नई दिल्ली: दिल्ली में वजीराबाद स्थित यमुना का रामघाट बदहाली का शिकार है. यहां पर गंदगी का अंबार लगा है. सालों से यमुना की सफाई नहीं कराए जाने की वजह से यमुना और उसके आसपास रहने वाले लोग परेशान हैं. अभी पितृपक्ष का महीना चल रहा है, लोग यहां पर अपने पितरों की शांति के लिए पिंडदान करने आ रहे हैं लेकिन यहां व्याप्त गंदगी की वजह से उन्हें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यमुना किनारे फूल माला व प्रसाद बेचने वाले लोग प्रशासन की बेरुखी से नाराज हैं. साथ ही रामघाट पर रहने वाले पंडों का 200 से 250 लोगों का परिवार है, जिसका सीधा असर उनके रोजगार पर भी पड़ रहा है. लोगों ने प्रशासन घाट की साफ-सफाई कर इसका पुनरुद्धार कराने की मांग की है.
ये भी पढ़ें : RTI से खुलासाः दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूल के 18 कमरे बनाने में खर्च कर दिए 12 करोड़ रुपये
ईटीवी भारत से बात करते हुए वजीराबाद स्थित यमुना के रामघाट पर रहने वाले लोगों ने बताया कि रामघाट बहुत ही प्राचीन स्थल है. यहां पर लोग दूर-दूर से आस्था की डुबकी लगाने के लिए आते हैं. यमुना का पानी गंदा है, सालों से इसकी सफाई नहीं हुई है.
हर बार प्रशासन की तरफ से सफाई के दावे किए जाते हैं लेकिन एक दशक बाद भी यहां सिर्फ नाम मात्र की सफाई की गई है. यमुना से कूड़ा बाहर निकालकर एक किनारे डाल दिया गया, लेकिन धीरे-धीरे वह फिर से यमुना में जा रहा है. यमुना में हरी घास उग आई है, जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी होती है. लोगों को गंदे पानी में ही डुबकी लगाकर धार्मिक पूजा-पाठ को अंजाम देना पड़ रहा है. उन्होंने इस तरह के हालात यमुना में पहले कभी नहीं देखे हैं.
पितृपक्ष पर अपने पितरों को पिंड दान करने आए एक श्रद्धालु ने बताया कि वह अपनी मां का श्राद्ध करने के लिए आए हैं. मान्यता है कि यमुना किनारे पिंड दान और धार्मिक क्रियाकलाप करने से पितरों को शांति मिलती है, लेकिन यमुना के हालात देखकर नहीं लगता कि यहां किसी तरह का पूजा-पाठ किया जा सकता है. घाट के चारों ओर गंदगी का अंबार लगा है. लोगों की सरकार से मांग है कि यमुना की सफाई कराई जाए जिससे फिर से यमुना के प्रति लोगों की आस्था बढ़े और राम घाट पर टूरिज़्म भी बढ़ने से लोगों को रोजगार भी मिले.
दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की तरफ से हर बार यमुना की सफाई के दावे किए जाते हैं. यमुना की सफाई के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं, यमुना की सफाई के नाम पर नेता भी यहां आते हैं और सिर्फ फोटो सेशन करवा कर चले जाते हैं. जिससे यमुना किनारे रहने वाले लोगों की नाराजगी है.
सरकार और प्रशासन की बेरुखी के कारण यमुना का यह प्राचीन प्रसिद्ध रामघाट बदहाल होता जा रहा है. यदि हालात ऐसे ही रहे तो वह दिन दूर नहीं जब रामघाट खत्म हो जाएगा. सरकार को इस प्राचीन और प्रसिद्ध घाट के संरक्षण के लिए काम करना चाहिए. यमुना की सफाई होगी टूरिज्म बढ़ेगा, लोग यहां पर आएंगे.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप