LOC against Pranav and Radhika Roy: दिल्ली हाईकोर्ट ने CBI से कहा- बहस न करें, इसे लंबे समय तक नहीं रख सकते
Updated on: Jan 20, 2023, 3:47 PM IST

LOC against Pranav and Radhika Roy: दिल्ली हाईकोर्ट ने CBI से कहा- बहस न करें, इसे लंबे समय तक नहीं रख सकते
Updated on: Jan 20, 2023, 3:47 PM IST
प्रणव रॉय और राधिका रॉय के खिलाफ लंबे समय से जारी लुक आउट सर्कुलर का मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है. इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने CBI को कड़ी फटकार लगाई. समय-समय पर LOC के बढ़ने की CBI की दलील पर ऐतराज जताते हुए अदालत ने कहा कि इसे आप अंतिम समय तक जारी नहीं रख सकते. बहस न करें.
नई दिल्ली: NDTV के प्रमोटर रहे पत्रकार प्रणव रॉय और उनकी पत्नी राधिका रॉय पर से CBI द्वारा लुक आउट सर्कुलर ना हटाए जाने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सवाल उठाए हैं. सीबीआई ने दोनों पर साल 2017 में एफआईआर दर्ज किया था. इसके बाद 2019 में उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर लुक आउट सर्कुलर जारी किया गया था, जिसे अब तक नहीं हटाया गया है. मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने सीबीआई को फटकार लगाते हुए कहा कि आप इसे अंतिम समय तक जारी नहीं रख सकते. इस पर बहस ना करें.
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह की सिंगल बेंच प्रणव रॉय और राधिका रॉय की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने सीबीआई के लुक आउट सर्कुलर जारी रखने के खिलाफ आवेदन दिया था. क्योंकि सीबीआई की तरफ से उन्हें बताया गया कि उनका लुक आउट सर्कुलर समय-समय पर बढ़ रहा है. सीबीआई के वकील ने कोर्ट को बताया कि रॉय दंपती के खिलाफ 2017 में एक एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके बाद 2019 में एक अन्य एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद 2017 की एफआईआर रद्द हो गई. 2019 की एफआईआर के आधार पर उनके खिलाफ एलओसी जारी किया गया था. कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मामला लंबे समय से लंबित है, ऐसे में इसे लगातार जारी नहीं रखा जा सकता. कोर्ट अब इस मामले को 28 अप्रैल को सुनेगा.
क्या है लुक आउट सर्कुलरः केंद्रीय जांच एजेंसियां यह उन लोगों के खिलाफ जारी करती हैं, जो किसी मामले में अभियुक्त या संदिग्ध हैं. एजेंसी को आशंका है कि वे देश छोड़ सकते हैं. एजेंसी कोर्ट की अनुमति से उनके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी करती है. एलओसी जारी होने के बाद संबंधित व्यक्ति को विदेश यात्रा से पहले स्थानीय कोर्ट से अनुमति लेनी होती है और उन्हें अपने पूरे कार्यक्रम का ब्यौरा देना होता है. कोर्ट की अनुमति के बाद ही उन्हें विदेश जाने की अनुमति मिलती है.
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