Bhiwani Rohanat Village: रोहणात गांव को शहीदा का दर्जा देने की मांग पर अड़े ग्रामीण, 9वें दिन भी नहीं हुआ मृतक का अंतिम संस्कार, समर्थन करने पहुंचे गुरनाम सिंह चढूनी

Bhiwani Rohanat Village: रोहणात गांव को शहीदा का दर्जा देने की मांग पर अड़े ग्रामीण, 9वें दिन भी नहीं हुआ मृतक का अंतिम संस्कार, समर्थन करने पहुंचे गुरनाम सिंह चढूनी
Bhiwani Rohanat Village: भिवानी में रोहणात गांव को शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग पूरी ना होने की वजह से बुजुर्ग ने आत्महत्या कर ली थी. 9वें दिन भी परिजनों ने मृतक का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया. ग्रामीणों का समर्थन करने के लिए मंगलवार को किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी भी रोहणात गांव पहुंचे. खबर में विस्तार से जानें पूरा मामला
भिवानी: अपने गांव को शहीद का दर्जा दिए जाने को लेकर रोहणात में शहीद हुए ग्रामीण वेद प्रकाश का अंतिम संस्कार 9वें दिन भी नहीं हो पाया. रोहताण गांव को शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग और अंग्रेजों द्वारा नीलाम की गई जमीन को वापस लेने के लिए कई महीनों से रोहणात गांव के ग्रामीण धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. मंगलवार को भिवानी के लघु सचिवालय के बाहर महापंचायत की गई, जिसमें मांग के लिए बड़ी संख्या में पंचायत प्रतिनिधि जुटे. इस मौके पर भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने धरना स्थल पर पहुंचकर ग्रामीणों का समर्थन किया.
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि यह दुख की बात है कि जिस गांव ने देश की आजादी में अपनी भूमिका निभाई, उस गांव को शहीद का दर्जा दिलवाने की मांग को लेकर गांव के दो लोगों को शहीद होना पड़ा. उन्होंने भाजपा व आरएसएस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जिन लोगों ने देश की आजादी में कोई योगदान नहीं दिया, वे लोग गांव रोहणात के लोगों की शहादत को भी नहीं समझ पा रहे हैं. उन्होंने गांव के शहीद वेद प्रकाश के परिवार को सरकारी नौकरी वा एक करोड़ देने की मांग उठाते हुए गांव के लोगों की अंग्रेजों द्वारा नीलाम की गई जमीन वापस दिलवाए जाने की मांग की.
गौरतलब है कि भिवानी जिला के रोहणात गांव ने 1857 की क्रांति में अपनी अहम भूमिका निभाई थी. जिसके चलते अंग्रेजों ने इस गांव के लोगों की 20 हजार 656 एकड़ जमीन इसीलिए नीलाम कर दी थी, क्योंकि इस गांव के लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका था. साथ ही अंग्रेज अफसरों को मौत के घाट उतारा था. जिसके चलते गांव के दो लोगों को अंग्रेजों ने फांसी पर लटकाया.
इसके अलावा, गांव के नजदीक ही हांसी की लाल सडक़ पर गांव रोहणात के 11 लोगों को रोड़ रोलर के नीचे कुचलकर उन्हें शहीद करने का काम किया. इस गांव के लोग सालों से गांव को शहीद का दर्जा दिए जाने व जमीन वापस दिए जाने की मांग को लेकर धरनारत्त रहे. इस धरने में गांव के दो बुजुर्गों की भी अलग-अलग समय शहादत हुई.
11 सितंबर को गांव के शहीद बुजुर्ग वेद प्रकाश ने धरने पर ही आत्महत्या कर सुसाईड नोट में गांव को न्याय न मिलने की बात कही थी. जिसके बाद से अब तक ग्रामीणों ने उनका अंतिम संस्कार नहीं किया. इसी के विरोध में भिवानी के लघु सचिवालय के बाहर इन ग्रामीणों ने महापंचायत कर इस लड़ाई को आगे भी जारी रखने का निर्णय लिया है.
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महापंचायत के संयोजक व गांव रोहणात निवासी धर्मबीर ने बताया कि उनकी प्रशासन से अलग-अलग समय बातचीत हुई है. परन्तु अभी तक बातचीत बेनतीजा रही है. जिसके चलते शहीद वेद प्रकाश का अंतिम संस्कार नहीं किया जा सका. उन्होंने कहा कि गांव की नीलाम जमीन को वापस दिलवाने गांव के शहीद वेदप्रकाश के परिजनों को नौकरी व आर्थिक सहायता दिए जाने तक उनका धरना जारी रहेगा.
