कर्मचारियों को वेतन देना आप के लिए होगी चुनौती, हजारों करोड़ के वित्तीय घाटे में है एमसीडी

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Published : Jan 4, 2023, 8:10 AM IST

Updated : Jan 4, 2023, 10:36 AM IST

municipal corporation of delhi

दिल्ली नगर निगम चुनाव जीतने के बाद, आम आदमी पार्टी के सामने एमसीडी में कार्यरत एक लाख से अधिक कर्मचारियों को समय पर वेतन जारी करना सबसे बड़ी चुनौती होने (Paying salaries to MCD employees will be challenge) वाली है. वर्तमान में एमसीडी हजारों करोड़ रुपए की फिस्कल डेफिसिट में है. सातवां वेतन आयोग लागू होने के बाद भी 7 सालों में निगम में कर्मचारियों को एरियर नहीं मिला है.

नई दिल्ली: परिसीमन के बाद नए स्वरूप में सामने आई एमसीडी में 6 जनवरी को होने वाले मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत लगभग तय मानी जा रही है. लेकिन एमसीडी की सत्ता में आने के बाद आम आदमी पार्टी के सामने असली चुनौती होगी कर्मचारियों का वेतन जारी (Paying salaries to MCD employees will be challenge) करना. ऐसा इसलिए है क्योंकि वर्तमान में एमसीडी हजारों करोड़ रुपए के फिस्कल डेफिसिट यानी कि वित्तीय घाटे में चल रही है. इतना ही नहीं, हर साल यह घाटा बढ़ता ही जा रहा है. इसके पीछे एक बड़ी वजह, दिल्ली सरकार से एमसीडी को बकाया फंड ना मिलना और फोर्थ फाइनेंस कमीशन की रिपोर्ट पर अमल ना होना भी है.

वर्तमान में एमसीडी के अंदर कार्यरत एक लाख से ज्यादा कर्मचारी हैं, जो चार अलग-अलग कैटेगरी ए,बी,सी और डी में विभाजित हैं. इनका 1 से लेकर 3 महीने तक का वेतन तो बकाया है ही, साथ ही रिटायर हुए कर्मचारियों को भी पिछले 3 महीने से पेंशन नहीं मिली है. इसके अलावा कार्यरत कर्मचारियों को टीए, डीए, मेडिक्लेम, हाउस रेंट अलाउंस, एलटीसी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी या तो मिल नहीं रही है और या फिर मिल भी रही हैं तो उसमें काफी देरी हो रही है. मेडिक्लेम और दवाइयों के बिलों की क्लीयरेंस को लेकर एमसीडी के कर्मचारियों को 4 से 5 महीने तक का वेट करना पड़ रहा है. वहीं रिटायर हुए कर्मचारियों के लिए मेडिक्लेम और दवाइयों के बिल क्लीयरेंस का इंतजार लगभग 1 साल तक खिंच गया है.

एमसीडी कर्मचारी यूनियन के सदस्य और रिटायर कर्मचारी आलम परवेज खान ने बताया कि, निगम से रिटायर हुए उन्हें लगभग 4 साल का समय हो चुका है. लेकिन अभी तक उन्हें उनके रिटायरमेंट के पूरे बेनिफिट्स नहीं मिले हैं. ऐसे कईऔर भी कर्मचारी हैं, जिन्हें रिटायरमेंट के बाद आज तक पूरे बेनिफिट्स नहीं मिले हैं. 2017 से रिटायर होने वाले कर्मचारियों को आर्थिक बदहाली के चलते रिटायरमेंट पर मिलने वाली ग्रेच्युटी और बाकी बेनिफिट्स नहीं मिल पा रहे हैं, जिसकी वजह से कर्मचारियों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. 30 साल तक एमसीडी में अपनी सेवाएं देने के बाद जो व्यक्ति रिटायर होता है, उसे अपने हक का पैसा पूरा नहीं मिल रहा है. यहां तक कि रिटायर हो चुके कर्मचारियों को मेडिक्लेम और दवाइयों के बिल क्लियर कराने के लिए कई बार दफ्तर के चक्कर काटने पड़ते हैं. इनमें से कई तो एक 1 साल तक बिल पेंडिंग पड़े रहते हैं.

एमसीडी में भले ही सातवां वेतन आयोग लागू हो गया हो लेकिन कर्मचारियों को अभी तक इसके एरियर नहीं मिले हैं. यह पिछले 7 सालों से पेंडिंग है, जिसका मिलना अभी बाकी है, कई कर्मचारी तो सातवां वेतन आयोग लागू होने के बाद बिना उसके बेनिफिट्स लिए बिना ही रिटायर हो चुके हैं. चार्टर्ड अकाउंटेंट विनय बहल ने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक, जिस कर्मचारी की सैलरी 20-25 हजार है उसका 7 साल का बकाया एरियर लगभग 3 से 4 लाख तक हो जाता है. वहीं जिसकी तनख्वाह 40 हजार रुपये है उसका बकाया एरियर करीब 6 लाख रुपये हो गया होगा.

दिल्ली एमसीडी के वित्तीय घाटे पर बात करते हुए मशहूर अर्थशास्त्री वेद जैन ने कहा, कि किसी भी नॉन प्रॉफिट संस्था के लिए अपने खर्चे और आमदनी के बीच चीजों को बैलेंस करना मुश्किल काम होता है. हर जगह खर्चे अलग होते हैं और आमदनी भी अलग होती है. ऐसे में दोनों के बीच चीजें बैलेंस करना हर बार चुनौती होती है. एमसीडी के राजस्व का मुख्य स्त्रोत प्रॉपर्टी टैक्स पार्किंग और स्टैंप ड्यूटी है. इसके अलावा एमसीडी, केंद्र और राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली ग्रांट पर निर्भर करती है. सातवें पे कमिशन का एरियर अभी तक कर्मचारियों का नहीं मिला और वह पेंडिंग है जिसके पीछे एक बड़ी वजह फिस्कल डेफिसिट भी है. इसका मतलब यह भी है कि एमसीडी के राजस्व में कैश का फ्लो कम है. इसी वितीय घाटे को खत्म करने का एक ही तरीका है और वह यह है कि अगर 6 साल का एरियर पेंडिंग है तो उसे 1/6 करके थोड़ा-थोड़ा करके उसे खत्म किया जाए. या फिर ग्रांट ई ऐड के माध्यम से केंद्र या राज्य सरकार से मदद ली जाए.

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पूरे विषय पर अर्थशास्त्री आकाश जिंदल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि, अब समय आ गया है. एमसीडी को अपने कमाई के नए अवसर तलाशने होंगे. ताकि वह अपने आप को एक आत्मनिर्भर संस्था बना सके. आजकल के हालातों को देखते हुए अपने राजस्व बढ़ाने के मद्देनजर एमसीडी को विज्ञापन के क्षेत्र पर फोकस करने की जरूरत है, जिससे बड़े स्तर पर अच्छे राजस्व की प्राप्ति की जा सकती है. डिजिटल एडवर्टाइजमेंट भी एक अच्छा स्कोप है, जिसको लेकर एमसीडी को काम करने की आवश्यकता है. इसके लिए एमसीडी में आने वाली नई सरकार को प्रयास करने होंगे.

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Last Updated :Jan 4, 2023, 10:36 AM IST
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