खतरनाक इमारतों पर कार्रवाई में फिसड्डी निगम, बचाव में लगे भाजपा नेता

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Published : Aug 27, 2021, 1:34 PM IST

dangerous buildings exposed

खतरनाक इमारतों के सर्वे को लेकर नॉर्थएमसीडी पर एक बार फिर दुबारा सवाल उठ रहे हैं. दरअसल वजीरपुर में इमारत के गिर जाने से एक व्यक्ति की मौत हो गई है. जिसके बाद निगम सवालों के घेरे में है.

नई दिल्ली: विपक्ष के द्वारा लगातार खतरनाक इमारतों का सर्वे सही तरीके से ना कराने और अधिकारियों के द्वारा एक्शन ना लिए जाने को लेकर निगम के ऊपर कई गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं. साथ ही निगम को इसके लिए जिम्मेदार भी ठहराया जा रहा है. विपक्ष का स्पष्ट तौर पर कहना है कि निगम के नेता अपनी जेब भरने में लगे हुए हैं. उन्हें जनता से कोई लेना देना नहीं है.

बता दें कि खतरनाक के इमारतों के सर्वे में महज 424 इमारतों को इस साल नॉर्थ एमसीडी के अधिकारियों ने खतरनाक चिन्हित किया है. जो अपने आप में बेहद हैरान कर देने वाला है. निगम के अधिकारी द्वारा किया गया. यह खतरनाक इमारतों का सर्वे सिर्फ कागजी है.

खतरनाक इमारतों पर कार्रवाई में फिस्सडी निगम.

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राखी के त्योहार के दिन वजीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया में एक अनहोनी घटना हुई है. दरअसल वजीरपुर इंडस्ट्रियल एरिया के अंदर कारखाने में राखी के त्योहार के दिन इमारत का कुछ हिस्सा गिर जाने की वजह से एक मजदूर की मृत्यु हो गई है. यह पूरी इमारत पिछले काफी लंबे समय से जर्जर थी. इस जर्जर इमारत के रिनोवेशन का काम भी चल रहा था. लेकिन इसी बीच राखी के त्योहार के अवसर पर देर शाम जब इमारत में काम करने वाले मजदूर नहाने के लिए गया तो उस समय इमारत का कुछ हिस्सा उसके ऊपर गिर गया. जिसकी वजह से मजदूर को गंभीर चोटें आई और अस्पताल में इलाज के वक्त सोनू नाम की मजदूर की मृत्यु हो गई.

यह पहली बार नहीं है कि नॉर्थ एमसीडी के अंतर्गत आने वाली किसी खतरनाक इमारत के अचानक से भरभरा कर गिर जाने से लोगों को गंभीर चोटें आई हों या फिर किसी व्यक्ति की मृत्यु हुई हो. पिछले कई सालों से हर साल दिल्ली के अंदर विशेष तौर पर नॉर्थ एमसीडी के क्षेत्र में हर साल कई इमारतें बरसात के मौसम में ही भरभरा कर गिर जाती है. लेकिन उसके बावजूद भी निगम के द्वारा ऐसी घटनाओं की पुनरावृति को रोकने के लिए कोई भी सख्त कदम जमीनी स्तर पर नहीं उठाया गया है. हालांकि कागजों के ऊपर आदेश देखने को जरूर मिलते हैं.

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हर साल बरसात के मौसम आने से 2 महीने पहले ही नॉर्थ एमसीडी के द्वारा खतरनाक इमारतों को लेकर अपने बिल्डिंग विभाग के द्वारा एक सर्वे कराया जाता है. इस सर्वे के तहत निगम के सभी अधिकारियों को खतरनाक इमारतों को चिन्हित करके उसकी जानकारी रिपोर्ट में देनी होती है. हर साल इसी तरह से निगम में रिपोर्ट तैयार की जाती है. बता दें कि इस वर्ष भी निगम के द्वारा ऐसे ही एक रिपोर्ट तैयार की गई थी जिसके तहत नॉर्थ एमसीडी के क्षेत्र में कुल 83 लाख 4100 ज्यादा संपत्तिया हैं. जिसमें से निगम अधिकारियों द्वारा कुल 6 लाख 55 हज़ार 219 संपत्तियों का औचक निरीक्षण कर उनमे से खतरनाक इमारतों को चिन्हित कर लिया गया था. निगम के अधिकारियों द्वारा जो रिपोर्ट बनाई गई है. उस रिपोर्ट के अनुसार उत्तरी दिल्ली के क्षेत्र में करीब 265 इमारतें ऐसी हैं. जिन्हें रिपेयर की आवश्यकता है और उसके बाद उन्हें ठीक करवाया जा सकता है. वहीं 424 इमारतें खतरे के निशान से ऊपर है. जिन को देखते हुए तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता है. इसी कड़ी में निगम ने इन खतरनाक इमारतों के मद्देनजर डीएमसी एक्ट 348, 349 के तहत नोटिस जारी किए थे. उस समय नॉर्थ एमसीडी के पूर्व मेयर जयप्रकाश ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था कि निगम खतरनाक इमारतों पर कार्रवाई कर रही है और इस साल कोई हादसा न हो यह सुनिश्चित करने का प्रयास रहेगा.

