आयुर्वेदिक उपायों से करें मधुमेह को नियंत्रित

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Published : Jul 12, 2021, 5:38 PM IST

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मधुमेह चयापचय संबंधी बीमारियों का एक समूह है जिसका यदि समय पर उपचार न किया जाय तो यह विभिन्न प्रकार की जटिलताओं का कारण बन सकता है। आयुर्वेद में मधुमेह के लिए विभिन्न प्रकार के इलाज मौजूद है।

आयुर्वेद में मधुमेह के लिए असंतुलित जीवन शैली जैसे अनुचित आहार-विहार, व्यायाम न करना, शारीरिक श्रम कम करना, अत्यधिक तनाव आदि कारणों को जिम्मेदार माना जाता है। आयुर्वेद से जुड़े शस्त्रों में बताया गया है की इस सभी कारणों के चलते व्यक्ति के वात, पित्त और कफ असन्तुलित हो जाते है और मधुमेह रोग को जन्म देते है। वैसे तो मधुमेह में तीनो दोषों में असंतुलन देखा जाता है परन्तु मुख्यत कफ दोष के प्रभाव को इसका मूल कारण माना जाता है । इसके अलावा मधुमेह को कुलज विकारों यानी आनुवंशिक विकार भी माना जाता है । आयुर्वेद मधुमेह के बारें में ज्यादा जानकारी लेनें के लिए ETV भारत सुखीभवा ने हैदराबाद के वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक डा पी वी रंगनायकूलु से बात की तथा मधुमेह के लिए कुछ सामान्य उपचारों तथा औषधियों के बारें में भी जानकारी ली, जो इस रोग को नियंत्रित रखने में मदद कर सकते है ।

मधुमेह होने के क्या है कारण?

हमारे शरीर के पाचनतंत्र का प्रमुख अंग माने जाने वाले अग्नाश्य यानी पैनक्रियास में विभिन्न हार्मोन्स का निर्माण तथा स्राव होता है। इनमें मुख्य है इन्सुलिन और ग्लूकॉन। इंसुलिन हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है, जो हमारे रक्त में शर्करा का निर्माण तथा उसका संचालन व उसे नियंत्रित करने का कार्य करता है।

लेकिन यदि किसी कारणवश इंसुलिन का कम निर्माण होने लगे तो कोशिकाओं की ऊर्जा कम होने के साथ ही अलग-अलग परेशानीयां होने लगती है। ऐसी अवस्था में आमतौर पर व्यक्ति को बेहोशी आने तथा दिल की धड़कन तेज होने जैसी समस्याएं महसूस होने लगती है। इंसुलिन के कम निर्माण के कारण रक्त में शर्करा अधिक हो जाती है जो मूत्र के जरिए शरीर से बाहर निकलती है। इसी कारण डायबिटीज के मरीज को बार-बार पेशाब आती है।

मधुमेग के लिए विभिन्न कारकों को जिम्मेदार माना जाता है। जिनमें से कुछ निम्न हैं ।

अनुवांशिकता : यदि परिवार के किसी सदस्य माँ-बाप, भाई-बहन में से किसी को है तो डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।

मोटापा: मोटापा भी मधुमेह के लिए जिम्मेदार होता है। समय पर भोजन न खाना या अधिक जंकफूड या असंतुलित व अस्वस्थ भोजन करने से वजन बढ़ जाता है जिससे कई बार उच्च रक्तचाप की समस्या भी हो जाती है और रक्त में कॉलेस्ट्रोल का स्तर भी बहुत बढ़ जाता है। जो मधुमेह होने का कारण बन सकता है।

डा पी वी रंगनायकूलु बताते है वर्तमान में बच्चों में भी मधुमेह होने की घटनाएं काफी ज्यादा बढ़ रहीं है। जिसका मुख्य कारण उनकी शारीरिक रुप से निक्रियता, भोजन में असंतुलन, अधिक देर तक टी.वी. या वीडियो गेम्स खेलने में समय व्यतीत करने जैसी आदतों को माना जा सकता है।

आयुर्वेद के आधार पर घरेलू उपचार

डा पी वी रंगनायकूलु बताते है की मधुमेह के रोगी चाहे किसी भी उम्र के हों उन्हे नियमित तौर पर रक्त शर्करा के स्तर जांच तथा उसकी निगरानी रखनी चाहिए। यदि पीड़ित इंसुलिन पर निर्भर नहीं करता हैं, तो वह नियमित उपचार के साथ नीचे सूचीबद्ध कुछ घरेलू उपचारों का उपयोग कर सकते हैं।

  • नीम की पत्ती का चूर्ण 1 ग्राम शहद के साथ दिन में एक बार लें।
  • नीम की लकड़ी का 20 मिलीलीटर काढ़ा दिन में एक बार लें।
  • गिलोय के एक छोटे टुकड़े को पीसकर उसका रस निकाल लें। दिन में एक बार 2 चम्मच लें।
  • आंवले का चूर्ण हल्दी में मिलाकर एक चम्मच दिन में एक बार पानी के साथ लें।
  • जामुन के फलों को सुखाकर बीज सहित पाउडर बना लें। 500mg दिन में दो बार पानी के साथ लें।
  • भारतीय कीनो पेड़ (बीजका) का 20 मिलीलीटर काढ़ा दिन में दो बार लें

ये घरेलू उपचार मधुमेह के लिए व्यापक उपचार नहीं हो सकते लेकिन ये घरेलू उपाय रोग की गंभीरता को कम कर देंगे।

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