धान की खेती में लागत और पानी की बचत का नाम है डीएसआर तकनीक, किसान ऐसे उठायें फायदा

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Published : Jun 23, 2022, 11:04 PM IST

Updated : Jun 24, 2022, 2:36 PM IST

DSR Technique in Paddy Cultivation

हरियाणा के कई इलाकों में भूमिगत जल स्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है. जल स्तर बढ़ाने और पानी बचाने के लिए हरियाणा सरकार किसानों से धान की खेती छोड़ने की गुहार लगा रही है. साथ ही जिन इलाकों में किसान धान लगा रहे हैं उनसे डीएसआर तकनीक (DSR Technique in Paddy Cultivation) इस्तेमाल करने को कहा जा रहा है. डीएसआर तकनीक धान की खेती में बेहतर संसाधन साबित हो रहा है. इस तकनीक से किसान की लागत, मेहनत और खर्चा तीनों बचता है. आइये जानते हैं कि ये डीएसआर तकनीक कैसे धान किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.

हिसार: हरियाणा के कई जिलों में भूमिगत जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है. प्रदेश के कई जिले डार्क जोन बन गए हैं जहां भूमिगत जल स्तर पर बेहद नीचे चला गया है. हरियाणा सरकार इसे सुधारने के लिए कई योजनाएं चला रही है. भूमिगत जलस्तर कम होने में धान की परंपरागत खेती बहुत बड़ी भूमिका अदा करती है. इसीलिए सरकार धान की खेती करने वाले किसानों से अन्य फसल की बुवाई करने की अपील कर रही है. धान की खेती में सबसे ज्यादा पानी का प्रयोग होता है.

अनुमान है कि करीब 1 किलो चावल उगाने के लिए 5 हजार लीटर पानी की खपत होती है. धान की खेती में पानी की खपत कम करने के लिए अब सरकार डीएसआर (डायरेक्ट सीडेडे राइस) तकनीक (DSR Technique in Paddy Cultivation) किसानों से इस्तेमाल करने को कह रही है. इस तकनीक के जरिए किसानों की मेहनत, लागत और पानी तीनों की बचत की जा सकती है. डीएसआर तकनीक का उपयोग करने से करीब 30 फीसदी पानी की बचत होती है.

हरियाणा में धान की खेती: लागत और पानी दोनों की बचत का नाम है डीएसआर तकनीक, किसान ऐसे उठायें फायदा

क्या है डीएसआर तकनीक- डीएसआर यानि डायरेक्ट सीडेड राइस. यानि जिस तरह से गेहूं या अन्य फसलों की सीधे बुवाई की जाती है. उसी तरह धान को भी सीधे खेत में छीटकर बुवाई करना. डीएसआर तकनीक से बीजों को रोपाई के बजाय सीधे खेत में बोया जाता है. बीजों को मिट्टी में खोदने के लिए ट्रैक्टर से चलने वाली मशीन का उपयोग किया जाता है. डीएसआर तकनीक में नर्सरी की तैयारी नहीं करनी पड़ती. इसके अलावा फसल भी 10 दिन पहले तैयार हो जाती है.

परंपरागत तरीके से जहां धान की रोपाई की जाती है, किसान पहले नर्सरी तैयार करता है. इन नर्सरी में बीजों को बोया जाता है और पौधों को उगाया जाता है. 25-35 दिनों के बाद इन पौधों को उखाड़ कर खेत में पूरा पानी भरकर उसे बोया जाता है. डीएसआर मशीन से धान की नर्सरी से लेकर रोपाई तक की मेहनत और खर्चा बच जाता है.

DSR Technique in Paddy Cultivation
डीएसआर तकनीक से 30 फीसदी पानी की बचत होती है.

डीएसआर तकनीक से कितना फायदा- हिसार में कृषि अधिकारी प्रवीण मंडल ने बताया की इस तकनीक से लागत में 6 हजार रुपये तक प्रति एकड़ तक की कमी आती है. यह तकनीक 30 फीसदी तक कम पानी का उपयोग करती है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि रोपाई के दौरान, खेत को पानी की गहराई बनाए रखते हुए सिंचित करना पड़ता है. वाष्पीकरण की वजह से बेहद ज्यादा पानी हवा में चला जाता है. सीधी बुवाई से पानी की बचत होती है. रोपाई में लेबर की समस्या भी बहुत आती है. सीधी बुवाई में मशीन से बुवाई होती तो मजदूरों का खर्च भी बच जाता है. इसमें लागत भी कम आती है तो किसान भाई का खर्च भी बचता है.

DSR Technique in Paddy Cultivation
डीएसआर तकनीक से धान की रोपाई की जरुरत नहीं पड़ती.

डीएसआर मशीन एक एकड़ में धान की रोपाई मात्र 30 मिनट में कर देती है. इससे किसानों के पैसों की बचत भी भरपूर होती है और समय भी बचता है. प्रति एकड़ के हिसाब से मजदूर पहले 2000 से 2500 रुपए धान की रोपाई के लिए लेते थे. 6 से 8 मजदूर 1 दिन में प्रति एकड़ धान की फसल की रोपाई करते थे. डीएसआर मशीन से किसानों का काम पहले के मुकाबले ज्यादा आसान हुआ है. कृषि विभाग ने डीएसआर मशीनों के जरिए प्रदेश के 12 जिलों में धान की फसल उगाने का लक्ष्य रखा है. वहीं हिसार जिले में इस तकनीक द्वारा 8 हजार हेक्टेयर एरिया निर्धारित किया गया है. जिनमें से अभी तक 1772 हेक्टेयर एरिया में किसानों ने बिजाई करने की जानकारी दी है.

DSR Technique in Paddy Cultivation
हरियाणा में जिलावार डीएसआर तकनीक से खेती का लक्ष्य.
Last Updated :Jun 24, 2022, 2:36 PM IST
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