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निगम अधिकारियों द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में इस वर्ष सबसे ज्यादा खतरनाक इमारतें रोहिणी जोन में चिन्हित की गई है. जिनकी कुल संख्या 142 है. जबकि उसके बाद सबसे ज्यादा खतरनाक इमारतें करोल बाग जोन में हैं जिनकी संख्या 96 है. वहीं सिविल लाइन जोन में खतरनाक इमारतों की संख्या 83 है और केशव पुरम जोन में खतरनाक इमारतों की संख्या 75 है. जबकि नरेला जोन में खतरनाक इमारतों की संख्या 7 है.

अधिकारियों द्वारा खतरनाक इमारतों के मद्देनजर पेश की गई रिपोर्ट में सबसे हैरान कर देने वाली बात यह थी कि सिटी एसपी जोन में महज 21 इमारतों को खतरनाक चिन्हित किया गया था. जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है इस पूरी रिपोर्ट को लेकर उस समय विपक्ष के द्वारा जबरदस्त तरीके से ना से विरोध जताया गया था बल्कि आपत्ति भी जताई गई थी. जिसके बाद नॉर्थ एमसीडी के पूर्व मेयर जयप्रकाश ने अधिकारियों को निगम के अंतर्गत आने वाले पूरे क्षेत्र में खतरनाक इमारतों का दोबारा सर्वे करने का भी आदेश दिया था. लेकिन इमारतों का दोबारा सर्वे किसी कारणवश नहीं हो पाया.

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विपक्ष ने खतरनाक इमारतों की जो रिपोर्ट निगम अधिकारियों द्वारा पेश की गई थी. उसके ऊपर गंभीर सवाल उठाए थे. विपक्ष के नेता विकास गोयल का स्पष्ट तौर पर कहा था कि निगम के अधिकारियों ने नॉर्थ एमसीडी के क्षेत्र में खतरनाक इमारतों को लेकर जो रिपोर्ट पेश की है वह पूर्णता झूठी है यह रिपोर्ट सिर्फ कागजों पर बनाई गई है. जमीनी स्तर पर निगम के अधिकारियों द्वारा खतरनाक इमारतों को लेकर किसी भी तरह का कोई सर्वे नहीं किया गया है. सिटी एसपी जोन जिसका इतिहास कई सो साल पुराना है और इस पूरे जोन में 100 साल से पुरानी इमारतों की संख्या अनगिनत है. उस जोन में सिर्फ और सिर्फ 21 इमारतें खतरनाक स्तर के ऊपर चिन्हित की गई है. जो अपने आप में हैरान कर देने वाला है. निगम के अधिकारियों द्वारा हर साल मॉनसून से पहले सर्वे कर खतरनाक इमारतों को चिन्हित किया जाता है. लेकिन इन खतरनाक इमारतों के ऊपर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. डीएमसी एक्ट के तहत इन इमारतों को नोटिस भेजकर दिखावा किया जाता है और कुछ नहीं. दरअसल निगम अधिकारी और भाजपा के नेताओं ने निजी बिल्डरों से सेटिंग कर रखी है और वह अपनी जेब भरने में लगे रहते हैं. उन्हें जनता से किसी प्रकार का कोई वास्ता नहीं है.

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बता दें कि वर्तमान समय में भी नॉर्थ एमसीडी के क्षेत्र में ऐसी कई इमारतें हैं.जो काफी ज्यादा जर्जर हो चुकी है, लेकिन अभी भी और इमारतों के अंदर कामकाज हो रहा है और लोग आ जा रहे हैं. लेकिन नॉर्थ एमसीडी की तरफ से ना तो इन इमारतों को किसी प्रकार का कोई नोटिस दिया गया है और ना ही इन इमारतों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है. नॉर्थ एमसीडी के मुख्यालय सिविक सेंटर के सामने आसफ अली रोड जो कि कमला मार्केट के अंदर स्थित है वहां पर कई सारी इमारतें ऐसी हैं. जो जर्जर हालत में हैं. लेकिन इन इमारतों के अंदर अभी भी लोगों का आना जाना लगा रहता है. साथ ही साथ इमारतों के ग्राउंड फ्लोर पर भी दुकानें खुली हुई है. इमारतों की बदहाल स्थिति बाहर से ही देखने पर ही दिख रही है. लेकिन निगम के द्वारा अभी तक इन इमारतों को लेकर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इन इमारतों में किसी भी वक़्त कोई भी हादसा होने की आकांक्षा से इनकार नहीं किया जा सकता.

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