इस दशहरे हरियाणावी धोती और राजस्थानी जूती में दिखेगा इस बार रावण, कारीगर बना रहे अनोखे पुतले

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Published : Sep 19, 2022, 11:04 PM IST

Updated : Sep 19, 2022, 11:23 PM IST

Ravan Dahan in Haryana

हरियाणा में दशहरे की तैयारियां शुरु हो गई है. पानीपत में इस बार दशहरे के मौके पर आपको रावण अलग ही अंदाज में दिखाई देगा.

पानीपत: हरियाणा में दशहरे की तैयारियां अभी से शुरु हो चुकी (Dussehra preparations in Haryana) हैं. बाजार भी पटाखों से सज चुके हैं. रावण के पुतलों को भी बनाया जाने लगा है. लेकिन इस बार हरियाणा में रावण दहन के समय रावण कुछ अलग अंदाज में नजर आने वाला है. दरअसल, पानीपत में इस बार दशहरे पर रावण हरियाणवी और राजस्थानी कल्चर में दिखेगा. पुतले बनाने वाले कलाकारों ने इस बार रावण को हरयाणवी धोती और राजस्थानी जूती के भव्य वेशभूषा में तैयार किया है.

रावण को बनाने में कारीगर दिन रात मेहनत कर रहे हैं. हर बार रावण के पुतलों को अलग रूप देने वाले इन कारीगरों पर धीरे-धीरे आजीविका का खतरा मंडरा रहा है. आगरा के फतेहपुर सीकरी से आए कारीगर हर साल पानीपत में रावण का पुतला (effigy of ravana in panipat) बनाने के लिए आते हैं. इस बार दशहरे पर रावण हरियाणवी अंदाज में देखने को मिलेगा. कारीगर बबलू ने बताया कि उसकी चार पीढ़ियां पुतला बनाने का काम पिछले कई वर्षों से कर रही हैं. हर बार उन्हें पानीपत से ही रावण का पुतला बनाने का ऑर्डर मिलता था. उनके साथ बहुत से कारीगर पुतला बनाने का कार्य करते थे.

हरियाणा में दशहरे की तैयारियां

लेकिन समय बदलने के साथ ही काफी कुछ परिवर्तन सामने आया है. कारीगरों का कहना है कि उनके पुतले बनाने के काम में भी धीरे-धीरे कमी आ रही है. पहले पानीपत से ही तीन जगह से उन्हें पुतले बनाने का ऑर्डर मिलते थे, लेकिन अब एक जगह से ही आर्डर उन्हें मिला है. पानीपत में पांच जगह रावण का पुतला दहन (Ravan Dahan in Haryana) किया जाता था, लेकिन अब सिर्फ तीन जगह ही पुतला दहन किया जा रहा है. लगातार पुतला दहन की परंपरा घटती जा रही है. जिससे उनकी आजीविका पर गहरा खतरा मंडरा रहा है.

कारीगरों का कहना है कि ऐसे ही अगर उनके काम में कमी आती रही तो इस काम को छोड़कर किसी और कार्य की तरफ रुख करना पड़ेगा. मुस्लिम कारीगरों के परिवारों के लिए विजय दशमी का त्योहार बड़ा माना जाता था, क्योंकि उन दिनों पुतले बनाने के ऑर्डर से उनकी आजीविका अच्छी चल जाती थी. उन्हे रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले से लगभग 3 लाख रुपए की बचत हो जाती है. लेकिन अब उन्हें आजीविका का संकट बना हुआ है.

Last Updated :Sep 19, 2022, 11:23 PM IST
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