Budh pradosh vrat : इस दिन है 2023 का पहला प्रदोष व्रत, जानिए महत्व और पूजा मुहूर्त

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Published : Jan 3, 2023, 7:28 PM IST

आचार्य शिव कुमार शर्मा

प्रदोष व्रत माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है. इसको त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जाना जाता हैं. बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहते हैं. 4 जनवरी यानी बुधवार को साल 2023 का पहला प्रदोष व्रत है.

आचार्य शिव कुमार शर्मा

नई दिल्ली/गाजियाबाद: प्रदोष व्रत सालभर में 24 बार आता है. प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है. प्रदोष व्रत को त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जाना जाता है. यह व्रत माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है. बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष कहते हैं. 4 जनवरी यानी बुधवार को बुध प्रदोष व्रत है. ये बुध प्रदोष व्रत साल 2023 का पहला प्रदोष व्रत है.

दूर होते हैं कष्ट:- प्रदोष व्रत का काफी महत्व है. प्रदोष व्रत को करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. पुराणों के अनुसार प्रदोष व्रत को करने से बेहतर स्वास्थ्य और लम्बी आयु की प्राप्ति होती है.

मिलेगी सफलता:- बुध प्रदोष का व्रत करने से आर्थिक क्षेत्र में उन्नति प्राप्त होती है. कार्य क्षेत्र में सफलता मिलती है, जिससे धन की प्राप्ति होती है. सायंकाल पूजा से पहले स्नान फिर से करें उसके बाद शिव की पूजा प्रारंभ करें. प्रदोष काल में भगवान शिव का षोडशोपचार तरीके से पूजन और प्रदोष व्रत की कथा कहने के बाद भगवान भोलेनाथ की आरती करें. उसके बाद सभी को प्रसाद बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें.

० पूजा का मुहूर्त

- पंचांग के अनुसार पौष माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 3 जनवरी 2023 को रात 10 बजकर 1 मिनट से हो रही है.

- त्रयोदशी तिथि की समाप्ति 5 जनवरी 2023 को सुबह 12 बजे होगी.

- प्रदोष व्रत की पूजा का उत्तम समय 4 जनवरी 2023 को है.

- बुध प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त - शाम 5.37 - रात 08.21(4 जनवरी 2023)

प्रदोष व्रत का महत्व:-

० रवि प्रदोष: रविवार को त्रयोदशी तिथि पड़ती है तो उसे रवि प्रदोष व्रत कहते हैं. इस व्रत के करने से यश, कीर्ति और आयु का लाभ होता है.

० सोम प्रदोष: सोमवार को प्रदोष होने से सोम प्रदोष कहते हैं. यह भगवान शिव का प्रिय दिन है. इसलिए भगवान शंकर की कृपा प्राप्त करने हेतु उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए सोम प्रदोष का व्रत उत्तम रहता है.

० भौम प्रदोष: मंगलवार को प्रदोष होने पर भौम प्रदोष कहा जाता है. इस व्रत को करने से कर्ज से मुक्ति होती है. भूमि भवन का लाभ होता है और समाज में सम्मान मिलता है.

० बुध प्रदोष: बुधवार को प्रदोष होने पर यह बुध प्रदोष कहलाता है. इस को व्रत करने से नौकरी, व्यापार, कीर्ति और स्वास्थ्य लाभ होता है.

० गुरु प्रदोषः गुरुवार को प्रदोष होने से गुरु प्रदोष व्रत होता है. इस व्रत को करने से आध्यात्मिक उन्नति, गुरु और ईश्वर कृपा मिलती है साथ ही धन-धान्य की वृद्धि होती है.

० शुक्र प्रदोष: शुक्रवार को प्रदोष होने से शुक्र प्रदोष कहलाता है इस व्रत को रखने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. परिवार के सदस्यों में संबंधों का लाभ होता है और घर की महिला सदस्य स्वस्थ व प्रसन्न रहती है.

० शनि प्रदोष: शनिवार को प्रदोष होने से शनि प्रदोष होता है. इसका व्रत को करने से कार्य में सफलता और समाज के महत्वपूर्ण लोगों का सहयोग मिलता है. संतान सुख की प्राप्ति होती है.

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