धार्मिक संस्थान में अनियमितता की शिकायत, हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

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Published : Mar 28, 2019, 8:22 AM IST

Updated : Mar 28, 2019, 10:28 AM IST

अंबाला के ठाकुर द्वारा मंदिर में लेन-देन के हिसाब में खामियों को लेकर हाईकोर्ट सुनवाई की.

चंडीगढ़: संभालखा स्थित ठाकुर द्वारा मंदिर में खामियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. जिसके बाद सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के प्रभाव को लेकर एमिकस क्यूरी को कोर्ट की सहायता के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर हर छोटे-छोटे मंदिर के मामले में संज्ञान लेना पड़ा तो हाईकोर्ट चंदे का हिसाब करते ही रह जाएगा. पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने मामले में सीनियर एडवोकेट विकास बहल, एडवोकेट अमनदीप सिंह व प्रियंका कांसल को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है.

धार्मिक संस्थान में अनियमितता की शिकायत
मामले की सुनवाई के दौरान एडवोकेट विकास बहल ने हाईकोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ पुरी मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि कोई भी दो व्यक्ति किसी धार्मिक संस्थान में अनियमितता की शिकायत कर सकते हैं. जिला एवं सत्र न्यायाधीश इसकी जांच करवाएंगे और यदि इसमें खामियां पाई जाती हैं तो इसे हाईकोर्ट में भेजा जाएगा.

ठाकुर द्वारा मंदिर में घपलेबाजी
ऐसी ही एक शिकायत अंबाला के जिला एवं सत्र न्यायाधीश को मिली थी. जिसमें अंबाला के ठाकुर द्वारा मंदिर में जमीनों को फर्जी तरीके से बेचने और अकाउंट मैंटेन न करने के आरोप थे. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि कुछ बातें स्पष्ट होनी जरूरी हैं कि किस प्रकार के मंदिरों के मामले में यह आदेश लागू होते है. क्या हर छोटे-छोटे और घरों में मंदिर बनाकर इसे चलाने वाले भी इस श्रेणी में आते हैं. इस पर एमिकस क्यूरी विकास बहल ने कहा कि इस प्रकार के विवाद मामले में सिविल कोर्ट का विकल्प मौजूद होता है ,तो उसे ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए. पहले ये तय किया जाना चाहिए कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश किस आधार पर जांच करें और किन मामलों को हाईकोर्ट भेजें.

विस्तृत प्रस्ताव तैयार करने के निर्दे
हाईकोर्ट ने इस पर बहल को सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट को देखने के बाद अगली सुनवाई पर इस बारे में विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर हाईकोर्ट में सौंपने के आदेश दिए हैं.

Intro:हर मंदिर का मसला आएगा हाईकोर्ट तो हम तो चंदे का हिसाब ही लगाते रह जाएंगे: हाईकोर्ट 

-क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश छोटे-छोटे मंदिरों पर भी लागू हैं इसे निर्धारित करने में कोर्ट की करें सहायता: हाईकोर्ट 

-ऐसे मामलों के लिए सिविल कोर्ट के विकल्प विषय पर भी सहयोग करें एमिकस: हाईकोर्ट  

-अंबाला के संभालखा में मौजूद ठाकुर द्वारा मंदिर में पैसों के लेन-देन के हिसाब में खामी से जुड़ा है मामला 


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चंडीगढ़।

अंबाला के संभालखा स्थित ठाकुर द्वारा मंदिर में लेन-देन के हिसाब में खामियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार लिए गए संज्ञान पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के प्रभाव को लेकर एमिकस क्यूरी को कोर्ट की सहायता के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर हर छोटे-छोटे मंदिर के मामले में संज्ञान लेना पड़ा तो हाईकोर्ट चंदे का हिसाब करते ही रह जाएगा। 




Conclusion:पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने मामले में सीनियर एडवोकेट विकास बहल, एडवोकेट अमनदीप सिंह व पिं्रयंका कांसल को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है। मामले की सुनवाई केदौरान एडवोकेट विकास बहल ने हाईकोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ पुरी मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि कोई भी दो व्यक्ति किसी धार्मिक संस्थान में अनियमित्ता की शिकायत कर सकते हैं। जिला एवं सत्र न्यायाधीश इसकी जांच करवाएंगे और यदि इसमें खामियां पाई जाती हैं तो इसे हाईकोर्ट में भेजा जाएगा। हाईकोर्ट इसका संज्ञान ले जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई करेगा। ऐसी ही एक शिकायत अंबाला के जिला एवं सत्र न्यायाधीश को मिली थी जिसमें अंबाला के ठाकुर द्वारा मंदिर में जमीनों को फर्जी तरीके से बेचने और अकाउंट मैंटेन न करने के आरोप थे। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि कुछ बाते स्पष्टï होनी जरूरी हैं कि किस प्रकार के मंदिरों के मामले में यह आदेश लागू होते हैं। क्या हर छोटे-छोटे और घरों में मंदिर बनाकर इसे चलाने वाले भी इस श्रेणी में आते हैं। इसपर एमिकस क्यूरी विकास बहल ने कहा कि इस प्रकार के विवाद मामले में सिविल कोर्ट का विकल्प मौजूद होता है तो उसे ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए। पहले यह तय किया जाना चाहिए कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश किस आधार पर जांच करें और किन मामलों को हाईकोर्ट भेजें। हाईकोर्ट ने इसपर बहल को सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट को देखने के बाद अगली सुनवाई पर इस बारे में विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर हाईकोर्ट में सौंपने के आदेश दिए हैं। 


Last Updated :Mar 28, 2019, 10:28 AM IST
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