प्रदेशभर के आढ़ती आज करेंगे मुख्यमंत्री आवास का घेराव, ये हैं इनकी 5 प्रमुख मांगें

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Published : Sep 21, 2022, 9:33 AM IST

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करनाल जिले सभी अनाज मंडियों के आढ़ती सरकार द्वारा मांगें नहीं माने जाने के चलते वह आज सुबह 11 बजे करनाल की नई अनाज मंडी में एकत्रित होंगे. वहां सरकार के खिलाफ रोष व्यक्त करके दोपहर बाद प्रेम नगर स्थित मुख्यमंत्री आवास की तरफ कूच करेंगे. इसके बाद आढ़ती सीएम आवास का घेराव करेंगे.

करनाल: सीएम सिटी करनाल में आज प्रदेशभर के आढ़ती जुटेंगे. पिछले 2 दिन से करनाल में आढ़ती हड़ताल पर (Strike Of Arhtiyas In Karnal) थे. सरकार द्वारा मांगें नहीं माने जाने के चलते वह आज सुबह 11 बजे करनाल की नई अनाज मंडी में एकत्रित होंगे. वहां सरकार के खिलाफ रोष व्यक्त करके दोपहर बाद प्रेम नगर स्थित मुख्यमंत्री आवास की तरफ कूच करेंगे. इसके बाद सीएम आवास का घेराव करेंगे. बता दें कि दो दिन से आनाज मंडियों में काम ठप है. धान की खरीद नहीं हो रही है. क्योंकि हरियाणा भर के आढ़ती पिछले 2 दिन से सरकार के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे हुए थे. आढ़तियों व सरकार के इस टकराव के बीच किसान पीस रहा है.

करनाल नई अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन (Karnal New Anaj Mandi Arhtiya Association) के प्रधान रजनीश चौधरी ने कहा कि हमने पहले भी कई बार सरकार से मीटिंग की है लेकिन अभी तक सरकार उनकी मांगों की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही. कृषि मंत्री जेपी दलाल ने बैठक के लिए बुलाया था लेकिन वह खुद ही बैठक में नहीं आए. उनके द्वारा बैठक में न पहुंचने से प्रदेशभर के आढ़तियों में रोष है. इस वजह से आज पूरे प्रदेश भर के आढ़ती करनाल में एकत्रित होंगे और मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे.

  • सभी फसलें MSP पर आढ़तियों के माध्यम से ही खरीदी जाए. आढ़तियों को पूरी 2.5 प्रतिशत आढ़त मिलनी चाहिए. दो सीजन से गेहूं पर 46 रुपये और धान पर 45.80 रुपये दी गई है, जबकि 51 रुपए बनती है.
  • पिछले साल से ही MSP का भुगतान सीधे किसानों को दिया जाने लगा है. इससे आढ़तियों में रोष है। सरकार द्वारा खरीदी जाने वाली सभी फसलों का भुगतान किसान की इच्छा के अनुसार आढ़ती या स्वयं उसके खाते में किया जाना चाहिए.
  • मार्केटिंग बोर्ड ने ई-नेम लागू करने के आदेश जारी किए हैं. यह प्रक्रिया प्राइवेट बिकने वाली फसलों पर लागू नहीं हो सकती है. ई-ट्रेडिंग सिर्फ उत्पाद की हो सकती है, जबकि मंडियों में आने वाली फसलें कच्चा माल हैं. इसलिए यह प्रक्रिया मंडियों में लागू न की जाए.
  • साल 2020 में धान पर मार्केट और HRDF फीस 4 प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत कर दी थी, लेकिन विभाग ने यह फीस एक प्रतिशत से बढ़ाकर फिर से 4 प्रतिशत कर दी है, जबकि पड़ोसी राज्यों में यह फीस बहुत कम है. टैक्स कम होने के कारण व्यापारी दूसरे प्रदेशों से धान खरीद रहे हैं. इससे हरियाणा के किसानों को धान के दाम कम मिल रहे हैं. सरकार फीस घटाकर एक प्रतिशत करे.
  • गेहूं सीजन 2020 की जो पेमेंट ब्याज के रूप में आढ़तियों से काटी गई थी, वह मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद आढ़तियों को वापस नहीं की गई है.

    सीमांत किसानों को ई-खरीद पोर्टल (e procurement portal haryana) पर रजिस्टर्ड करने के बाद भी सरकार ने उनकी फसलें नहीं खरीदी हैं, जबकि सीमांत किसान प्रदेश बनने के बाद से ही मंडियों से जुड़े हुए हैं. बहुत से किसान प्रदेश के ही रहने वाले हैं. सरकार द्वारा धान न खरीदने के कारण किसानों और आढ़तियों को बहुत नुकसान हुआ है. इससे उनमें रोष है. आगामी सीजन में सभी सीमांत किसानों की फसलों की खरीदी जाए.
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