फौज के लिए धड़कता था भिवानी के पवन का दिल, सपना टूटा तो मौत को लगाया गले

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Published : Apr 30, 2022, 7:10 PM IST

youth hang himself in bhiwani

हरियाणा में बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि हरियाणा के युवाओं में भारतीय सेना में जाने का जूनून इस कदर है कि उनके सीने में दिल नहीं बल्कि फौज, फौज, फौज धड़कता है. ऐसा ही जूनून था भिवानी के तालु गांव निवासी 23 साल के पवन कुमार (pawan kumar committed suicide in bhiwani) में. जो अब इस दुनिया में नहीं रहा.

भिवानी: 27 अप्रैल को सेना में भर्ती होने का अरमान लिए भिवानी के एक युवक ने अपनी जीवन लीला समाप्त (pawan kumar committed suicide in bhiwani) कर ली. गांव तालु का रहने वाला 23 वर्षीय मृतक पवन कुमार करीब 9 साल से भारतीय सेना में भर्ती के लिए तैयारी कर रहा था. लेकिन सेना में भर्ती न हो पाने और हरियाणा सरकार में भर्तियां न निकलने से हताश पवन कुमार ने आखिरकार जान दे दी. पवन के दोस्तों ने बताया कि उसमें सेना में भर्ती होने का जूनून हम सब से अलग था. वो किसी भी हालत में सेना में भर्ती होना चाहता था. जिसके लिए वो जी-जान से प्रैक्टिस करता था.

भारतीय सेना में हर दसवां सैनिक हरियाणा से है. यही वजह है कि हरियाणा को भारत का टेक्सस कहा जाता है. बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि हरियाणा के युवाओं में भारतीय सेना में जाने का जूनून इस कदर है कि उनके सीने में दिल नहीं बल्कि फौज, फौज, फौज धड़कता है. ऐसा ही जूनून था भिवानी के तालु गांव निवासी 23 साल के पवन कुमार में. सोते-जागते, खाते-पीते, उठते-बैठते, बातचीत करते बस एक ही सपना, कि भारतीय सेना में भर्ती होना है, लेकिन पवन कुमार का ये सपना पूरा नहीं हो पाया. खुद को देश के लिए समर्पित कर चुका पवन सेना में भर्ती होने से पहले ही शहीद हो गया.

भिवानी में सेना में भर्ती के लिए युवक ने दी जान

सेना में भर्ती ना हो पाने और हरियाणा सरकार में भर्तियां ना निकलने से हताश पवन ने खुदकुशी कर ली. पवन के जूनून के अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो दिन में तीन बार दौड़ लगाता था. उसके वर्कआउट के वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. वीडियो में पवन दौड़ लगाता दिखाई दे रहा है. करीब 14 साल की उम्र से ही पवन सेना में जाने की तैयारियों में जुट गया था. पवन के साथियों ने बताया कि उसके घर की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है. लिहाजा उसे भरपूर डाइड भी नहीं मिल पाती थी, फिर भी वो दिनभर सेना में भर्ती होने की तैयारियों में लगा रहता था, लेकिन उसका सपना अधूरा रह गया. जिसकी वजह से उसने आत्महत्या कर ली.

पवन ने दौड़ने वाले ट्रैक पर लिखा सुसाइड नोट: बता दें कि पवन ने मरने से पहले सुसाइड नोट लिखा था. वो भी किसी कागज पर नहीं बल्कि खेल मैदान में दौड़ने वाले ट्रैक पर. मरने से पहले पवन कुमार ने जमीन पर लिखे सुसाइड नोट में अपने पिताजी से कहा कि इस बार सेना में भर्ती नहीं हुआ, लेकिन पिताजी अगले जन्म में वो फौजी जरूर बनेगा. क्योंकि सेना में भर्ती ना निकलने पर उसकी उम्र भी निकल गई और हरियाणा में भर्तियों के फर्जीवाड़े के चलते रोजगार के साधन नहीं मिल रहे थे. जानकारी के मुताबिक युवक जिस मैदान में सेना भर्ती के लिए तैयारी कर रहा था उसी मैदान में एक पेड़ पर रस्सी का फंदा लगाकर जान दे दी.

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पवन ने दौड़ने वाले ट्रैक पर लिखा सुसाइड नोट

आस-पास के लोगों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने भी इस मौत की पुष्टि की. लोगों के मुताबिक युवक ने सेना के तीन भर्ती अभियानों में हिस्सा लिया था और लिखित, फिजिकल और मेडिकल एग्जाम भी पास कर लिया था. लेकिन आखिरी कटऑफ में उसे जगह नहीं मिली थी. बेरोजगारी की इसी मनोदशा से हताश होकर पवन ने अपनी जीवन लीला समाप्त करने का फैसला किया. उसने आखिरी इच्छा बताने के लिए भी उसी जमीन को चुना जहां वो सेना में भर्ती के लिए तैयारी करता था. उसने खेल मैदान के ट्रैक पर सुसाइड नोट लिखकर दुनिया को अलविदा कह दिया.

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इस मामले में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. हुड्डा ने कहा है कि सारे रिकॉर्ड तोड़ने के बाद अब बेरोजगारी प्रदेश के युवाओं के लिए जानलेवा साबित हो रही है. यही वजह है कि भिवानी के तालू गांव के रहने वाले पवन ने बेरोजगारी से तंग आकर अपनी जान दे दी. वह लंबे समय से फौज की भर्ती का इंतजार कर रहा था लेकिन सरकार ने भर्ती नहीं निकाली. अपना भविष्य अंधकार में जाता देख आखिरकार पवन की हिम्मत जवाब दे गई.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शुक्रवार को रोहतक में कहा कि हरियाणा के युवा आज देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी झेल रहे हैं. इसलिए उनमें सबसे ज्यादा हताशा देखने को मिल रही है. इसका नतीजा आज सबके सामने है. बेरोजगारी के चलते युवा अपराध और नशे की गिरफ्त में फंस रहे हैं. कुछ युवा हताश होकर पवन जैसा कदम उठा लेते हैं. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रदेश के युवाओं से भी अपील की है कि वे हौसला न हारें और निराशा में इस प्रकार का कोई भी कदम न उठायें. आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं है.

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