पंजाब में प्रचंड जीत के बाद अब हरियाणा की बारी? जानिए क्या है AAP की अगली तैयारी

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Published : Mar 12, 2022, 6:50 PM IST

Updated : Mar 13, 2022, 6:15 PM IST

Aam Aadmi Party impact in Haryana

पंजाब विधानसभा चुनाव में आई आम आदमी पार्टी की आंधी का असर अब हरियाणा तक दिखने लगा है. पंजाब में AAP को मिले प्रचंड बहुमत ने हरियाणा की सियासी जमीन को भी हिला दिया है. हरियाणा विधानसभा चुनाव में तो अभी वक्त है लेकिन बदलाव के सवाल यहां की सियासी फिजा में तैरने लगे हैं. बड़ा सवाल ये है कि आम आदमी पार्टी की इस जीत का हरियाणा की राजनीति पर कितना असर (Aam Aadmi Party impact in Haryana) पड़ेगा?

चंडीगढ़: पंजाब विधानसभा चुनाव (punjab election 2022) ने देश में राजनीति की धारा बदल दी है. आम आदमी पार्टी की सुनामी में पंजाब के सभी पारंपरिक और मजबूत राजनीतिक किले धराशायी हो गए. ये परिणाम बीजेपी और कांग्रेस जैसी पार्टियों के लिए सुनामी साबित हुए. 117 विधानसभा सीटों वाले पंजाब के चुनावी इतिहास में पहली बार किसी पार्टी को 92 सीटों का प्रचंड बहुमत मिला है. दिग्गज प्रकाश सिंह बादल, कैप्टन अमरिंदर सिंह, सुखबीर बादल, नवजोत सिंह सिद्धू, चरणजीत सिंह चन्नी समेत कई दिग्गज इस चुनाव में धाराशाही हो गए. आम आदमी पार्टी की ऐसी आंधी चली कि उसमें पूरा बादल परिवार उड़ गया.

30 साल में ये पहला मौका है जब बादल परिवार से एक भी उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर पाया. पंजाब विधानसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद अब आम आदमी पार्टी की चाल भी बदल गई है. दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी की सरकार है. जाहिर सी बात है कि पंजाब चुनाव के हालिया नतीजों के बाद आम आदमी पार्टी की नजर हरियाणा पर टिक गई है. हरियाणा में भी अपनी राजनीतिक जमीन बनाने की कोशिश आम आदमी पार्टी पहले कर चुकी है. माना जा रहा है कि आने वाले महीनों में पंजाब की जीत हरियाणा की राजनीति को बड़े स्तर पर प्रभावित (AAP victory Effect in Haryana) कर सकती है.

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हरियाणा के रहने वाले हैं. अरविंद केजरीवाल का पैतृक गांव भिवानी जिले का सिवानी गांव है. दूसरी बड़ी वजह ये भी है कि दिल्ली से पंजाब का रास्ता हरियाणा से होकर गुजरता है. लिहाजा आम आदमी पार्टी अब दिल्ली और पंजाब के बाद हरियाणा में सियासत (Aam Aadmi Party in Haryana) की बिसात बिछाने की तैयारी में है. लेकिन सवाल ये है कि क्या हरियाणा में आम आदमी पार्टी का वो दांव सफल हो पायेगा जो पंजाब में हुआ.

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हरियाणा में सक्रिय हुई आप: जाति के आधार पर हरियाणा की सियासत जाट और गैर जाट मतदाताओं में बंटी है. लेकिन अब पंजाब में नतीजों के बाद हरियाणा में बदलाव के सवाल सियासी फिजा में तैरने लगे हैं. पंजाब में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में सक्रियता बढ़ा दी है. आप पार्टी ने हरियाणा में होने वाले 48 नगरपालिकाओं और नगर परिषद चुनाव में पार्टी चिह्न पर लड़ने का ऐलान कर दिया है. इसके लिए आप ने 28 नगर परिषदों के लिए प्रभारी भी नियुक्त कर दिए हैं. मतलब ये कि अब आम आदमी का अगला लक्ष्य साल 2024 में हरियाणा की सत्ता हासिल करना है.

पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत के बाद हरियाणा प्रभारी सुशील गुप्ता ने हरियाणा में पार्टी की मजबूती का दावा किया है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए आम आदमी पार्टी के पंजाब प्रभारी और दिल्ली विधानसभा के चीफ व्हिप जरनैल सिंह ने कहा कि इस साल जहां-जहां चुनाव हो रहे हैं. वहां लोग डिमांड कर रहे हैं कि वहां भी ऐसी ही काम करने वाली सरकार बनें. उन्होंने कहा कि हरियाणा में भी वो अपनी जड़ें मजबूत करेंगें. देश की जनता रिवायती पार्टियों से तंग आ चुकी हैं. उन्हें विकल्प चाहिए था जो उन्हें मिल चुका है.

