हिसार: उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ और हिस्सों और इससे सटे मध्य भारत के इलाकों से अगले दो-तीन दिनों में दक्षिण-पश्चिम मानसून की वापसी के लिए स्थितियां अनुकूल होती जा रही है. इस बीच मौसम विभाग द्वारा एक ताजा पूर्वानुमान जारी किया गया है. आईएमडी के मुताबिक अगले चार पांच दिनों में हरियाणा में मानसून (Monsoon In Haryana) की एक बार फिर से वापसी हो सकती है.
मौसम विभाग के पूर्वानुमान (India Weather Forecast) के मुताबिक उत्तर-पश्चिम और उससे सटे पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी पर एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन बना हुआ है, जिसका कई राज्यों पर असर है. आईएमडी ने ये भी कहा कि इसके प्रभाव से 30 सितंबर तक तटीय आंध्र प्रदेश में गरज के साथ भारी बारिश होने की संभावना है. ओडिशा में आज 29 सितंबर को मध्यम से लेकर तेज बारिश होने के आसार हैं. पाकिस्तान के मध्य भागों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है. 1 अक्टूबर के आसपास एक चक्रवाती परिसंचरण उत्तर-पूर्व और उससे सटे पूर्वी मध्य बंगाल की खाड़ी में उभरने की उम्मीद है.
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (Haryana Agricultural University) के मौसम वैज्ञानिक डॉ एम एल खीचड़ के अनुसार हरियाणा में मानसून की वापसी होते ही राज्य में पश्चिमी खुश्क हवाएं चलने लगी हैं. इसके अलावा वातावरण में नमी में कमी आने की संभावना है. हरियाणा में एक अक्टूबर तक मौसम आमतौर पर परिवर्तनशील रहने की संभावना (Haryana Weather Update) है. परंतु सूर्य की चमक बढ़ने से तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इस दौरान बीच- बीच में कुछ एक स्थानों पर आंशिक बादल छाए रहने की संभावना है. इसके अलावा गरज चमक के साथ बारिश हो सकती है. इस मौसमी प्रभाव से राज्य में दिन के तापमान में हल्की बढ़ोतरी और रात के तापमान में हल्की गिरावट होने की संभावना है.
हरियाणा में इस साल 30 जून को मानसून ने प्रवेश किया था. तब से लेकर आज 28 सितंबर के दौरान हरियाणा में 465.6 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है. जो सामान्य बारिश (429.3 मिलीमीटर) से 8 प्रतिशत ज्यादा दर्ज हुई है. भारत मौसम विज्ञान विभाग के बारिश के आंकड़ों के अनुसार हरियाणा के 15 जिलों में सामान्य या सामान्य से ज्यादा बारिश हुई (Rain In Haryana) है. लेकिन सात जिलों में सामान्य से कम बारिश दर्ज हुई है। सब से कम बारिश वाले जिले अम्बाला (-42प्रतिशत), फरीदाबाद (-33प्रतिशत),यमुनानगर (-29 प्रतिशत), भिवानी (-14प्रतिशत) सोनीपत (-12%), पंचकुला (-11प्रतिशत), रेवाड़ी (-7प्रतिशत), जिलों में दर्ज की गई है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों में बारिश की वजह से प्रदेश के कई जिलों में फसलों में पानी भर गया है. पानी भरने की वजह से फसलें खराब हो गई है. वहीं कृषि वैज्ञानिकों ने बची हुई फसलों में से बारिश का पानी निकालने की सलाह दी है. किसी भी किसान की अगर फसल पूरी तरह से खराब हो गई है तो वह जमीन की जुताई करके अब सरसों की फसल की बुआई भी कर सकता है.