Sushma Swaraj sixth death anniversary: जानिये आरकेपुरम कुष्ठ आश्रम से क्या रहा है उनका नाता

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Published : Aug 6, 2022, 9:53 PM IST

death anniversary

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का आरके पुरम के कुष्ठ आश्रम से बेहद पुराना नाता था. जब वाे जिंदा थीं तब 14 फरवरी को अपना जन्मदिन प्रतिवर्ष यही कुष्ठ आश्रम में मनाती थी. शनिवार काे उनकी छठी पुण्यतिथि (Sushma Swaraj sixth death anniversary) आरके पुरम के इसी कुष्ठ आश्रम में मनायी गयी.

नई दिल्लीः पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की छठी पुण्यतिथि (Sushma Swaraj sixth death anniversary) शनिवार काे आरके पुरम के कुष्ठ आश्रम में मनायी गयी. आरके पुरम के कुष्ठ आश्रम से उनका बेहद पुराना नाता रहा है. सुषमा स्वराज 14 फरवरी को अपना जन्मदिन इसी कुष्ठ आश्रम में मनाती थी. इसलिए उनको जानने वाले इसी कुष्ठ आश्रम में उनकी पुण्यतिथि मना रहे हैं.

कुष्ठ आश्रम में सुषमा स्वराज को फूल अर्पित कर लोगों ने श्रद्धांजलि दी. उनके साथ बिताये पल को याद किया. सुषमा स्वराज इसी लोकसभा क्षेत्र से दो बार सांसद चुनी गयी थी. जिसके कारण बहुत बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ उनके अच्छे संबंध थे. प्रतिवर्ष इस कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय बीजेपी नेता और पूर्व स्टैंडिंग कमिटी के चेयरमैन राधेश्याम शर्मा करते हैं. जन्मदिवस की तरह पुण्य तिथि की परंपरा को निभाते हुए इस साल भी राधेश्याम शर्मा ने सुषमा स्वराज की याद में कार्यक्रम आयोजित किये.

आरकेपुरम कुष्ठ आश्रम से क्या रहा है सुषमा स्वराज का नाता, देखिये वीडियाे में.

इस माैके पर कई स्थानीय बीजेपी नेता सहित इस आश्रम में रहने वाले लोगाें ने भी उन्हें (Sushma Swaraj sixth death anniversary) श्रद्धांजलि दी. प्रसाद वितरित कर इस कार्यक्रम का समापन किया गया. कार्यक्रम के आयोजक राधेश्याम शर्मा ने बताया कि भले ही सुषमा स्वराज का स्वर्गवास हो गया है लेकिन वाे आज भी हमारे बीच जिंदा हैं. उनकी उपलब्धियाें काे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता.


राधेश्याम शर्मा ने कहा कि पूर्व विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज जब तक जीवीत थी हर साल अपना जन्मदिन मनाने इसी कुष्ठ आश्रम में (RK Puram Leprosy Ashram) आती थीं और इन्ही कुष्ठ रोगियों के साथ केक काटती थीं. इनके बीच में बैठकर खाना खाती थीं. साथ हीं कुष्ठ रोगियों को मनचाहा उपहार देती थीं. सुषमा स्वराज का यहां के रोगियों से इतना लगाव था कि यहां पर रहने वाले सभी रोगियों को नाम से जानती थीं.

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