सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक और प्रगतिशील : DCW प्रमुख स्वाति मालीवाल

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Published : Sep 29, 2022, 4:24 PM IST

स्वाति मालीवाल

महिलाओं के गर्भापत और शरीर पर अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दिल्ली महिला आयोग (Delhi Commission for Women) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने ऐतिहासिक और प्रगतिशील बताया है.

नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष (Delhi Commission for Women) स्वाति मालीवाल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यह बहुत प्रगतिशील अच्छा फैसला है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने मैरिटल रेप पर सुनवाई करते हुए विवाहित और अविवाहित महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात कराने की इजाजत दी है.

कोर्ट ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत रेप में "वैवाहिक रेप" भी शामिल होना चाहिए. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि अगर पतियों ने अपने पत्नियों पर यौन हमला किया है तो वह वैवाहिक रेप माना जाएगा.

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इस बारे में ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा कि कई बार रेप पीड़िता के समक्ष यह समस्या आती है जिसमें वह अगर गर्भवती हो जाती थी तो उन्हें गर्भपात कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर कोई अवविवाहिता है और वह शादी से पहले गर्भवती हुई है तो वह भी गर्भपात करा सकती है.

स्वाति मालीवाल

उन्होंने यूएस के सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का जिक्र भी किया, जिसमें वहां की महिला को गर्भपात कराने की इजाजत नहीं दी गई. लेकिन भारत की सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के संबंध में जो फैसला लिया है, वह बहुत अच्छा है. क्योंकि वह मानते हैं कि हर बच्ची और हर लड़की, महिला का अपने शरीर पर अधिकार है जिसमें वह अपने शरीर से संबंधित फैसले लेने के लिए आजाद है.

मालीवाल ने बताया कि महिला पंचायत के माध्यम से महिला से जुड़े उनके अधिकार और कानूनी जानकारी उन तक पहुंचाई जाती है. इस फैसले के संबंध में जानकारी और जागरुकता फैलाई जाएगी. जो रेप पीड़िता, गर्भवती हो जाती हैं उन्हें भी गर्भपात कराने अधिकार है.

क्या कहा एससी ने अपने फैसले में
महिलाओं के गर्भापत और शरीर पर अधिकार को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने यह बड़ा फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर औरतों की वैवाहिक स्थिति उन्हें अनचाहे गर्भ को धारण करने पर मजबूर कर रही है तो यह गलत है. किसी भी स्थिति में महिलाओं को अनचाहा गर्भ गिराने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने यह भी कहा है कि अविवाहित महिला को भी मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत 24 हफ्तों का गर्भ गिराने का अधिकार है.

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