हरियाणा में हड़ताल पर सरकारी डॉक्टर, ओपीडी बंद होने से मरीज हुए बेहाल

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Published : Jan 11, 2022, 3:22 PM IST

Doctors Strike In Charkhi Dadri

हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (Haryana Civil Medical Services Association) के आह्वान पर प्रदेश भर के सरकारी डॉक्टर मंगलवार को हड़ताल पर हैं. चरखी दादरी में भी डॉक्टरों ने हड़ताल का समर्थन किया है.

चरखी दादरी: हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के आह्वान पर प्रदेश भर के सरकारी डॉक्टर मंगलवार को हड़ताल पर (doctors strike in haryana) हैं. चरखी दादरी में भी डॉक्टरों ने हड़ताल का समर्थन किया है. डॉक्टरों ने सुबह 11 बजे तक मीटिंग की और फिर हड़ताल पर चले गए. हालांकि पोस्टमार्टम सहित अन्य इमरजेंसी सेवाएं चालू हैं लेकिन डॉक्टरों की हड़ताल से ओपीडी बंद है जो मरीजों के लिए आफत बन गई. मरीजों को न तो ओपीडी में इलाज मिल रहा है और न ही इमरजेंसी में कोई देखभाल करने वाला है. ऐसे में सरकार और डॉक्टरों के बीच मरीज फंस कर रह गए हैं

चरखी दादरी जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों ने कार्य छोड़ते हुए मांगों के संदर्भ में रोष (Doctors Strike In Charkhi Dadri) जताया. जिले के सिविल हॉस्पिटल में जिला प्रधान डॉ. दीपक की अगुवाई में डाक्टरों ने रोष प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने बताया कि ओपीडी, सेवाएं सीएचसी से लेकर पीएचसी तक बंद की गई है. सरकारी अस्पतालों में सिर्फ आपातकालीन सेवाएं जारी रखेंगे. सरकार की तरफ से अगर 12 जनवरी तक उनकी मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया तो आगामी 14 जनवरी से हर स्वास्थ्य सेवाओं को बंद कर दिया जाएगा. जिसकी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी.

चरखी दादरी के अलावा सोनीपत में भी डॉक्टरों की हड़ताल का असर साफ दिखाई दिया. महामारी के बीच सोनीपत जिले को जोन-A में शामिल किया गया है. जिले में आए दिन कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं. वहीं मंगलवार को सोनीपत में सभी डॉक्टर हड़ताल पर चले गए. हड़ताल पर गए हुए डॉक्टरों का कहना है कि सरकार उनकी मांग पूरी नहीं कर रही है. इस वजह से सभी ओपीडी सेवाओं को बंद कर हड़ताल पर चले गए हैं. इसके अलावा रेवाड़ी में भी डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

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डॉक्टरों तीन प्रमुख मांग- हड़ताल पर गए डॉक्टरों की पहली मांग है कि सरकार एसएमओ की सीधी भर्ती न करें. वहीं दूसरी मांग स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की अलग कैडर बनाना है. तीसरी मांग है कि एसएमओ की सीधी भर्ती ना की जाए, जिन डॉक्टर्स को 10-15 साल का अनुभव है उन्हें एसएमओ बनाया जाए. हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (Haryana Civil Medical Services Association) के इस फैसले के बाद सरकार और प्रशासन के आलाधिकारी उन्हें मनाने में जुट गए हैं.

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प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि डॉक्टरों की मांगों पर सरकार से डॉक्टरों की सहमति भी हो चुकी है. फाइल राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के पास से होकर सीएमओ ऑफिस पहुंच चुकी है. चूंकि मांगें वित्त विभाग से जुड़ी हैं, इस वजह से फाइल पास नहीं हो पाई है. इस वजह से नया नोटिफिकेशन जारी नहीं हो पा रहा है.

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