Lumpy Virus: Ghaziabad में 33 हजार गौवंशों का हुआ वैक्सीनेशन, दो दर्जन से अधिक का इलाज जारी

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Published : Sep 15, 2022, 8:22 PM IST

Updated : Sep 15, 2022, 9:11 PM IST

मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. महेश कुमार

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में भी लंपी (Lumpy Virus in Ghaziabad) का खतरा मंडरा रहा है. जिले के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी (District Chief Veterinary Officer) डॉ. महेश कुमार के अनुसार जिले के 26 पशुओं में लंपी के लक्षण (Symptoms of Lumpy in Animals) मिले हैं.

गाजियाबाद: राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी लंपी ने दस्तक दे दी है. गाजियाबाद में भी लंपी (Lumpy Virus in Ghaziabad) का खतरा मंडरा रहा है. जिले के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी (District Chief Veterinary Officer) डॉ. महेश कुमार ने बताया कि गायों में लंपी के लक्षण (Symptoms of Lumpy in Animals)मिलने के बाद गायों को आइसोलेट कर इलाज किया जा रहा है. मौजूदा समय में जिले के 8 क्षेत्रों में 26 पशुओं मे लंपी के लक्षण मिलने बाद इलाज जारी है. लंपी में मच्छरों के माध्यम से वायरस फैलता है. ऐसे में आसपास फॉगिंग कराई गई है ताकि वायरस और ना फैले. 19वीं पशु जनगणना के मुताबिक ज़िले में एक लाख से अधिक गोवंशीय पशु और दो लाख से अधिक महिषवंशीय पशु हैं.

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लंपी का संक्रमण रोकने के लिए जारी है वैक्सीनेशन : मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी महेश कुमार के मुताबिक पशु चिकित्सा विभाग की ओर से लंपी का संक्रमण रोकने के लिए वैक्सीनेशन किया जा रहा है. अब तक तकरीबन 33 हजार गोवंश का जिले में वैक्सीनेशन किया जा चुका है. जिले में 10 टीमें सक्रिय हैं जो कि गोवंश के वैक्सीनेशन, जागरूकता, सर्विलांस और इलाज पर ध्यान दे रही हैं. जिले की सीमा पर पड़ने वाले 40 गांवों (Border Villages) में विशेष तौर पर गोवंश का वैक्सीनेशन किया जा रहा है.

मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. महेश कुमार.

लंपी से गौवंश को खतरा : लंपी स्किन बीमारी मुख्य रूप से गौवंश को प्रभावित करती है. इस बीमारी से पशुओं में मृत्यु दर 1 से 5 प्रतिशत है. रोग के प्रसार का मुख्य कारण मच्छर, मक्खी और परजीवी जैसे जीव हैं. इसके अतिरिक्त, इस बीमारी का प्रसार संक्रमित पशु के नाक से स्राव, दूषित फीड और पानी से भी हो सकता है.

लंपी का उपचार एवं रोकथाम : वायरल बीमारी होने के कारण प्रभावित पशुओं का इलाज केवल लक्षणों के आधार पर किया जाता है. बीमारी की शुरूआत में ही इलाज मिलने पर इस रोग से ग्रस्त पशु 2-3 दिन के अंदर बिल्कुल स्वस्थ हो जाता है. किसानों को मक्खियों और मच्छरों को नियंत्रित करने की सलाह दी जा रही है, जो बीमारी फैलने का प्रमुख कारण है. प्रभावित जानवरों को अन्य जानवरों से अलग करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. बछड़ों को संक्रमित मां का दूध उबालने के बाद बोतल के जरिए ही पिलाया जाना चाहिए.

लंपी के लक्षण : इस बीमारी के लक्षण के रूप में तेज बुखार हो जाना और पूरे शरीर पर फोड़े निकलना है. फोड़े जैसे-जैसे बड़े होते हैं वह फूट भी जाते हैं और पशु के मुंह में से लार गिरती रहती है. इस स्थिति में जब पशु बीमार होगा तो वह खाना भी कम कर देता है. इससे अन्य समस्या भी पशु में बढ़ सकती है. इसके प्रभाव से पशुओं का गर्भपात हो जाता है, साथ ही पशुओं की मौत भी हो जाती है. कुछ मामलों में यह बीमारी नर व मादा पशुओं में लंगड़ापन, निमोनिया और बांझपन का कारण बन सकता है.

कहां से आई लंपी बीमारी : लंपी स्किन बीमारी (एलएसडी) एक वायरल रोग है. यह वायरस पॉक्स परिवार का है. लंपी स्किन बीमारी मूल रूप से अफ्रीकी बीमारी है और अधिकांश अफ्रीकी देशों में है. माना जाता है कि इस बीमारी की शुरुआत जाम्बिया में हुई थी, जहां से यह दक्षिण अफ्रीका में फैल गई. साल 2012 के बाद से यह तेजी से फैली है, हालांकि हाल ही में रिपोर्ट किए गए मामले मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व, यूरोप, रूस, कजाकिस्तान, बांग्लादेश (2019) चीन (2019), भूटान (2020), नेपाल (2020) और भारत (अगस्त, 2021) में पाए गए हैं. देश में प्रमुख प्रभावित राज्यों में गुजरात, राजस्थान और पंजाब हैं.

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Last Updated :Sep 15, 2022, 9:11 PM IST
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