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हरियाणा में आप का कितना जनाधार? वर्तमान की बात की जाए तो हरियाणा की सियासत में अभी तक AAP का कोई करिश्मा नहीं दिख पाया है. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को नोटा से भी कम वोट (AAP vote share in Haryana) मिले थे. आम आदमी पार्टी ने हरियाणा की 90 में से 46 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. जिसमें से कोई भी उम्मीदवार अपनी जमानत तक नहीं बचा पाया था. चुनाव आयोग के अनुसार, आप का वोट शेयर हरियाणा में 0.48 प्रतिशत था. जबकि नोटा के लिए 0.53 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया था.

Aam Aadmi Party impact in Haryana
साल 2014 के हरियाणा विधानसभा में आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत

इससे पहले आम आदमी पार्टी ने अप्रैल मई में हुए लोकसभा चुनाव के लिए हरियाणा में जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन किया था. जेजेपी 7 और आम आदमी पार्टी ने तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. रिटायर्ड डीजीपी पृथ्वी राज सिंह अंबाला, पेशे से वकील कृष्ण कुमार अग्रवाल करनाल और तीसरे प्रत्याशी नवीन जयहिंद फरीदाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़े. तीनों ही सीटों पर आप का प्रदर्शन बेहद खराब रहा और पार्टी उम्मीदवारों को 2 फीसदी से भी कम वोट मिला. आम आदमी पार्टी के अंबाला उम्मीदवार पृथ्वी राज को सिर्फ 12,302 वोट मिले. करनाल में कृष्ण कुमार अग्रवाल को 22,084 और फरीदाबाद सीट पर पर नवीन जयहिंद को महज 11,112 मिले.

लोकसभा चुनाव के ठीक बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही उसने ये गठबंधन तोड़ दिया. जिसके बाद साल 2019 का विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी और जननायक जनता पार्टी ने अलग-अलग लड़ा. हरियाणा में आम आदमी पार्टी की सक्रियता का अंजादा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि चुनाव के दौरान केजरीवाल हरियाणा में प्रचार के लिए भी नहीं आए थे.

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल

AAP के लिए संजीवनी- हलांकि दिसंबर 2021 में हुए चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में पहली बार आम आदमी पार्टी ने हिस्सा लिया और शानदार जीत दर्ज की थी. 35 सीटों वाले निगम में इस बार आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. सभी सीटों के नतीजे आने के बाद आप को 14 सीटें मिली. वहीं भाजपा 12 सीटों के साथ दूसरे और 8 सीट जीतकर कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही. चंडीगढ़ नगर निकाय चुनाव के नतीजे पंजाब और हरियाणा दोनो में आम आदमी पार्टी के लिए अपार संभावना और संजीवनी साबित हुआ.

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हरियाणा में आम आदमी पार्टी की जीत की संभावनाओं को लेकर हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंपरपाल गुर्जर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. कंवर पाल गुर्जर ने दावा किया कि पंजाब की जीत का हरियाणा की राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा. क्योंकि हरियाणा और पंजाब के राजनीतिक हालात अलग-अलग हैं. पंजाब में लोग राजनीतिक पार्टियों से निराश हो चुके थे. चाहे वो अकाली दल हो या कांग्रेस. दोनों ही ना तो पंजाब को नशे से छुटकारा दिला पाए, ना रोजगार दे पाए और ना ही शिक्षा को बेहतर कर पाए. पंजाब के लोग एक विकल्प ढूंढ रहे थे और उसी विकल्प की तलाश में लोगों ने आम आदमी पार्टी को मौका दिया.

Aam Aadmi Party impact in Haryana
हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर

उन्होंने कहा कि हरियाणा में बीजेपी शानदार काम कर रही है. लोगों को हर तरह से सुविधाएं दे रही है. बीजेपी सरकार ने किसानों के लिए भी कई नीतियां शुरू की हैं. प्रदेश सरकार द्वारा किए जा रहे कामों से यहां पर आम आदमी पार्टी को अपने पैर जमाने के लिए कोई जमीन नहीं मिलने वाली.

