#YamunaRiver झूठे सरकारी दावे! 5 नहीं 12 नालों से उड़ेला जा रहा है यमुना में अनट्रीटेड सीवेज

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Published : Apr 25, 2022, 7:43 AM IST

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यमुना के प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने 2023-24 का लक्ष्य तय कर रखा है. उससे पहले दिल्ली सरकार के पास इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए कई चुनौतियां भी हैं. सबसे बड़ी चुनौती यमुना में नालों का पानी जाने से रोकना है जो अब तक हो नहीं पाया है.

नई दिल्ली : यमुना के प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने 2023-24 का लक्ष्य तय कर रखा है. उससे पहले दिल्ली सरकार के पास इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए कई चुनौतियां भी हैं. सबसे बड़ी चुनौती यमुना में नालों का पानी जाने से रोकना है जो अब तक हो नहीं पाया है. हालांकि इससे पहले यह दावा किया गया था कि 18 नालों में से 13 नाले ट्रैप्ड कर लिए गए हैं, लेकिन अब इसकी हकीकत कुछ और ही सामने आ रही है.

बतादें कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति और दिल्ली जल बोर्ड को बताया है कि दिल्ली के 18 प्रमुख नालों में से 12 नालों से अब तक यमुना में गंदा पानी छोड़ा जा रहा है. यानी कि वजीराबाद से ओखला के बीच दिल्ली में नदी के 22 किलोमीटर लंबे हिस्से में 18 प्रमुख नाले यमुना में गिरते थे, जिनमें से 12 नाले अभी भी गिर रहे हैं.

#YamunaRiver झूठे सरकारी दावे! 5 नहीं 12 नालों से उड़ेला जा रहा है यमुना में अनट्रीटेड सीवेज
वजीराबाद से ओखला के बीच यह यमुना नदी की लंबाई के 2% से भी यह कम है, लेकिन यह लगभग 80% प्रदूषण का जिम्मेदार है. फरवरी में केंद्र जल शक्ति मंत्रालय को सौंपी गई डीपीसीसी रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली जल बोर्ड ने प्रदूषण नियंत्रण इकाई को सूचित किया था कि 18 में से 13 नालों को ट्रैप्ड कर लिया गया है. उनसे बिना शोधित पानी यमुना में नहीं बह रहा है. एनएमसीजी ने डीपीसीसी के डीजेबी को लिखे पत्र में कहा है कि 30 और 31 मार्च को इन नालों की स्थिति का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण दल भेजे गए थे. उन्होंने कहा कि 13 नालों से 7 सालों से पानी अभी यमुना नदी में बहाया जा रहा है, इसलिए फिलहाल 12 नालों से जमुना में बिना शोधित जल छोड़े जा रहे हैं.
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निगरानी समिति ने 2018 में कहा था कि यमुना नदी जीवित रहने के लिए लड़ रही है और यमुना का कायाकल्प तब तक संभव नहीं होगा. जब तक कि न्यूनतम पर्यावरण प्रवाह प्रदान नहीं किया जाएगा. क्योंकि यह लगभग 9 महीने तक ज्यादातर हिस्सों में सूख जाती है. यमुना नदी दिल्ली के माध्यम से पल्ला से बदरपुर तक केवल 54 किलोमीटर तक बहती है. वजीराबाद से ओखला तक 22 किलोमीटर की दूरी जो कि 2 प्रतिशत से भी कम है. यमुनोत्री से इलाहाबाद तक 1370 किलोमीटर नदी की लंबाई है. नदी के प्रदूषण का स्तर 76 हिस्सा है.

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वजीराबाद से ओखला तक के इस 2% हिस्से में अशोधित औद्योगिक और घरेलू कचरे का अधिकतम निर्वहन होता है. समिति ने सुझाव दिया कि सीपीसीबी डीपीसीसी और आईआईटी दिल्ली या एनईईआरआई जैसे अन्य संस्थानों से वैज्ञानिकों की टीम का गठन किया जाए. जो निरीक्षण करे और उपचारात्मक कार्रवाई के लिए उसे रिपोर्ट करें. इसमें कहा गया था कि टीम पानी की समान मात्रा को प्रवाहित करने के वैकल्पिक तरीकों के जोखिमों और लाभों पर गौर कर सकती है. जो प्रदूषण के स्तर को कम करने में मदद कर सकती है.

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यमुना में अमोनिया की मात्रा बढ़ने से आ रही है कई दिक्कत

दिल्ली में यमुना नदी में प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है. यमुना में बढ़ते प्रदूषण के बीच दिल्ली जल बोर्ड ने हरियाणा से प्रदूषण तत्काल रोकने के लिए कहा है. दिल्ली जल बोर्ड ने हरियाणा के सिंचाई विभाग को लिखे एक पत्र में बताया कि जिन हिस्सों में पानी कम हुआ है. उन हिस्सों में नई दिल्ली नगर परिषद के संस्थागत और दूतावास इलाके आते हैं.

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दिल्ली जल बोर्ड के अनुसार गुरुवार को यमुना में अमोनिया का स्तर 0.9 पीपीएम की अधिकतम उपचार योग्य सीमा से 5 गुना अधिक था. इसके बाद शुक्रवार को सही रहा, लेकिन शनिवार को फिर से प्रदूषण बढ़ने लगा. जिसे लेकर दिल्ली जल बोर्ड को एसओएस जारी करना पड़ा. वजीराबाद तालाब में अमोनिया का स्तर 7.5 पीपीएम तक था. जिससे वजीराबाद और चंद्रावल ट्रीटमेंट प्लांट में पानी का उत्पादन कम हो गया.

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