Delhi NCR Pollution: हवा की सेहत में सुधार, AQI आया 200 के नीचे

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Published : Jan 21, 2023, 1:12 PM IST

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दिल्ली और एनसीआर में शनिवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई. वहीं, दिल्ली का सबसे प्रदूषित इलाका नेहरू नगर दर्ज किया गया, जहां का एक्यूआई 289 के स्तर पर पहुंच गया. इसके बावजूद एक्यूआई खराब कैटेगरी में ही बरकरार है.

नई दिल्ली : शनिवार को दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण स्तर में सुधार दर्ज किया गया है. शुक्रवार की तुलना में रविवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स में भराई गिरावट हुई है. दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 229 दर्ज किया गया है. वही, गाजियाबाद और नोएडा का प्रदूषण स्तर भी मध्यम कैटेगरी में दर्ज किया गया है.

दिल्ली के इलाकेवायु प्रदूषण स्तर
अलीपुर241
शादीपुर237
डीटीयू दिल्ली231
आईटीओ दिल्ली259
सिरिफ्फोर्ट224
मंदिर मार्ग217
आरके पुरम247
पंजाबी बाग265
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम215
नेहरू नगर289
द्वारका सेक्टर 8250
पटपड़गंज254
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज224
अशोक विहार238
सोनिया विहार248
जहांगीरपुरी00
रोहिणी251
विवेक विहार260
नजफगढ़160
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम236
नरेला264
ओखला फेस टू236
बवाना283
श्री औरबिंदो मार्ग198
आनंद विहार258
IHBAS दिलशाद गार्डन281

गाजियाबाद के इलाकों में प्रदूषण का स्तर-

गाजियाबाद के इलाकेवायु प्रदूषण स्तर
वसुंधरा172
इंदिरापुरम118
संजय नगर123
लोनी130

नोएडा के इलाकों में प्रदूषण का स्तर-

नोएडा के इलाकेवायु प्रदूषण स्तर
सेक्टर 62203
सेक्टर 125164
सेक्टर 1182
सेक्टर 116159

Air quality Index की श्रेणी: एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.

(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी: वरिष्ठ सर्जन डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुंच जाते हैं.

Sinusitis और Bronchitis का खतरा: डॉ त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में इकट्ठा होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जब यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.

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