बीजेपी नेता की इस राय से कांग्रेस भी इत्तेफाक रखती है. हरियाणा कांग्रेस के प्रवक्ता केवल ढींगरा ने दावा किया कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत का हरियाणा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. पंजाब में आम आदमी पार्टी ने लोगों से झूठे वादे पर जीत हासिल की है, लेकिन हरियाणा में ऐसा नहीं हो सकता. क्योंकि हरियाणा विधानसभा चुनाव में अभी 2 साल से ज्यादा का वक्त है. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के पास हरियाणा में ना तो कोई संगठन है और ना ही कोई बड़ा चेहरा. इसलिए हरियाणा में आम आदमी पार्टी का कोई भविष्य नहीं है.

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जानें राजनीतिक विशेषज्ञों की राय: इस मुद्दे पर राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि अरविंद केजरीवाल तो पार्टी के गठन के साथ ही हरियाणा में एंट्री करने की कोशिश कर रहे हैं. एक वो खुद हरियाणा से हैं और दूसरा दिल्ली हरियाणा से सटा है. इसलिए हरियाणा में केजरीवाल अपनी राजनीति पहले दिन से ही चमकाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब की जीत के बाद हरियाणा की राजनीति पर इसका असर जरूर पड़ेगा. खासतौर पर उन इलाकों में जो इलाके पंजाब के साथ जुड़े हुए हैं. जैसे पंजाब के भटिंडा, संगरूर, पटियाला जैसे कई जिले हरियाणा की सीमा से सटे हुए हैं.

गुरमीत सिंह के मुताबिक हरियाणा में बीजेपी, जेजेपी और कांग्रेस तीनों ही मजबूत पार्टियां हैं. यहां पर जाट वोट बैंक भी काफी बड़ा है. जिसे हासिल करना आम आदमी पार्टी के लिए चुनौती रहेगा. लेकिन राजनीति में कुछ कहा नहीं जा सकता. हरियाणा की राजनीति में पैर जमाने के लिए आम आदमी पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि पार्टी की ओर से पंजाब में जो चुनावी वादे किए गए थे पार्टी उन्हें पूरा करे और पंजाब में विकास के काम करके दिखाए, ताकि उन कामों के दम पर पार्टी हरियाणा की राजनीति में पैर जमा पाए.

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आम आदमी पार्टी के साथ पिछला लोकसभा चुनाव लड़े चुकी जेजेपी नेता अजय चौटाला का कहना है कि हर पार्टी जीत का प्रयास करती है, लेकिन अंतिम फैसला जनता का होता है. पंजाब से हरियाणा की परिस्थितियां काफी अलग हैं. हर राज्य की अपनी परिस्थितियां और जरूरतें होती हैं. ऐसे में एक राज्य से दूसरे राज्य की तुलना सही नहीं है. बाकी प्रजातंत्र का अंतिम फैसला जनता को ही करना होता है.

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जेजेपी के संस्थापक अजय चौटाला

केजरीवाल के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि हरियाणा में उनके पास कोई ऐसा चेहरा नहीं है जिसका बहुत बड़ा जनाधार हो. इतने कम वक्त में हरियाणा के लोगों का विश्वास पाना थोड़ा मश्किल रहेगा. हरियाणा में बीजेपी, कांग्रेस, जेजेपी और इनेलो को टक्कर देना इतना आसान नहीं होगा. क्योंकि ये सभी पार्टी हरियाणा में पैर जमा चुकी है. दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी का हरियाणा में अभी कोई जनाधार नहीं है. पंजाब में आप के सांसद और विधायक पहले भी जीत चुके थे. दूसरा ये भी कि हरियाणा की राजनीतिक और भौगोलिक परिस्थितियां पंजाब और दिल्ली के मुकाबले एकदम अलग हैं. इन सबसे पार पाना केजरीवाल के लिए बड़ी चुनौती होगा.

देश में क्षेत्रीय दलों के नए उभार ने राजनीतिक दिशा को बदल दिया है. चुनाव से पहले तक पंजाब में आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन को राजनीतिक पंडित समझ नहीं पाये थे. हरियाणा में ये राह मुश्किल जरूर है लेकिन कहते हैं एक जीत कई साथी लेकर आती है. राजनीति अपार आकांक्षाओं और संभावनाओं का खेल है. इसलिए हरियाणा के संबंध में भी ये असंभव नहीं है. राजनीति के जानकारों का भी कहना है कि पंजाब के बाद हरियाणा के कई बड़े चेहरे आम आदमी पार्टी का दामन थाम सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो अगले चुनाव की तस्वीर बदल सकती है.

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Last Updated :Mar 13, 2022, 6:15 PM IST
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