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Delhi High Court ने CM अरविंद केजरीवाल के सरकारी बंगले के नवीनीकरण मामले में सतर्कता विभाग को नोटिस जारी किया

दिल्ली के सतर्कता विभाग द्वारा पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को जारी कारण बताओ नोटिस के खिलाफ पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. इसमें सतर्कता निदेशक और पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के माध्यम से दिल्ली सरकार से जवाब मांग गया है.

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Published : Aug 18, 2023, 9:31 AM IST

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी बंगले पर किए गए नवीनीकरण कार्य में नियमों के कथित घोर उल्लंघन पर दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग द्वारा जारी किए गए कारण बताओ नोटिस के खिलाफ छह पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की याचिका पर नोटिस जारी किया है. न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने मामले को 12 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए सतर्कता निदेशक, सतर्कता और लोक निर्माण विभाग के विशेष सचिव के माध्यम से दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है.

पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद और अतुल नंदा ने कहा कि सतर्कता विभाग द्वारा 19 जून को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जो अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के लिए न तो अधिकृत है और न ही सक्षम है. पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की याचिका में यह तर्क दिया गया है कि अधिकारी, पीडब्ल्यूडी अधिकारी होने के नाते किसी भी अनुशासनात्मक कार्रवाई के संबंध में सतर्कता विभाग के अधिकार क्षेत्र के लिए उत्तरदायी नहीं थे. दूसरी ओर, पीडब्ल्यूडी और दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कोर्ट के निर्देश पर कहा कि सुनवाई की अगली तारीख तक पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा. हालांकि, इस बयान पर सतर्कता विभाग के विशेष सचिव आईएएस अधिकारी वाई.वी.वी.जे. राजशेखर ने आपत्ति जताई थी.

कारण बताओ नोटिस राजनीतिक झगड़े का नतीजाः राजशेखर ने भी कारण बताओ नोटिस पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कहा गया कि पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है. यह भी प्रस्तुत किया गया कि पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की ओर से उठाई गई आपत्तियों में कोई दम नहीं था कि कारण बताओ नोटिस बिना अधिकार क्षेत्र के जारी किए गए थे. कोर्ट ने कहा कि मामले में प्रतिवादी संख्या एक, दो और पांच की ओर से चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर किया जाए. अपनी याचिका में पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने कहा है कि कारण बताओ नोटिस उपराज्यपाल और सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के बीच राजनीतिक झगड़े का नतीजा है और उन्हें इस मामले में बलि का बकरा बनाया गया है.

राजशेखर ने 19 जून को जारी किया था नोटिसः बता दें कि प्रतिवादी संख्या दो राजशेखर को भ्रष्टाचार और जबरन वसूली के आरोप में मई 2023 में दिल्ली के सतर्कता मंत्री द्वारा उनको सभी कर्तव्यों से हटा दिया गया था. हालांकि, राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण की स्थापना के लिए अध्यादेश पारित होने के बाद राजशेखर की सेवा को 22 मई को बहाल कर दिया था. उसके बाद 19 जून को राजशेखर द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. याचिका में यह भी कहा गया है कि इस घटनाक्रम से यह साबित होता है कि विवादित नोटिस राजनीतिक साजिश के तहत जारी किया गया है और याचिकाकर्ता को बलि का बकरा बनाया गया है.

अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने पीडब्ल्यूडी मंत्री के निर्देशों के तहत ही मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के लिए काम किए थे न कि खुद के लिए. नोटिस में उन्हें गलत तरीके से टारगेट किया गया था. याचिकाकर्ता ने किसी भी नियम कानून या कार्यालय आदेश का उल्लंघन नहीं किया है. याचिकाकर्ता द्वारा दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री के आधिकारिक बंगले के संबंध में किया गया कार्य पूरी तरह से अपने आधिकारिक कर्तव्यों के अनुरूप था. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी मंत्री के निर्देशों का पालन किया और उनकी सतर्क निगरानी में लगातार अपने कर्तव्यों का पालन किया.

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पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद और अतुल नंदा ने कहा कि सतर्कता विभाग द्वारा 19 जून को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, जो अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के लिए न तो अधिकृत है और न ही सक्षम है. पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की याचिका में यह तर्क दिया गया है कि अधिकारी, पीडब्ल्यूडी अधिकारी होने के नाते किसी भी अनुशासनात्मक कार्रवाई के संबंध में सतर्कता विभाग के अधिकार क्षेत्र के लिए उत्तरदायी नहीं थे. दूसरी ओर, पीडब्ल्यूडी और दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कोर्ट के निर्देश पर कहा कि सुनवाई की अगली तारीख तक पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा. हालांकि, इस बयान पर सतर्कता विभाग के विशेष सचिव आईएएस अधिकारी वाई.वी.वी.जे. राजशेखर ने आपत्ति जताई थी.

कारण बताओ नोटिस राजनीतिक झगड़े का नतीजाः राजशेखर ने भी कारण बताओ नोटिस पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कहा गया कि पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है. यह भी प्रस्तुत किया गया कि पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की ओर से उठाई गई आपत्तियों में कोई दम नहीं था कि कारण बताओ नोटिस बिना अधिकार क्षेत्र के जारी किए गए थे. कोर्ट ने कहा कि मामले में प्रतिवादी संख्या एक, दो और पांच की ओर से चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दायर किया जाए. अपनी याचिका में पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने कहा है कि कारण बताओ नोटिस उपराज्यपाल और सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के बीच राजनीतिक झगड़े का नतीजा है और उन्हें इस मामले में बलि का बकरा बनाया गया है.

राजशेखर ने 19 जून को जारी किया था नोटिसः बता दें कि प्रतिवादी संख्या दो राजशेखर को भ्रष्टाचार और जबरन वसूली के आरोप में मई 2023 में दिल्ली के सतर्कता मंत्री द्वारा उनको सभी कर्तव्यों से हटा दिया गया था. हालांकि, राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण की स्थापना के लिए अध्यादेश पारित होने के बाद राजशेखर की सेवा को 22 मई को बहाल कर दिया था. उसके बाद 19 जून को राजशेखर द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया. याचिका में यह भी कहा गया है कि इस घटनाक्रम से यह साबित होता है कि विवादित नोटिस राजनीतिक साजिश के तहत जारी किया गया है और याचिकाकर्ता को बलि का बकरा बनाया गया है.

अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने पीडब्ल्यूडी मंत्री के निर्देशों के तहत ही मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के लिए काम किए थे न कि खुद के लिए. नोटिस में उन्हें गलत तरीके से टारगेट किया गया था. याचिकाकर्ता ने किसी भी नियम कानून या कार्यालय आदेश का उल्लंघन नहीं किया है. याचिकाकर्ता द्वारा दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री के आधिकारिक बंगले के संबंध में किया गया कार्य पूरी तरह से अपने आधिकारिक कर्तव्यों के अनुरूप था. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी मंत्री के निर्देशों का पालन किया और उनकी सतर्क निगरानी में लगातार अपने कर्तव्यों का पालन किया.

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