि इन मामलों में हस्तक्षेप करें और तमाम नीतियों में सुधार लाएं.
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