नई दिल्ली: 'अगर बिल्डिंग में कुछ और रास्ते भी होते, तो कई जिंदगियां बच सकती थी' यह कहना है मुंडका अग्निकांड में बिल्डिंग की तीसरे फ्लोर से कूद कर अपनी जान बचाने वाली महिला विमला का. दरअसल बिल्डिंग में लगी भीषण आग के बाद, अंदर अफरा-तफरी मच गई. लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे, इसी बीच कई लोगों ने बिल्डिंग से कूद कर खुद को आग की चपेट में आने से बचाया.
ऐसी ही एक विमला नाम की महिला थी, जो हादसे के वक्त हर रोज की तरह अंदर काम कर रही थी. विमला ने बताया कि हादसे के वक्त बिल्डिंग के अंदर मीटिंग चल रही थी. आग सबसे पहले नीचे के फ्लोर में लगी, जो बिल्डिंग से निकलने का एकमात्र रास्ता था. ऐसे में आग लगने के बाद किसी को बाहर निकलने का मौका ही नहीं मिला. जब अंदर धुआं भरने लगा, तब कुछ लोगों ने खिड़कियों के शीशे तोड़कर तीसरी फ्लोर से रस्सी लटकाई और उसी रस्सी के सहारे नीचे उतर के छलांग लगाकर अपनी जान बचाई.
विमला बताती हैं कि उन्होंने भी यही किया, तीसरी फ्लोर से विमला रस्सी के सहारे लटकते हुए पहली मंजिल तक पहुंची और वहां से छलांग लगाकर खुद को सुरक्षित किया. विमला को चोटें भी आईं, जिस कारण तोड़ी देर तक वे वहीं पड़ी रहीं. फिर जब एंबुलेंस मौके पर पहुंची, तो एंबुलेंस के जरिए उनको संजय गांधी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां शाम से लेकर अब तक उनका इलाज चल रहा था. हादसे में घायल विमला ने बताया कि अगर बिल्डिंग में बाहर निकलने के कुछ और रास्ते होते, तो कई लोगों की जिंदगी बच सकती थी.
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