हरियाणा के युवाओं में बढ़ा जेवलिन का क्रेज, दूसरे खेलों को छोड़ कर रहे भाला फेंकने की प्रैक्टिस

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Published : Aug 12, 2022, 6:10 PM IST

Commonwealath Games

टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल जीतने के बाद से हरियाणा में जेवलिन खिलाड़ियों (javelin players in haryana) की संख्या बढ़ती जा रही है. आलम ये है कि पानीपत में दूसरे खेलों को छोड़कर खिलाड़ी जेवलिन थ्रो की प्रैक्टिस कर रहे हैं.

पानीपत: जब भी देश और दुनिया में खेलों की बात की जाती है तो हरियाणा के खिलाड़ियों का नाम सबसे ऊपर आता है. हरियाणा के खिलाड़ियों ने यह नाम यूं ही नहीं कमाया, बल्कि कड़ी मेहनत और जज्बे से अपने प्रदेश को इस काबिल बनाया है कि आज हर किसी के जहन में हरियाणा के खिलाड़ियों का ही नाम है. हाल ही में बर्मिंघम में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स (Commonwealth Games 2022) में देश में हरियाणा के खिलाड़ियों के नाम सबसे ज्यादा मेडल रहे.

पहले हरियाणा के खिलाड़ियों से मेडल की ज्यादा आस कुश्ती और बॉक्सिंग में ही की जाती थी. अब इन दोनों खेलों के अलावा भी हरियाणा के खिलाड़ी गोल्ड जीतकर इतिहास रच रहे हैं. इनमें से एक हैं भारत के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा. टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतर नीरज चोपड़ा ने इतिहास रचा. जिसके बाद प्रदेश के युवा अब दूसरे खेलों को छोड़कर जेवलिथ थ्रो की प्रैक्टिस कर रहे हैं. नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में 87.58 मीटर दूर भाला फेंककर गोल्ड मेडल (neeraj chopra gold medal tokyo olympics) जीता था.

हरियाणा के युवाओं में जेवलिन को लेकर क्रेज, दूसरे खेलों को छोड़ कर रहे भाला फेंकने की प्रैक्टिस

जैवलिन थ्रो खिलाड़ियों की संख्या में इजाफा: हरियाणा के खिलाड़ियों का नाम पहले कुश्ती और बॉक्सिंग में लिया जाता था. टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra at Tokyo Olympics) के गोल्ड मेडल जीतने के बाद हरियाणा के जैवलिन थ्रो के खिलाड़ियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. पानीपत में जैवलिन थ्रो के खिलाड़ी अब सबसे ज्यादा उभरकर सामने आ रहे हैं. नीरज चोपड़ा जिस स्टेडियम पर प्रैक्टिस किया करते थे, उस स्टेडियम में आज बहुत से खिलाड़ी जैवलिन थ्रो की प्रैक्टिस करते नजर आ रहे हैं. नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) के गोल्ड मेडल जीतने के बाद कुछ खिलाड़ियों ने तो आपने गेम को बदलकर जैवलिन स्टिक (Javelin players in Haryana) हाथ में थाम ली है और वह थोड़े ही समय में अच्छा प्रदर्शन भी कर रहे हैं.

नीरज के गोल्ड मेडल के बाद बदला गेम: पानीपत शिवाजी स्टेडियम (Panipat Shivaji Stadium) में प्रैक्टिस कर रहे खिलाड़ी गुंजन ने बताया कि वह पहले दूसरे खेलों में हिस्सा लेते थे, लेकिन जब से नीरज ने खेलों के महाकुंभ ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता है. तब से उन्होंने अपना गेम ही बदल लिया. आज वह जेवलिन थ्रो की प्रैक्टिस कर रहे हैं. स्टेडियम में प्रैक्टिस कर रहे खिलाड़ी रोमित ने कहा कि पानीपत में जैवलिन को लेकर अच्छे कोच भी आसानी से उन्हें मिल रहे हैं और सरकार की तरफ से भी अच्छी सुविधा उन्हें दी जा रही है.

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10 साल की उम्र है परफेक्ट: नीरज के फिटनेस कोच रहे जितेंद्र जागलान बताते हैं कि एक अच्छा एथलीट बनने के लिए बड़ी मेहनत लगती है और बच्चे की शुरुआत अगर 10 वर्ष की उम्र से की जाए तो वह बेहतर होती है. छोटी उम्र से ही अगर एक खिलाड़ी के शरीर में लचीलापन और टैक्निक आ जाए तो वह आगे चलकर बेहतर प्रदर्शन कर सकता है. वह खुद भी मानते हैं कि टोक्यो ओलंपिक के बाद जिस गेम को कोई जानता नहीं था, उस गेम में अब खिलाड़ियों की संख्या लगातार बढ़ रही है और इसमें अधिकांश 10 वर्ष से लेकर 14 वर्ष के बच्चे शामिल हो रहे हैं. जितेंद्र ने कहा कि पहले बच्चे पूरी टीम के साथ खेले जाने वाले खेलों में रुचि रखते थे और जब से नीरज ने गोल्ड मेडल जीता है तो खिलाड़ियों में कॉन्फिडेंस और मानसिकता में बदलाव हुआ है और वह अब इंडिविजुअल गेम में हिस्सा लेने लगे हैं. वहीं अधिकांश खिलाड़ी सिर्फ जैवलिन को ही प्राथमिकता दे रहे हैं.

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